5 ऐसे क्रिकेटर जो अपने पिता से ज्यादा सफल क्रिकेटर बने

क्रिकेट के इतिहास में कई मौके पर एक ही टीम की तरफ दो भाई खेलते नजर आये हैं। जिसमें सबसे सफल नाम स्टीव वा-मार्क वा और चैपल(इयान, ग्रेग और ट्रेवर) हैं। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कई मशहूर पिता-पुत्र भी खेले हैं। जिसमें सुनील गावस्कर और उनके पुत्र रोहन गावस्कर भारत के लोकप्रिय पिता-पुत्र जोड़ी थे। लेकिन अगर तुलना किया जाये तो सुनील गावस्कर के मुकाबले रोहन उतने सफल क्रिकेटर नहीं साबित हुए। इसके अलावा रोजर बिन्नी का भी रिकॉर्ड बेहतरीन रहा लेकिन पुत्र स्टुअर्ट उनके जैसी ऊंचाई नहीं हासिल कर पाए। वहीं ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर ज्योफ मार्श के बेटे शान और मिचेल मार्श दोनों आज सफलतापूर्वक ऑस्ट्रेलियाई टीम में बने हुए हैं। आइये एक नजर डालते हैं ऐसे पिता-पुत्र जोड़ी पर जिनके बेटे ज्यादा सफल क्रिकेटर बने: वॉल्टर हैडली और रिचर्ड हैडली न्यूज़ीलैंड के तेज गेंदबाज़ रिचर्ड हैडली का दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों में शुमार होता है, टेस्ट में 400 विकेट लेने वाले वह पहले खिलाड़ी थे। इसके अलावा रिचर्ड हार्ड हिटर बल्लेबाज़ भी थे। इसलिए उनका नाम कपिल देव, इमरान खान और इयान बाथम जैसे आलराउंडरों के साथ लिया जाता है। सन 1985-86 में हैडली का सबसे शानदार प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ देखने को मिला था। ब्रिसबेन में हुए इस मैच में उन्होंने 15 विकेट लिया था। उन्हें न्यूज़ीलैंड की सरकार ने 1990 में नाईटहुड सम्मान दिया था। वाल्टर हैडली जो उनके पिता थे, ने सिर्फ 11 मैच न्यूज़ीलैंड के लिए खेले थे। खिलाड़ी के अलावा वह कप्तान, चयनकर्ता और टीम के मेनेजर भी रहे थे। उनका जन्म क्राइस्टचर्च में हुआ था। वह रग्बी और क्रिकेट दोनों खेलते थे। हैडली की कप्तानी में कीवी टीम ने 1937 में दौरा किया था। उन्होंने अपना आखिरी मैच 1951 में खेला था। उनके नाम एक शतक भी था। वाल्टर की मृत्यु 2006 में 91 वर्ष की उम्र में हुई थी। इफ्तिखार अली खान और मंसूर अली खान पटौदी मंसूर अली खान पटौदी ने 21 वर्ष की उम्र में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाई। लेकिन कुछ ही महीने के बाद के कार दुर्घटना में उनकी दाई आंख की रौशनी चली गयी। लेकिन इस करिश्माई बल्लेबाज़ और कप्तान ने भारत को 1967 में विदेश में पहला टेस्ट जितवाया था। 46 टेस्ट मैचों में 35 के करीब औसत से 6 शतक की मदद से उन्होंने 2,793 रन बनाये थे। उनका उच्चस्कोर फिरोजशाह कोटला में इंग्लैंड के खिलाफ 203 रन था। इफ्तिखार अली पटौदी ने भारत और इंग्लैंड दोनों टीमों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला था। जबकि उनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर मात्र 6 मैचों का था। अपने डेब्यू मैच में उन्होंने इंग्लैंड की तरफ से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1932 में शतक बनाया था। उन्होंने इंग्लैंड के लिए 3 टेस्ट मैच खेला था। उसके बाद 12 साल बाद उन्होंने भारतीय टीम की तरफ से 1946 में डेब्यू किया। 3 टेस्ट मैचों में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं था। जिसकी वजह से उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा था। पीटर पोलक और शॉन पोलक शॉन पोलक अपने समय के बेहतरीन तेज गेंदबाज़ी आलराउंडर थे। एलन डोनाल्ड के साथ उन्होंने लम्बे समय तक दक्षिण अफ़्रीकी तेज गेंदबाज़ी का जिम्मा संभाला। पोलाक 90 के दशक में बल्लेबाजों के लिए दुस्वप्न से कम नहीं थे। हैन्सी क्रोनिये के बाद उन्होंने टीम की कप्तानी का भी जिम्मा संभाला था। पोलक ने 108 टेस्ट मैचों में दक्षिण अफ्रीका की तरफ 421 विकेट लिए जो एक रिकॉर्ड है। इसके अलावा तकरीबन 33 के औसत से उन्होंने रन भी बनाया। वनडे में उनके नाम 387 विकेट है। वह प्रोटेस टीम की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लिए हैं। साल 2008 में संन्यास लेने के बाद पोलाक टी-20 क्रिकेट में भाग लेते रहे। इसी के साथ शॉन पोलक के पिता पीटर पोलाक भी दक्षिण अफ्रीका की तरफ से बतौर तेज गेंदबाज़ खेलते थे। हालाँकि वह अपने बेटे की तरह प्रभावी नहीं थे। पीटर ने 28 टेस्ट मैचों में 116 विकेट लिए थे। जिसमें उनका बेहतरीन प्रदर्शन 38/6 था। योगराज सिंह और युवराज सिंह युवराज सिंह भारत के महानतम आलराउंडर में गिने जाते हैं। साल 2000 में आईसीसी चैम्पियंस ट्राफी में युवराज ने अपने डेब्यू मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन की पारी खेली थी। उसके बाद वह भारतीय टीम के नियमित सदस्य बन गये थे। युवराज सिंह ने भारत के लिए कई यादगार पारियां खेलीं। जिसमें कैफ के साथ नेटवेस्ट ट्राफी 2002 में आज भी लोगों के जहन में बसी है। इसके अलावा टी-20 विश्वकप 2007 में युवराज ने 6 गेंदों में 6 छक्के लगाकर भारत की खिताबी जीत में अहम योगदान दिया था। इसके अलावा साल 2011 के विश्वकप में युवराज ने शानदार खेल दिखाया था। जिसकी वजह से वह प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट बने थे। 293 वनडे मैचों में युवराज ने 8329 रन बनाये हैं। जिसमें उनका औसत 37 के करीब है। इसके अलावा युवराज 40 टेस्ट भी खेल चुके हैं। युवराज के पिता योगराज सिंह पंजाब के तेज गेंदबाज़ थे। 1980/81 के न्यूज़ीलैंड दौरे पर उन्हें टीम में शामिल किया गया था। जहाँ उन्हें एक टेस्ट खेलने को मिला था और उन्हें एक विकेट मिला था। ये टेस्ट उनका आखिरी टेस्ट रहा। इसके अलावा 5 वनडे मैचों में उनके नाम 4 विकेट दर्ज है। मिकी स्टीवर्ट और एलेक स्टीवर्ट एलेक स्टीवर्ट ने 1989 में श्रीलंका के खिलाफ अपना डेब्यू किया था। उन्होंने कुक के बाद इंग्लैंड की तरफ से सबसे ज्यादा 133 टेस्ट मैच खेले हैं। वह आक्रामक सलामी बल्लेबाज़ थे। लेकिन उनके साथी जैक रसेल के खराब प्रदर्शन के चलते वह टीम में बतौर विकेटकीपर खेलते थे। स्टीवर्ट ने 2003 में अपना आखिरी वनडे मैच खेला था। उनके नाम टेस्ट में 8,463 रन और वनडे में 4,677 रन दर्ज हैं। टेस्ट में उनका उच्च स्कोर 190 है। जो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1992 में बनाया था। उनके पिता मिकी स्टीवर्ट भी एक सलामी बल्लेबाज़ थे। साथ ही वह एक विशेषज्ञ शार्ट लेग फील्डर थे। सरे की तरफ से खेलते हुए 1954 में पाक के खिलाफ उन्होंने शतक बनाया था। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू मैच में भी उन्होंने 1962 में पाक के खिलाफ खेला था। 1963-64 में वह भारत के दौरे पर बतौर उपकप्तान आये थे। उनका करियर छोटा रहा और उनके नाम सिर्फ दो अर्धशतक दर्ज है।