महान करियर की जब बात होती है, तो लोगों की जुबां पर कुछ ऐसे शब्द आते हैं... लाजवाब समर्पण, बहुत लोग इसे किस्मत भी कहते हैं। हालांकि ये सारी एक महान करियर के आकार लेने में मायने रखती हैं। लेकिन इसमें सबसे बड़ी भूमिका चयनकर्ताओं की भी होती है। जो कई खिलाड़ियों को इग्नोर करते हैं। या फिर देर से मौका देते हैं। जिससे बहुत से महान खिलाड़ियों का करियर काफी देर से शुरू होता है। साल 2000 में भारत के मध्यक्रम में और ऑस्ट्रेलिया के अंतिम एकादश में जगह पाना बेहद ही मुश्किल काम था। इस वजह से बहुत से महान खिलाड़ी टीम में जगह नहीं पा सके। लेकिन जब उन्हें मौका मिला तो देर तो हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में अहम योगदान दिया। आज हम ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं। स्टुअर्ट मैकगिल, क्रिस रोजर्स जैसे खिलाड़ी इसी युग की देन हैं: माइकल हसी हसी का कद ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज ब्रेडमैन के बराबर था। लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें देर से टीम में मौका दिया था। साल 2005 में जब हसी ने डेब्यू किया तो उनकी उम्र 30 साल थी। साथ ही हसी ने 37 वर्ष की उम्र में साल 2013 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया। वास्तव में ऑस्ट्रेलियाई टीम को हसी को युवावस्था में मौका देना चाहिए था। लेकिन उन्हें देर से मौका मिला इसलिए उनका करियर बेहद छोटा रहा। अपने 7 साल के करियर में हसी ने 79 टेस्ट मैचों में 51 के औसत से 6235 रन बनाये थे। जिसमें 19 शतक और 29 अर्धशतक लगाये थे। इसके अलावा 185 वनडे में हसी ने 48 के औसत से 5442 रन बनाये थे। उनके इसी रिकॉर्ड के चलते उन्हें मिस्टर डिपेंडेबल कहा जाता था। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के इस खिलाड़ी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना डेब्यू किया था। जिसके बाद हसी ने अगले चार मैचों में 3 शतक ठोंके थे। हसी ने आखिरी 6 टेस्ट मैचों में भी 3 शतक बनाये थे और अपनी शर्तों पर टीम से बाहर हुए थे। उन्हें इस बात का रिग्रेट रह गया था कि वह ब्रिसबेन टेस्ट में 195 रन ही बना पाए थे। मिस्बाह-उल-हक पहले टी-20 वर्ल्डकप में अपनी टीम को चैंपियन बनाने से चूकने वाले मिस्बाह-उल-हक के साथ ये मैच ताउम्र जुड़ा रहेगा। जिसके लिए उनकी काफी आलोचना हुई थी। लेकिन मिस्बाह की उम्र इस समय 42 साल की है। लेकिन वह लगातार पाकिस्तान के लिए अच्छा खेल रहे हैं। उनके नेतृत्व में पाक टीम टेस्ट में नम्बर एक भी बन चुकी है। मिस्बाह को बतौर बल्लेबाज़ देखना आपकी भूल हो सकती है। उनकी कप्तानी में असद शफीक, सरफराज अहमद और अज़हर अली जैसे खिलाड़ियों का उदय हुआ है। इसके अलावा युनिस खान का भी उन्होंने काफी साथ दिया है। मिस्बाह ने 27 साल की उम्र में अपना डेब्यू किया था। लेकिन 5 टेस्ट मैचों के बाद वह 4 साल तक टीम से बाहर रहे और साल 2007 में उनकी टीम में वापसी हुई। जहां उन्होंने 2 शतक लगाये। लेकिन कम लोगों को पता है कि मिस्बाह को उसके बाद 14 महीने टीम से बाहर रहना पड़ा था। उसके बाद वह टीम के अभिन्न अंग बने। मिस्बाह ने 69 टेस्ट में 47 के औसत से 4875 रन बनाये हैं, जिनमें 10 शतक और 36 अर्धशतक बनाये हैं। इसके अलावा 162 वनडे मैचों में मिस्बाह ने 43 के औसत से 5122 रन बनाये हैं। जोनाथन ट्राट अगर मिचेल जॉनसन की शार्टपिच गेंदे का असर मानसिक रूप से भारी न पड़ता तो जोनाथन ट्राट आज भी खेल रहे होते। 27 साल की उम्र में डेब्यू करने वाले ट्राट की उम्र अभी मात्र 35 साल है। इंग्लैंड को बैक-2-बैक एशेज जिताने वाले ट्राट काफी टैलेंटेड खिलाड़ी थे। साल 2010 में उन्होंने मेलबर्न में चौथे टेस्ट में 168 रन की नाबाद पारी खेली थी। उन्होंने जिस तरह से डेब्यू किया था, उसी तरह वह खेलते भी रहे। एशेज में ओवल में जब टीम को काफी जरूरत थी तब उन्होंने शतक बनाया था। 52 टेस्ट में 44 के औसत से ट्राट ने 9 शतक और 19 अर्धशतक की मदद से 3835 रन बनाये थे। नम्बर 3 पर बल्लेबाज़ी करने वाले ट्राट ने दो बड़े दोहरे शतक भी बनाये थे। तकरीबन डेढ़ साल बाद जोनाथन ने वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ वापसी की थी। लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें देर से मौका दिया था। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। ग्रेम स्वान स्वान ने 30 साल की उम्र में डेब्यू किया था। उन्होंने 60 टेस्ट मैच इंग्लैंड के लिए खेले थे। जिसमें 29 के औसत से 255 विकेट लिए थे। जिसमें 17 बार 5 विकेट और 3 बार एक ही मैच में 10 विकेट अपने नाम किये थे। इसके अलावा 22 के औसत से स्वान ने 1370 रन बनाये थे। स्वान को विश्वक्रिकेट में परम्परागत स्पिन गेंदबाज़ी की वापसी कराने के लिए क्रेडिट जाता है। इसके अलावा उनका एक्शन बिलकुल साफ़ सुथरा था। स्वान ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंग्लैंड को एशेज साल 2010/11 में यादगार 3-1 की जीत दिलाने में अहम योगदान निभाया था। इसके अलावा 2012 में भारत के खिलाफ भी स्वान ने इंग्लैंड को 1-2 से जीत दिलाया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ स्वान ने 15 और भारत के खिलाफ 20 विकेट लिए थे। स्वान ने सबको हैरान करते हुए 34 साल की उम्र में क्रिकेट को अलविदा कह दिया। वह 100 टेस्ट खेल सकते थे। लेकिन उन्होंने एशेज के बीच में ही संन्यास की घोषणा कर दी। सईद अजमल अजमल का क्रिकेट करियर काफी देर से शुरू हुआ और इसका अंत बेहद निराशाजनक रहा। बहुत से लोगों ने टेस्ट और वनडे में उनके करियर के अंत होने में उनके एक्शन को दोषी माना। पाकिस्तानी स्पिनर का एक्शन सदिंग्ध पाया गया था। जिसकी वजह से उन्हें गेंदबाज़ी करने से रोक दिया गया था। 35 टेस्ट मैचों में अजमल ने 178 विकेट लिए थे। जिसमें 10 बार उन्होंने 5 विकेट लिए थे। इसके अलावा 113 वनडे मैचों में अजमल ने 184 विकेट लिए थे। आईसीसी ने साल 2009 के टी-20 वर्ल्डकप की जीत के बाद उनके एक्शन को सही बताया था। लेकिन कुछ साल बाद उनके एक्शन पर एक बार फिर सवाल उठा, तो उन्हें गेंदबाज़ी करने से रोक दिया गया। अजमल ने 32 की उम्र में डेब्यू और अपना आखिरी टेस्ट 37 साल की उम्र में खेला था।