एकदिवसीय प्रारूप में बिना शतक के सर्वाधिक अर्धशतक लगाने वाले 5 क्रिकेटर

एकदिवसीय प्रारूप में बड़े बड़े क्रिकेटरों के नाम कम से कम एक शतक होता ही है। जहाँ एक ओर अगर किसी खिलाड़ी के नाम कई शतक हैं तो इसका मतलब साफ़ है कि वह खिलाड़ी बेहद प्रतिभाशाली और सुसंगत है और टीम कठिन समय में उस पर निर्भर हो सकती है, वहीं किसी की भी प्रतिभा सिर्फ शतकों की संख्या नही बताती है क्योंकि कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो एकदिवसीय शतक नहीं लगा पायें है। इनमें से कुछ ऐसे क्रिकेटर हैं जिनके नाम एकदिवसीय प्रारूप में शतक तो नहीं, लेकिन कई अर्धशतक हैं। यहां, हम ऐसे ही 5 क्रिकेटरों पर नज़र डाल रहे हैं जिनके नाम कई अर्धशतक रहे लेकिन उनके नाम कोई शतक नहीं है।

# 5 माइकल वॉन

माइकल वॉन इंग्लैंड के सर्वकालिक महान सलामी बल्लेबाजों में से एक हैं। हालांकि इंग्लैंड की टेस्ट क्रिकेट टीम के नियमित सदस्य रहे इस खिलाड़ी ने, क्रिकेट के छोटे प्रारूप में ज्यादातर संघर्ष ही किया था। हालांकि, उन्हें 2003 में एकदिवसीय टीम का कप्तान बनाया गया था और उन्होंने कुछ अर्धशतक भी जड़े, लेकिन कभी शतक नहीं बना पाये। इंग्लैंड के लिए 86 वनडे मैचों में वॉन ने केवल 27.15 के औसत से 1982 रन बनाए। हालांकि, उन्होंने 16 अर्धशतक बनाए। उनका उच्च स्कोर 90 का था, जो 5 दिसंबर, 2004 को बुलावायो में जिम्बाब्वे के खिलाफ आया था। वह उस मैच में नाबाद रहे। उनके 16 अर्धशतकों में से 4 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आये हैं और उनमें से दो बार वो नाबाद रहे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका उच्चतम स्कोर 86 रनों का रहा। # 4 किम ह्यूजेस किम ह्यूजेस को टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलियाई टीम का नेतृत्व करने के वाले पहले पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर के रूप में जाना जाता है। ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान के रूप में उनका समय बहुत बुरा रहा और फॉलो-ऑन लागू करने के बाद टेस्ट मैच हारने वाले पहले कप्तान बनने का एक शर्मनाक रिकॉर्ड उनके नाम है। ऑस्ट्रेलिया के लिए 97 एकदिवसीय मैच खेलने वाले किम ह्यूजेस ने 24 की औसत से केवल 1968 रन बनाए। हालांकि उन्होंने खेल के छोटे प्रारूप में लंबी पारी नहीं खेली, लेकिन उन्होंने कुछ अच्छे अर्धशतक बनाये। उन्होंने वनडे में 17 अर्धशतक बनाए लेकिन शतक तक पहुंचने के लिए कभी सफल नहीं हो पाये थे। उनका उच्च स्कोर 98 का था, जो कि उन्होंने 1980 में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में बनाया था।

# 3 ग्राहम थोर्प

ग्राहम थोर्प लगभग एक दशक तक इंग्लैंड के मध्य क्रम की रीढ़ की हड्डी रहे थे। उन्हें उनकी बेहतरीन कवर ड्राइव के लिए जाना जाता था। वह एक ऐसे लाजवाब क्षेत्ररक्षक भी थे, जिसे कप्तान द्वारा कहीं भी तैनात किया जा सकता था। थोर्प ने केवल 82 वनडे खेले, हालांकि वह टेस्ट टीम के नियमित सदस्य थे। अपने छोटे वनडे करियर में, उन्होंने 37.1 9 के औसत से 2380 रन बनाए। इस तथ्य के चलते कि उन्होंने मध्य क्रम में बल्लेबाजी की, उन्हें अक्सर शतक बनाने के लिए क्रीज पर अधिक समय बिताने का अवसर नहीं मिला। वह टीम को बड़े स्कोर तक पहुँचाने के लिए तेज़ी से रन बनाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने शतक लगाये बिना 21 अर्धशतक जमाए। उनका 89 का उच्च स्कोर 1996 में नीदरलैंड के खिलाफ आया था। थोर्प ने अपने 21 अर्धशतकों में से 5 न्यूजीलैंड के खिलाफ 38.30 के औसत से बनाए।

# 2 एंड्रयू जोन्स

एंड्रयू जोन्स ने 28 वर्ष की उम्र में न्यूज़ीलैंड के लिए अपने करियर की शुरुआत की। जब वह एक बार टिक जायें, तो वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी हमले को भी नष्ट करने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने करियर में अधिकांश समय नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी की। जोन्स को 1991 में श्रीलंका के खिलाफ मार्टिन क्रो के साथ टेस्ट क्रिकेट में 467 की रिकॉर्ड साझेदारी के लिए याद किया जाता है। उन्होंने न्यूज़ीलैंड के लिए 87 एकदिवसीय मैचों में 35.69 की औसत से 2784 रन बनाए। उन्होंने कभी शतक नहीं बनाया लेकिन 87 एकदिवसीय मैचों में उन्होंने 25 अर्धशतक बनाए, जिनमे 1990 में शारजाह में बांग्लादेश के खिलाफ उनकी 93 रनों की सर्वोच्च पारी शामिल है।

# 1 मिस्बा-उल-हक

मिस्बा-उल-हक पाकिस्तान के सबसे महान कप्तानों में से एक हैं। उनके स्वभाव के लिए उनकी हमेशा प्रशंसा की गई। वह एक निरंतर प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज़ थे और पाकिस्तान की टीम वनडे और टेस्ट प्रारूप में अच्छे स्कोर तक पहुँचने के लिए मध्य क्रम के इस खिलाड़ी पर लंबे समय तक निर्भर रही थी। रक्षात्मक तकनीक वाला या बल्लेबाज़ टेस्ट प्रारूप में लंबी पारी खेलने के लिए जाना जाता था, और वह विपक्षी गेंदबाजों को थका देते थे। मिस्बा ने 165 एकदिवसीय मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया और 43.40 के औसत से 5122 रन बनाए। उन्होंने 42 अर्धशतक बनाए, हालांकि वह कभी शतक नहीं जड़ सके। 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान 96 रनों का उनका उच्च स्कोर वेस्टइंडीज के खिलाफ आया था। वह नाबाद रहे और दुर्भाग्य से एक शतक से चूक गए। उन्होंने श्रीलंका और वेस्टइंडीज के खिलाफ लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और उनके खिलाफ उन्होंने क्रमश: 10 और 9 अर्धशतक बनाए। एक सच्चे क्रिकेट प्रशंसक के रूप में, आप इस बात का अफ़सोस कर सकते हैं कि मिस्बा के जैसा महान खिलाड़ी शतक लगाने के मामले में दुर्भाग्यशाली रहा था। लेखक: कौशिक तुर्लापती अनुवादक: राहुल पांडे