आईपीएल के ख़त्म होने के बाद अब टेस्ट क्रिकेट मुख्य केंद्र बन गया है और हमे अगले छह महीनों तक बिना रोक-टोक टेस्ट क्रिकेट देखने मिलेगा। इसकी शुरुआत इंग्लैंड और श्रीलंका के बीच टेस्ट श्रृंखला से हो गयी है। छोटे फॉर्मेट के क्रिकेट के मुकाबले इस लम्बे फॉर्मेट वाले क्रिकेट को खेलने के लिए एक अलग तरह की प्रतिभा की ज़रूरत होती है और इस फॉर्मेट से दूसरे फॉर्मेट के लिए अपने आप को ढालने में क्रिकेटर्स को समस्या होती है। अगर कोई खिलाडी अपने आप को ढाल भी ले तो वो विदेशी ज़मीन पर घरेलू ज़मीन के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन करने में असफल होते हैं।
टेस्ट खेलने वाली टीमों के साथ यही परेशानी है वे नई जगह में अपने आप को नहीं ढाल पाते और वहीं घरेलू टीम उन परिस्तिथियों का भरपूर फायदा उठा लेती है। सालों से ऐसे कई बल्लेबाज़ और गेंदबाज रहे हैं जिन्होंने अपने घर में तो अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वैसे प्रदर्शन विदेशी ज़मीन पर करने में असफल रहे।
हम ऐसे 5 गेंदबाज़ों की बात करेंगे जिन्होंने घर में तो अच्छा खेल दिखाया लेकिन, विदेशी ज़मीन पर उनका प्रदर्शन उस स्तर का नहीं रहा।
सूचना: यहां पर उन गेंदबाज़ों की तुलना की गयी है, जिन्होंने 100 टेस्ट विकेट लिए हैं।
#1 रविचंद्र अश्विन
तीनों फॉर्मेट में भारतीय टीम के मुख्य स्पिनर रवि आश्विन, टेस्ट मैचों में भारत के बाहर उतनी तीव्रता से विकेट नहीं लेते जितनी तीव्रता से भारत में लेते हैं। आश्विन ने 32 टेस्ट मैचों में 25.39 की औसत से 176 विकेट लिये हैं, लेकिन भारतीय ज़मीन पर और विदेशी ज़मीन पर इन आंकड़ों में बहुत फर्क है। भारत में खेले गए 19 टेस्ट मैचों में आश्विन ने 20.92 की औसत और 46.3 की स्ट्राइक रेट से 126 विकेट लिये हैं और अगर इन आकंड़ों को विदेशी जमीन पर किये प्रदर्शन से तुलना की जाय तो बहुत फर्क दिखाई देगा।
विदेशी ज़मीन पर आश्विन ने 13 टेस्ट मैचों में 36.66 की औसत और 67.5 के स्ट्राइक रेट से केवल 50 विकेट लिये हैं। विदेशों में पिच स्पिनर्स के मुताबिक़ नहीं होती, इसलिए भारतीय टीम के इस मुख्य स्पिनर को 6 साल के करियर में भारत और भारतीय महाद्वीप के बाहर बल्लेबाजों को तंग करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। कई बार विदेशों में न तो वह विकेट ले पाते हैं और न ही रन रोक पाते हैं, इससे टीम को काफी कठिनाई होती है।
आश्विन को सबसे ज्यादा संघर्ष ऑस्ट्रेलिया में करना पड़ा। वहां खेले 6 टेस्ट मैच में आश्विन ने 54.71 की औसत और 97.0 की स्ट्राइक रेट से सिर्फ़ 21 विकेट लिये हैं। ऑस्ट्रेलिया उन दोनों देशों में से एक हैं, जहां पर भारतीय टीम ने कभी टेस्ट श्रृंखला नहीं जीती और इसका सबसे बड़ा कारण है भारतीय मुख्य स्पिनर का वहां नहीं चलना।