क्रिकेट के इतिहास में कई खिलाड़ी आये और गए पर कुछ ही ऐसे भी खिलाड़ी हैं जिन्हें संन्यास के बाद भी दुनिया याद रखती है। इसी के विप्रीत कुछ ऐसे भी खलाड़ी हैं जो प्रतिभाशाली होते हुए भी अपनी पहचान बनाने में नाकामयाब रहे हैं। चाहे टेस्ट क्रिकेट हो वनडे ऐसे खिलाड़ियों को बस कुछ मौकों की तलाश होती है और मौका मिलने पर कुछ उसे भुना पाते हैं तो कुछ असफल हो जाते हैं। एशिया कप, वर्ल्ड टी-20 और फिर आईपीएल के बाद अब टेस्ट क्रिकेट का दौर चल रहा है जहां कई बड़े देश दूसरे देशों के दौरे पर हैं। मौजूदा दौर में भारत वेस्टइंडीज़ दौरे पर चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेल रही है तो, ऑस्ट्रेलिया श्रीलंका दौरे पर है वहीं पकिस्तान टीम इंग्लैण्ड के साथ टेस्ट सीरीज खेल रही है। देखा जाये तो ये सभी टीमें एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने में लगी हुई हैं। ऐसे में कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो टी-20 में बेहतरीन प्रदर्शन तो कर पाए पर टेस्ट में असफल हुए और कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं जो टेस्ट में खुद को साबित करने में लगे हुए हैं। यहां ऐसे पांच खिलाड़ी हैं जो मौजूदा दौर में टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने में लगे हुए हैं। #1 डीन एल्गर (दक्षिण अफ्रीका) दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान और सलामी बल्लेबाज़ ग्रेम स्मिथ के संन्यास के बाद प्रोटियाज़ टीम सफल सलामी बल्लेबाज़ ढूँढने में नाकामयाब रही है। स्मिथ के तुरंत बाद ही उनके साथ सलामी बल्लेबाज़ एलविरो पीटरसन ने भी क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इन खिलाड़ियों के जाने से प्रोटियाज़ टीम सलामी बल्लेबाज़ के लिए जूझ रही है। स्मिथ के जाने के बाद 29 वर्षीय डीन एल्गर ने सलामी बल्लेबाजी का भार संभाला। एल्गर ने साल 2012 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पर्थ में अपना डेब्यू किया। एल्गर ने 25 टेस्ट मैचों में 36.73 के औसत से 1249 रन बनाये जिसमें चार शतक भी शामिल हैं। एल्गर ने श्रीलंका के विरुद्ध 2014 में खेलते हुए गाले में शतक भी लगाया था। उसके बाद एल्गर ने 2015-16 में इंग्लैण्ड के विरुद्ध 118* और 40 रनों की शानदार पारी भी खेली थी। इस बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भी एल्गर प्रोटियाज़ टीम में जगह बनाने में असफल रहे हैं। #2 असद शफीक (पाकिस्तान) पाकिस्तान के बेहतरीन बल्लेबाज़ युनिस खान और मिस्बाह-उल-हक़ की मौजूदगी में पकिस्तान टीम यूएई में रन बनाने के लिए संघर्ष कर रही थी। तभी टीम में पहली बार जगह पाने वाले बल्लेबाज़ असद शफीक ने बेहतरीन बल्लेबाज़ी करते हुए टीम को मुसीबत से निकाला और उस समय रन बनाया जब पूरी टीम रन बनाने में असफल हो रही थी। साल 2010 में सलमान बट, मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ के स्पॉट फिक्सिंग मामले के बाद टीम पूरी तरह बिखर चुकी थी। तब उस दौरान पकिस्तान के लिए अजहर अली की मौजूदगी में एक फ़रिश्ता बनकर आये असद शफीक ने इस मौके को भुनाया और टीम के लिए कई शानदार प्रदर्शन किये। शफीक ने 47 टेस्ट मैचों में 43.15 के शानदार औसत से 2762 रन बनाये और पाकिस्तानी मध्यक्रम को एक मजबूती प्रदान की। शफीक ने इसके अलावा कई बेमिसाल परियां खेली पर टीम में लगातार अपनी जगह बनाने में नाकामयाब रहे हैं। #3 बीजे वाटलिंग (न्यूज़ीलैंड) वाटलिंग एक बेहतरीन बल्लेबाज़ के साथ साथ एक अच्छे विकेटकीपर भी हैं, पर दिग्गज बल्लेबाज़ ब्रेंडन मैकुलम की मौजूदगी में वाटलिंग के प्रदर्शन को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। अफ़सोस की बात ये है कि मैकुलम के संन्यास के बाद भी वाटलिंग टीम में जगह बनाने में असमर्थ रहे और केन विलियमसन को उनकी जगह टीम में शामिल किया गया। साल 2009 में अपना डेब्यू करने वाले वाटलिंग एक बेहतरीन बल्लेबाज़ थे और एक से ज्यादा मौकों पर उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाज़ी करते हुए टीम को संकट से उभारा है। साल 2015 में वाटलिंग ने श्रीलंका के विरुद्ध बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए 124 रन और 142 रनों की पारी खेली थी और दूसरे टेस्ट में भी अपनी टीम को संकट से निकाला था। इंग्लैण्ड के विरुद्ध भी वाटलिंग ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था और शानदार 120 रनों की पारी खेली थी। इन सब के बावजूद वाटलिंग टीम में जगह बनाने में असमर्थ रहे हैं। #4 मोमिनुल हक़ (बांग्लादेश) बांग्लादेश टीम भले ही वनडे क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करती चली आरही है पर टेस्ट क्रिकेट में उसे अपनी पहचान बनाना अभी भी बाकी है। पर इस टीम के लिए एक अच्छी खबर ये रही है कि टीम को एक मोमिनुल हक़ के रूप में एक अच्छा बल्लेबाज़ मिला है। हक़ ने साल 2013 में श्रीलंका के विरुद्ध अपना डेब्यू किया था। अपने सफ़र की शानदार शुरुआत करते हुए हक़ ने अपनी पहली तीन पारियों में दो अर्धशतक लगाया था, जिसमें 55 रन और 64 रन की पारी शामिल है। उसके तुरंत बाद ही हक़ ने अपनी छठी पारी में अपना पहला शतक जड़ दिया और जिसमें उन्होंने न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 181 रनों की पारी खेली। उसके बाद उसी सीरीज के दूसरे टेस्ट में हक़ ने 126 रनों की नाबाद पारी खेली। हक़ डीविलियर्स के रिकॉर्ड के भी काफी नज़दीक पहुंच गए जब उन्होंने लगातार 11 टेस्ट मैचों में 50 से अधिक रन बनाये, डीविलियर्स के नाम लगातार 12 टेस्ट मैचों में 50 से अधिक रन हैं। इस बेहतरीन प्रतिभा के बावजूद भी हक़ टीम में अपनी जगह बनाने में सफल नहीं हो पाए। #5 क्रेग ब्रेथवेट (वेस्टइंडीज़) पिछले पांच साल से टेस्ट क्रिकेट खेल रहे ब्रेथवेट के नाम 29 टेस्ट मैच दर्ज हैं, जिसमें उन्होंने 33.69 के औसत से रन बनाये हैं। वेस्टइंडीज़ टीम एक लम्बे समय से सलामी बल्लेबाज़ के स्थान के लिए जूझ रही है। ब्रेथवेट के नाम टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा रन तो नहीं हैं पर बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने जो धीरज दिखाया है वो वाकई में काबिले तारीफ है। क्रीज़ पर घंटों टिक पाने की प्रतिभा की वजह से उनके अंदर एक सम्पूर्ण टेस्ट बल्लेबाज़ की झलक नज़र आती है। शायद यही वजह है कि 23 वर्षीय ये खिलाड़ी क्रिकेट के किसी और फ़ॉर्मेट में अपनी जगह बनाने में असफल रहा है। न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 129, दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध 106, इंग्लैण्ड के विरुद्ध 116 और ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 94 और 85 रन की पारी की बदौलत ब्रेथवेट एक उभरते हुए सितारे के रूप में सामने आये हैं।