पुणे टेस्ट में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। 333 रनों की हार भारतीय जमीं पर भारत को मिली दूसरी सबसे बड़ी हार है। घरेलू मैदान पर पिछले 20 टेस्ट मैच और विराट कोहली की कप्तानी में लगातार 19 टेस्ट मैचों से अजेय टीम इंडिया को हराकर कंगारुओं ने टीम इंडिया नींद से जगा दिया। कमतर आंकी जा रही ऑस्ट्रेलियाई टीम ने टीम इंडिया को 13 साल बाद उसके ही घर में हराया। भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे टेस्ट में पहली पारी में 105 और दूसरी पारी में 107 रन पर सिमट गई। दोनों ही पारियों में ओपनिंग साझेदारी की नाकामी भारतीय हार का सबसे बड़ा कारण रही। भारत को दोनों पारियों में एक बार भी अच्छी शुरूआत नहीं मिल पाई जिसका नतीजा बाद के बल्लेबाजों पर दबाव के रूप में नज़र आया। टीम इंडिया की मांग के मुताबिक स्पिन विकेट बनाया गया। पुणे का यह विकेट ऐसा था कि गेंद पहले दिन से ही कुछ-कुछ घूमने लगी थी। फिर भी ऑस्ट्रेलिया ने सम्मानजनक स्कोर बना लिया, लेकिन टीम इंडिया के बल्लेबाज स्पिनर स्टीव ओकीफ के सामने समर्पण कर बैठे। पहले टेस्ट में जीत से आगाज करने के बाद ऑस्ट्रेलिया का मनोबल बढ़ा होगा और वो सीरीज में टीम इंडिया को 4-0 से क्लीन स्वीप करने के सपने संजो रही होगी। आइए हम आपको बताते हैं वो 5 विषय जिन पर काम कर टीम इंडिया सीरीज में वापसी कर सकती है: # 1 बल्लेबाजों का लड़खड़ाना ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में जो भारतीय टीम बेहद कमजोर नजर आई। ये वही भारतीय टीम है, जिसने इंग्लैंज को 5 में से 4 टेस्ट मैचों में धूल चटाई, ये वही टीम है जिसने श्रीलंका के खिलाफ 0-1 से पिछड़ने के बाद, 2-1 से सीरीज अपने नाम की। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे टेस्ट में घुटने टेकने की बड़ी वजह थी बल्लेबाजों का फ्लॉप शो। खासकर मिस्टर डिपेंडेबल अजिंक्य रहाणे का बल्ला सफेद जर्सी में पिछले लंबे समय से खामोश है। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में रहाणे का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे टेस्ट की दोनों पारियों में भी उन्होंने निराश ही किया। युवा लोकेश राहुल पर भी टीम मैनेजमेंट ने काफी भरोसा दिखाया। उनके खराब प्रदर्शन के बाद भी उन्हें टीम में मौके दिए गए। इसके अलावा पुणे टेस्ट में भारत ने सिर्फ 5 विशेषज्ञ बल्लेबाज खिलाए थे। पुणे की पिच गेंदबाजों के लिए बेहद मददगार थी, ऐसे में अगर भारत 4 गेंदबाजों के साथ जाता तो भी उसे कोई परेशानी होती। भारतीय टीम की आदत है कि अगर एक विकेट गिर जाता है, तो विकेटों की झड़ी लग जाती है। इंग्लैंड के खिलाफ भी ठीक ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। लेकिन वो तो भला हो लोअर ऑर्डर बल्लेबाजों का जिन्होंने पारी को संभाल लिया। #2 बल्लेबाजी के लिए ज्यादा विकल्प नहीं पुणे टेस्ट में करुण नायर और अभिनव मुकुंद को बेंच पर बैठे थे। लेकिन इस दोनों ही बल्लेबाजों को बेंगलुरु टेस्ट में प्लेइंग्ल इलेवन में मौका दिया गया है। हालांकि दोनों ही बल्लेबाजों बेंगलुरु टेस्ट की पहली पारी में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे। नायर और मुकुंद दोनों को ही इंटरनेशनल लेवल का ज्यादा अनुभव भी नहीं है। इसके अलावा अजिंक्य रहाणे भी आउट ऑफ फॉर्म चल रहे हैं। रोहित शर्मा पूरी तरह फिट चुके हैं और वो विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई की ओर से शिरकत करेंगे अगर रोहित घरेलू क्रिकेट में अपनी फॉर्म और फिटनेस साबित करते हैं तो टीम मैनेजमेंट रोहित शर्मा को बाकी दो टेस्ट मैचों के लिए टीम में शामिल कर सकता है। #3 कैच पकड़ने होंगे टीम इंडिया को अपनी फील्डिंग में निरंतरता की ज़रूरत है। पुणे में टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने स्टीवन स्मिथ के कम से कम चार कैच छोड़े, मैट रेनशॉ को भी कैच आउट किया जा सकता था, लेकिन वह भी न हो सका। मैच के बाद कप्तान विराट कोहली ने भी कहा था कि लो-स्कोरिंग टेस्ट मैच में एक गलती इतनी बार करने के बाद कोई टीम जीत की हकदार नहीं होती। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ ने तीसरी पारी में मुश्किल पिच पर शतक जमाया तो इसमें मुरली विजय और अभिनव मुकुंद का भी बड़ा योगदान है। जिन्होंने उन्हें बार बार जीवनदान दिया। ऐसे में टीम इंडिया को जरूरत है कि वो अपनी इस कमी पर खास ध्यान दे। साथ ही फील्डिंग प्लेसमेंट पर ध्यान देने की भी खास जरूरत है। पिछले मैच में शॉर्ट लेग पर अभिनव मुकुंद को खड़ा किया गया जबकि पुजारा जो उस जगह के स्पेशलिस्ट हैं। वो बाउंड्री के पास खड़े नजर आए। मुकुंद ने स्मिथ के दो कैच छोड़े थे। #4 कोहली पर जरूरत से ज्यादा निर्भर जब केविन पीटरसन ने ट्वीट किया कि कोहली के आउट होने का मतलब है, टीवी बंद कर देना तो बहुत सारे क्रिकेट फैंस को 90 का दशक का वो दौर याद आ गया होगा, जब सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया की सबसे बड़ी उम्मीद हुआ करते थे। सचिन के आउट होते ही लोग अपने चैनल स्विच कर लिया करते थे। जाहिर तौर पर भारतीय टीम कोहली पर जरूरत से ज्यादा निर्भर है। कोहली के आउट होते ही भारतीय बैटिंग लाइन अप भी लड़खड़ा जाती है। पुणे टेस्ट में भारतीय मिडिल ऑर्डर उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया था। कोहली के ना चलते की सूरत में सीरीज के बाकी टेस्ट मैचों में मध्य क्रम के बल्लेनबाजों में कम से कम एक को बड़ी पारी खेलनी होगी। अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली, चेतेश्वधर पुजारा या फिर करुण नायर में से किसी को शतकीय पारी खेलकर भारत को बड़े स्कोर तक पहुंचाना होगा। अजिंक्य रहाणे का बल्ला पिछले कुछ मैचों से खामोश है। उन्हें अपने बल्ले से आलोचकों का मुंह बंद करना होगा। इन सभी बल्लेबाजों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी क्योेंकि विराट पर ज़रूरत से ज्यादा निर्भरता टीम इंडिया के लिए खतरे की घंटी है। #1 DRS का सही इस्तेमाल करना होगा डीआरएस के मामले में टीम इंडिया का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। कई मौकों पर खिलाड़ियों ने बिना सोचे-समझे ही रिव्यू की मांग की। जरूरत है कि कोहली की सेना डीआरएस को लेकर एक ठोस प्लान बनाए। खासकर रिव्यू लेने के लिए जल्दबाजी दिखाई जाती है। उस पर खास ध्यान देना होगा। खिलाड़ी अगर पूरी तरह आश्वस्त हों तो ही रिव्यू के लिए हाथ उठाएं। पिछले मैच में दोनों ही ओपनर्स ने 6 ओवर के भीतर ही दोनों रिव्यू खराब कर दिए। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया ने डिसीजन रिव्यूं सिस्टम को स्वीकार किया था। अब तक सात टेस्ट में टीम इंडिया ने बैटिंग या बॉलिंग करते हुए 55 बार इस सिस्टम की मदद ली। जिसमें से केवल 17 बार उसके पक्ष में फैसला हुआ। जाहिर है टीम इंडिया को DRS के उपयोग में ज्यादा चतुराई दिखानी होगी।