2000 के दशक के दौरान भारतीय बल्लेबाजी के स्तंभ रहे कलात्मक बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण अपने रणजी ट्रॉफी के प्रदर्शन के आधार पर ही भारतीय टीम में स्थान पक्का किया था। भारतीय टीम से अपना स्थान खोने के बाद लक्ष्मण ने रणजी ट्रॉफी का रुख किया और 1999/00 में सत्र में 1415 रन बना दिये। इस दौरान उन्होंने 9 मैचों में 8 शतक जमाये और उनका औसत 108 का था। उनके इस प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं को उन्हें फिर से टीम में शामिल करने के लिए मजबूर कर दिया। रणजी ट्रॉफी के 2015/16 सत्र में श्रेयस अय्यर ने 1321 और 2016/17 सत्र में प्रियांक पांचाल ने 1310 रन बनाकर लक्ष्मण के कीर्तिमान के पास पहुँचे थे लेकिन दोनों इसे तोड़ने में असफल साबित हुए। अय्यर और पांचाल दोनों के लिए फिर से ऐसा करिश्मा करना काफी मुश्किल काम होगा क्योंकि किसी भी बल्लेबाज के लिए निरंतर रन बनाना काफी मुश्किल कार्य होता है। वर्तमान में रणजी ट्रॉफी के संरचना में काफी बदलाव किया गया है जिसके कारण अब सभी टीमों को पहले के मुकाबले कम मैच खेलने को मिलते हैं। इसके अलावा अब खिलाड़ियों को मैचों के बीच में काफी सफर करना पड़ता है जिससे थकान भी होती है। इन सब को देखते हुए लगता है कि वीवीएस लक्ष्मण का यह कीर्तिमान अगले कुछ समय के लिए सुरक्षित ही है।