2019 विश्व कप के मद्देनज़र कुछ महत्वपूर्ण बातें

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चैंपियन्स ट्रॉफी के खत्म होने के बाद और द्विपक्षीय श्रृंखलाओं की फिर से शुरुआत के साथ ही अगले विश्व कप की उल्टी गिनती भी शुरू हो चुकी है। अब हर टीम अपनी कमजोरियों को दूर करने और आगामी विश्व कप के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश में जुट जाएगी। चैंपियन्स ट्रॉफी में हुई गलतियों से सबक लेने के लिए यह समय पूरी तरह से ठीक है, जो आगे बढ़ने में हमारे लिए मददगार साबित हो सकता है। तो इस टूर्नामेंट की किन बातों पर गौर करना चाहिए और उनसे क्या सबक लेने चाहिए? 2019 विश्व कप के मद्देनजर 5 अहम सबकः #1 सलामी बल्लेबाजों की भूमिका अहम हाल में सीमित ओवरों के खेल में अच्छे सलामी बल्लेबाजों की जरूरत को अच्छी तरह से समझा गया है। हाल ही में खत्म हुई चैंपियन्स ट्रॉफी ने एक बार फिर अच्छी और टिकाऊ सलामी जोड़ी के महत्व पर जोर डाला है। चैंपियन्स ट्रॉफी के आंकड़ों पर निगाह डाली जाए तो यह साफ होता है कि जिन टीमों ने लंबा सफर तय किया, वे काफी हद तक अपने ओपनर्स पर निर्भर थीं। अगर भारत के पास शिखर धवन और रोहित शर्मा की जोड़ी थी तो पाकिस्तानी टीम फखर जमान और बांग्लादेश तमीम इकबाल जैसे सलामी बल्लेबाजों पर निर्भर थी। रोचक तौर पर, जहां एक तरफ शर्मा और धवन की जोड़ी ने टीम को बड़ी पारी के लिए स्थाई शुरुआत देने पर जोर दिया, वहीं दूसरी ओर इकबाल और जमान जैसे खिलाड़ियों ने शुरुआती पावर प्ले ओवर्स को पूरी तरह से भुनाने की कोशिश की। चैंपियन्स ट्रॉफी में अच्छी सलामी साझेदारी एक महत्वपूर्ण कारक के तौर पर उभरकर सामने आई और जिसने खेल को खूबसूरती के साथ काफी हद तक बल्लेबाजी कर रही टीम के पक्ष में झुकाया भी। इन बातों को और 2019 के विश्व कप को ध्यान में रखते हुए अच्छे सलामी बल्लेबाजों, जो टीम को तेज और सधी हुई शुरुआत दे सकें, की जरूरत को हल्के में नहीं लिया जा सकता। #2 फिर दिखा पाकिस्तान के गेंदबाजों का डर hasan-ali-champions-trophy-india-1498890555-800 जैसे ही हम पाकिस्तानी तेज गेंदबाजों की दहशत का दौर याद करते हैं, वैसे ही हमारे जहन में वसीन अकरम, वकार यूनिस और शोएब अख्तर के नाम आते हैं। लेकिन अगर हम ऐसा सोच रहे हैं कि उस दौर को खत्म हुए वक्त हो गया है और अब पाक गेंदबाजों में वह धार नहीं है, तो हम गलत हैं। चैंपियन्स ट्रॉफी में पाक गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से इन बातों को गलत साबित कर दिया है। मोहम्मद आमिर अपने रंग में वापस आ चुके हैं और फाइनल मुकाबले में भारत के खिलाफ उनका स्पेल अभी तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था। जुनैद खान ने भी औसत से अधिक का प्रदर्शन दिखाया। ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले हसन अली ने बीच के आवरों में विकेट लेकर मैच को कई बार अपनी टीम के पक्ष में कर दिखाया। चैंपियन्स ट्रॉफी की दो सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही टीमों (भारत और इंग्लैंड) को पाकिस्तान ने अपनी धुआंधार गेंदबाजी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अगले विश्व कप में पाक की तेज गेंदबाजी विरोधी टीमों के लिए चिन्ता का सबब बनी रहेगी। #बांग्लादेश नहीं अब किसी से कमजोर banglades-new-zealand-1498890740-800 पिछले कुछ सालों में, बांग्लादेश ने कोच चंडिका हथुरुसिंघा के मार्गदर्शन में अपने खेल को बहुत हद तक निखारा है। पिछले साल लगातार घरेलू जमीन पर लगातार दो श्रृंखलाओं में उनकी सफलता ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। हालांकि, तब भी यह सवाल खड़ा रहा कि क्या विदेशी धरती पर भी वे अपना बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखने में समर्थ हैं? चैंपियन्स ट्रॉफी में अपने प्रदर्शन के जरिए बांग्लादेश ने सभी को इसका जवाब दे दिया और पहली बार आईसीसी टूर्नामेंट में सेमी-फाइनल्स तक का सफर तय करके दिखाया। टीम के पास युवा जोश और अनुभव का शानदार संयोग है। उनके पास सौम्य सरकार और मुस्ताफिजुर रहमान जैसे युवा जोश वाले कुशल खिलाड़ी भी हैं, जिनके पास शाकिब अल हसन, मुश्फिकुर रहमान और तमीम इकबाल जैसे अनुभवी खिलाड़ियों का साथ भी है। बांग्लादेश ने अपने फैन्स को निराश नहीं किया। उन्होंने सेमी-फाइनल्स तक के सफर में शानदार खेल दिखाया, जिसमें न्यूजीलैंड के साथ हुए क्वॉर्टर फाइनल मैच में शाकिब और मुश्फिकुर की शानदार शतकीय पारियों को तो भुलाया ही नहीं जा सकता। अगर बांग्लादेश अपनी क्षमताओं को इस तरह ही विकसित करता रहा तो वह 2019 विश्व कप में विरोधियों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। #4 पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गए हैं मिडिल ओवर्स eoin-morgan-champions-trophy-1498892054-800 टी-20 क्रिकेट की लोकप्रियता तेजी से बढ़ने के बाद वनडे क्रिकेट के प्रति लोगों के रुख पर संदेह गहराया था। हालांकि, हुआ यह है कि टी-20 के तेजतर्रार क्रिकेट ने वनडे में खिलाड़ियों के रवैये को बदल दिया। इन बदलावों में से एक है कि किस तरह बल्लेबाज शुरुआती और बीच के ओवरों में विकेट हाथ में रखते हुए पारी को स्थिरता देने की कोशिश करते हैं। यह टी-20 क्रिकेट का ही प्रभाव है और अब बल्लेबाज आखिरी के 10-15 ओवरों में स्कोरबोर्ड पर तेजी से रन जोड़ने की कोशिश करते हैं। मिडिल ओवर्स में पारी के बिखरने की दो घटनाएं हमने चैंपियन्स ट्रॉफी में देखीं। साउथ अफ्रीका ने भारत के अपने आखिरी 8 विकेट 51 रन पर गंवाए। जहां एक तरफ दक्षिण अफ्रीकी टीम का स्कोर 140 रन पर 2 विकेट था, वहीं वे 191 रन पर अपने सारे विकेट गवा बैठे। ऐसा ही कुछ इंग्लैंड के साथ हुआ, जब वे पाक के खिलाफ सेमी-फाइनल मुकाबले में 128 रन पर 2 विकेट के पायदान से सीधा 211 रनों पर ऑलआउट की स्थिति तक पहुंच गए। जिन टीमों ने मिडिल ओवर्स को ठीक तरह से भुनाया, उन्होंने अपनी स्थिति को बेहतर मुकाम तक पहुंचाया और वहीं दूसरी तरफ गेंदबाजी कर रही टीम ने इन ओवरों में महत्वपूर्ण विकेट चटका कर मैच का रुख भी बदल दिया। ऐसे ही समय में हसन अली जैसे गेंदबाजों ने अपना करतब दिखाया और महत्वपूर्ण विकेट झटके। अब से मिडिल ओवर्स की अहमियत काफी बढ़ गई है। गेंदबाजी करने वाली टीम रनों की रफ्तार को थामने और विकेट झटकने की कोशिश करती है, और आखिरी ओवरों तक बल्लेबाजी कर रही टीम को पस्त करने की जुगत में रहती है। #5 टीमें रनों का पीछा करने को देती हैं प्राथमिकता ben-stokes-england-australia-1498892249-800 चैंपियन्स ट्रॉफी ने एक बार फिर पिछले कुछ सालों से चले आ रहे प्रचलन पर मोहर लगा दी कि टीमें अब बड़े मैचों में भी चेज करना ही पसंद करती हैं। टॉस जीतो और सामने वाली टीम को बल्लेबाजी करने को कहो, यह आज का ट्रेंड बन गया है। बल्लेबाजों के पक्ष में जाने वाले मैचों को ध्यान में रखते हुए अब कोई लक्ष्य बड़ा नहीं लगता और कप्तान अपने दिमाग में लक्ष्य को साधने की कोशिश करते हैं। अब दिन/रात के मैचों में, जिनमें ओस गिरने की संभावना होती है, टॉस जीतने वाली टीम निश्चित तौर पर चेज करना ही पसंद करती हैं। हालांकि, चैंपियन्स ट्रॉफी कुछ और तथ्य सामने लाई। आंकड़ों के मुताबिक, चेज करने को टीमों द्वारा प्राथमिकता जरूर दी जा रही है, लेकिन इसमें कुशलता की कमी देखी गई। कुछ मैच ऐसे थे, जिनमें बड़े लक्ष्यों को शानदार तरीके से चेज किया गया। जैसे कि सबसे पहले मैच में बांग्लादेश के 305 रनों के लक्ष्य को इंग्लैंड ने हासिल किया और श्रीलंका ने भारत के 321 रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया। इनसे इतर ऐसे चौर मौके रहे, जब अच्छी टीमें दबाव के कारण चेज करने में असफल रहीं। इनमें सबसे अहम रहा फाइनल मैच, जिसमें भारत को विराट कोहली जैसे शानदार चेजर्स के होते हुए भी दबाव के आगे घुटने टेकने पड़े। आगे भी, चेजिंग को प्राथमिकता मिलती रहेगी, लेकिन टीमों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि इस कला में निपुणता आसान नहीं है और गेंदबाजी करने वाली टीम को लक्ष्य स्पष्ट रहता है और उनके पास उसे बचाने का हमेशा बेहतर मौका होता है।

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