क्रिकेट में इन दिनों लगातार मैच जीतते रहना आसान काम नहीं है, खासकर तब जब सभी टीमें आजकल मजबूत टीमें हैं। लेकिन जो टीमें आ्क्रमक रुख के साथ खेलती हैं उन्हें काफी फायदा होता है, खासकर विदेशी सरजमीं पर इसका बहुत बड़ा फायदा होता है। इसी वजह से टेस्ट मैचों में भारत की 17 लगातार न हारे टेस्ट खेलना काबिलेतारीफ है। टेस्ट इतिहास में केवल 3 ही ऐसी टीमें हुई हैं जिन्होंने लगातार 17 से ज्यादा टेस्ट मैच नहीं हारा । वेस्टइंडीज की टीम ने 1982-84 में 27 मैच जीते थे, इंग्लैंड की टीम ने 1968-71 के बीच में 26 और 1959-61 के बीच में 18 मैच जीते थे। वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 1999-2001 के बीच में 18 मैच और 2005-08 के बीच में 22 मैच जीते थे। भारतीय टीम के इस बेहतरीन प्रदर्शन के प्रमुख कारण हैं। घरेलू सीरीज का फायदा, खिलाड़ियों की बेहतरीन फॉर्म, अनुकूल परिस्थितियां कई सारी वजहें रहीं। इससे पहले 1985-87 में भारतीय टीम लगातार 17 मैच से नहीं हारी थी, और 1979-80 में 15 मैचों में वो हार से दूर रही थी। लेकिन इस बार का भारतीय टीम का प्रदर्शन बहुत ही खास है, क्योंकि इस बार भारतीय टीम में ज्यादातर युवा खिलाड़ी हैं और कई ऐसे खिलाड़ी भी खेल रहे हैं जो अपनी फॉर्म वापसी के लिए संघर्ष कर रहे थे। यहां हम आपको बता रहे हैं क्यों भारतीय टीम 17 टेस्ट मैचों में अजेय रही। इस जीत की शुरुआत श्रीलंका के खिलाफ मैच से हुई थे तब से भारतीय टीम की जीत का सिलसिला लगातार जारी है। इसमें कप्तान विराट कोहली की कप्तान के तौर पर पहली टेस्ट जीत भी शामिल है। 1. घरेलू सरजमीं पर 11 मैच 17 मैच जो भारत ने खेले हैं उनमें से 11 मैच भारतीय सरजमीं पर खेले गए हैं। 2 मैच श्रीलंका में और 4 मैच वेस्टइंडीज में हुए हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि घरेलू सरजमीं पर खेलने से ही भारतीय टीम इतने मैच जीत सकी, लेकिन हां घरेलू परिस्थितियों का फायदा कुछ ना कुछ तो मिलता तो जरुर है। खासकर टेस्ट क्रिकेट में घरेलू पिच का खासा महत्व होता है। भारतीय टीम भाग्यशाली रही कि उसने 11 मैच तो अपनी पिच पर खेले इसके बाद उपमहाद्वीप की टीम श्रीलंका के खिलाफ मैच खेला। हां वेस्टइंडीज का दौरा जरुर भारतीय टीम ने किया था, लेकिन सबको पता है कि कैरिबियाई टीम इस फार्मेट में संघर्ष कर रही है। वहीं भारतीय टीम ने इस दौरान अपने बेंच स्ट्रेंथ को भी काफी आजमाया। जब आप अपनी घरेलू पिच पर खेल रहे होते हैं तो बेंच पर बैठे खिलाड़ियों को आजमाना काफी आसान हो जाता है। उन्हें खेलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती है। 2. अश्विन की शानदार वापसी और जडेजा की बेहतरीन गेंदबाजी भारतीय टीम की जीत की सबसे बड़ी वजह रही एक्शन में बदलाव करने के बाद रविचंद्रन अश्विन की बेहतरीन वापसी। अश्विन ने अपनी गेंदबाजी का बारीकी से विश्लेषण किया और कोच से बात करके काफी मेहनत की। इसके बाद जब वो भारतीय टीम में लौटे तो पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक गेंदबाज वो लग रहे थे। दूसरी तरफ जडेजा के रुप में उन्हें बेहतरीन जोड़ीदार मिला। जडेजा ने अपनी कसी हुई गेंदबाजी से अश्विन के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया। पिछले 2 सालों में 30 से ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों के न्यूनतम औसत की बात करें तो अश्विन पहले और जडेजा दूसरे नंबर पर हैं। 20 अगस्त 2015 से लेकर अश्विन ने 19.39 की औसत से 114 विकेट चटकाए हैं, इस दौरान अश्विन ने 13 बार एक पारी में 5 विकेट लिया। इस लिस्ट में श्रीलंकाई स्पिनर रंगना हेराथ टॉप पर हैं, जबकि 21.22 की औसत से 59 विकेट चटकाकर जाडेजा तीसरे नंबर पर हैं। अश्विन और जडेजा की जोड़ी ने कई मैचों में भारतीय टीम को जीत दिलाई। इन दोनों की शानदार गेंदबाजी का ही नतीजा है कि भारतीय टीम पिछले एक सालों में कोई भी मैच नहीं हारी है। 3. निचले क्रम के बल्लेबाजों का शानदार प्रदर्शन निचले क्रम के बल्लेबाज अक्सर विरोधी टीम के लिए सिरदर्द साबित होते हैं और अगर बल्लेबाज फॉर्म में हों तो टीम की जीत की संभावना काफी बढ़ जाती है। भारत की जीत में भी निचले क्रम की उपयोगी पारियाों का बड़ा योगदान रहा है। 20 अगस्त 2015 से लेकर भारतीय लोअर ऑर्डर के बल्लेबाजों (8-11) ने 56 पारियों में 26.74 की औसत से 1471 रन जोड़े हैं। केवल इंग्लैंड के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने ही भारतीय लोअर ऑर्डर से ज्यादा रन बनाए हैं। इंग्लिश लोअर ऑर्डर ने 1757 रन बनाए हैं। वहीं लोअर ऑर्डर का दूसरा सबसे बेहतरीन औसत न्यूजीलैंड की टीम का है। कीवी टीम के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने 20.19 की औसत से रन बनाए हैं। इस दौरान 2 शतकीय और 4 अर्धशतकीय साझेदारियां हुईं। यहां हमें ये बात बिल्कुल भी नहीं भूलनी चाहिए कि अश्विन ने इस दौरान कई अहम मौकों पर नंबर 6 पर बल्लेबाजी कि जिससे भारतीय टीम को एक अतिरिक्त गेंदबाज खिलाने का मौका मिला। 4. कप्तान का बेहतरीन प्रदर्शन किसी भी टीम की जीत के लिए और उस टीम में सकारात्मक बदलाव के लिए कप्तान का फॉर्म बेहद जरुरी होता है। भारतीय टीम इस मामले में काफी भाग्यशाली रही कि उसे विराट कोहली जैसा कप्तान मिला। कोहली इस वक्त अपने करियर के सबसे बेहतरीन फॉर्म में हैं। इस साल वो 3 दोहरे शतक लगा चुके हैं। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में केवल 5 खिलाड़ी ऐसा कर पाए हैं, जिनमें से एक विराट कोहली भी हैं। 20 अगस्तर 2015 से अब तक कोहली ने 61.08 की औसत से 4 शतक और 4 अर्धशतक लगाते हुए 1527 रन बनाए हैं। कप्तानों में केवल कुक का ही कोहली से रिकॉर्ड बेहतर है। कुक ने 46.97 की औसत से 1785 रन बनाए हैं। औसत के मामले में कोहली दूसरे नंबर पर रहे, पहले नंबर पर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ हैं जिन्होंने 64.04 की औसत से 1409 रन बनाए। कोहली को कप्तानी तब मिली जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में लगातार 4 टेस्ट शतक जड़ा। हालांकि वो सीरीज भारत 0-2 से हार गया था। लेकिन उस सीरीज में रन बनाने से कोहली का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया। वो आत्मविश्वास उनकी कप्तानी में भी झलका, जब कई मौकों पर उन्होंने आगे बढ़कर टीम को लीड किया।5. शतक और 5 विकेट का कारनामा 20 अगस्त 2015 से लेकर अब तक भारतीय टीम ने शानदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी की है। इस दौरान 8 खिलाड़ियों ने 21 शतक लगाए। इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई टीम टॉप पर है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने इस दौरान 25 शतक लगाए। वहीं गेंदबाजी में एक पारी में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में भारतीय टीम इस दौरान शीर्ष पर रही। भारतीय गेंदबाजों ने 19 बार 5 विकेट लेने का कारनामा किया। इनमें से अश्विन ने सबसे ज्यादा बार 5 विकेट लिए। न्यूजीलैंड की टीम इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। कीवी टीम ने 10 बार 5 विकेट चटकाए। गेंदबाजी औसत में भी भारतीय टीम इस दौरान दूसरे नंबर पर रही। भारतीय टीम का गेंदबाजी औसत इस दौरान 24.34 रहा। केवल बांग्लादेशी गेंदबाजों का ही औसत इस दौरान भारतीय गेंदबाजों से बेहतरीन रहा। बांग्लादेशी गेंदबाजों का औसत 23.52 रहा। लेकिन बांग्लादेश ने इस दौरान 2 सिर्फ 2 टेस्ट मैच खेले हैं, जबकि भारतीय टीम ने 18 टेस्ट मैच खेले। 28.26 की औसत के साथ दक्षिण अफ्रीका की टीम इस मामले में तीसरे नंबर पर रही। वहीं इस दौरान बल्लेबाजी औसत में भारतीय टीम दूसरे नंबर पर रही। भारतीय टीम ने 39.15 की औसत से 8928 रन बनाए। इस लिस्ट में 40.17 की औसत के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम टॉप पर है। वहीं इंग्लैंड की टीम ने इस दौरान 12187 रन बनाए। तो कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि भारत ने हर विभाग में शानदार प्रदर्शन किया, चाहे वो गेंदबाजी रही हो या फिर बल्लेबाजी।