कल्पना कीजिए जिस चीज के लिए आपने बहुत मेहनत की हो और आपको उससे काफी उम्मीद रही हो, लेकिन जब आपको वो मौका मिले तो आप पहली ही गेंद पर आउट हो गए हों । हाल ही में पाकिस्तान के रिजवान मोहम्मद अपने डेब्यू मैच में शून्य पर आउट हुए हैं । हैमिल्टन में न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में रिजवान मोहम्मद बिना खाता खोले आउट हो गए । रिजवान मोहम्मद के साथ ही इंटरनेशनल क्रिकेट में 30 ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो अपने पहले टेस्ट मैच की पहली या दूसरी पारी में गोल्डन डक का शिकार हुए हैं । आइए जानते हैं इनमें से 5 ऐसे ही खिलाड़ियों के गोल्डन डक के बारे में कि कैसे वो बिना स्कोरर को परेशान किए हुए चलते बने । #5 एलिस्टेयर कैंपबेल अगर क्रमबद्ध तरीके से तुलना करें तो पहला नाम एलिस्टेयर कैंपबेल का आता है । बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 1992 से 2000 के बीच ज़िम्बाब्वे के लिए 60 टेस्ट मैच खेले । उस वक्त की बेहतरीन टीमों के खिलाफ कैंपबेल ने मैच खेला । टेस्ट क्रिकेट में उनकी एंट्री काफी स्पेशल रही । इसके एक नहीं कई कारण थे । उन्हें उनके देश के पहले टेस्ट मैच में खेलने का सौभाग्य मिला और पहली पारी में उन्होंने 45 रन भी बनाए । हालांकि दूसरी पारी में कपिल देव की गेंद पर वो बिना खाता खोले आउट हो गए । ये मैच ड्रॉ रहा था । #4 जिमी कुक इस साल के शुरूआत में स्टीफन कुक के रुप में दक्षिण अफ्रीका को स्टीफन कुक के रुप में बेहतरीन सलामी बल्लेबाज मिला । कुक ने अपने टेस्ट डेब्यू में शानदार शतक लगाया । कुक को देखकर यही लगता है कि ओपनिंग बल्लेबाजी उनकी नस-नस में भरा हुआ है । वहीं स्टीफन के पिता जिमी इंटरनेशनल क्रिकेट के सबसे दुर्भाग्यशाली खिलाड़ियों में से एक थे । रंगभेद नीति के कारण वो कभी उस शिखर तक नहीं पहुंच पाए । जिमी कुक 39 साल की उम्र में ही अपने सर्वोच्च स्थान पर पहुंच पाए । उनका डेब्यू भी काफी यादगार डेब्यू था क्योंकि उसी समय 22 साल बाद दक्षिण अफ्रीका की इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी हुई थी । लेकिन जिमी कुक का डेब्यू ऐसा था जिसे वो कभी याद नहीं रखना चाहेंगे । अपने पहले ही मैच की पहली पारी में जिमी पहली ही गेंद पर आउट हो गए । जिमी को आउट करने वाले गेंदबाज कपिल देव थे । हालांकि दूसरी पारी में उन्होंने जरुर 84 गेंदों पर 43 रन बनाए । #3 माइकल बेवन माइकल बेवन को दुनिया के बेहतरीन वनडे बल्लेबाजों में से एक माना जाता था । लेकिन उनका टेस्ट करियर कुछ खास नहीं रहा । उनके बचाव में हम इतना ही कह सकते हैं कि उन्होंने ऐसे समय खेला जब ऑस्ट्रेलिया एक ही दिन में दो अलग-अलग जगहों पर फील्डिंग कर सकता था, फिर भी दुनिया की बेहतरीन टेस्ट टीमों को हराता था । माइकल बेवन ने उपमहाद्वीप की टिपिकल स्लो और धीमे विकेट पर कराची में अपना टेस्ट डेब्यू किया था । अपने पहले ही टेस्ट मैच की पहली पारी में बेवन ने 82 रनों की शानदार पारी खेली । लेकिन दूसरी पारी में वो पहली ही गेंद पर आउट हो गए , और ऑस्ट्रेलियाई टीम जो एक समय पर 2 विकेट के नुकसान पर 172 रन बनाकर मजबूत स्थिति में दिख रही थी, महज 50 रन और जोड़कर 232 रनों पर ऑल आउट हो गई । इंजमाम-उल-हक और सईद अनवर की शानदार पारियों के दम पर पाकिस्तान ने उस मैच को 1 विकेट से अपने नाम किया । #2 क्रैग मैकमिलन क्रेग मैक्कमिलन इस समय न्यूजीलैंड के बल्लेबाजी कोच हैं । उन्हें खासतौर पर सफेद गेंद पर लंबे-लंबे हिट लगाने के लिए जाना जाता था । न्यूजीलैंड के बाकी बल्लेबाजों में वो झलक आज भी देखने को मिलती है । लेकिन उनका टेस्ट रिकॉर्ड उतना शानदार नहीं रहा । मैक्कमिलन ने टेस्ट मैचों में 38.46 की औसत से 3116 रन बनाए । बल्लेबाजी के साथ मैक्कमिलन सीम गेंदबाजी भी काफी अच्छी करते थे और फील्डर भी काफी बेहतरीन थे । उन्होंने 25 या उससे ज्यादा बार अर्धशतक लगाया । लेकिन मैक्कमिलन का डेब्यू एक ऐसे गेंदबाजी आक्रमण के सामने हुआ जो उस समय का सबसे खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण था । वो टीम थी ऑस्ट्रेलिया और गेंदबाज थे ग्लेन मैक्ग्रॉ और शेन वॉर्न । पहली पारी में तो मैक्कमिलन ने 54 रन बनाए लेकिन दूसरी पारी में खेल के आखिरी दिन बिना खाता खोले चलते बने । #1 क्रिस गेल क्रिस गेल का नाम जेहन में आते ही उनकी विस्फोटक और तूफानी पारियों की याद अपने आप आ जाती है । हालांकि इससे पहले करियर के शुरुआती दिनों में वो एक दुबले-पतले युवा क्रिकेटर थे जो क्रिकेट में अपना करियर स्थापित करने की कोशिश कर रहा था । लेकिन एक बार करियर जमने के बाद वो वेस्टइंडीज की क्रिकेट लीगेसी को अब तक बनाए रखे हुए हैं, जो नई बॉल की खतरनाक जोड़ी कर्टनी वॉल्श और कर्टली एंब्रोस भी अब तक नहीं कर पाई । अपने डेब्यू मैच की पहली पारी में ही गेल ने अपने लंबे-लंबे शॉट से दिखा दिया था कि वो कितने विस्फोटक बल्लेबाज हैं और उनमें छक्के की मारने की कितनी क्षमता है । लेकिन दूसरी पारी में जिम्बॉब्वे के महान क्रिकेटर हीथ स्ट्रीक ने उन्हें खाता खोलने का मौका नहीं दिया । वेस्टइंडीज की पूरी टीम महज 147 रनों पर आउट हो गई । अंत में वेस्टइंडीज ने खेल के आखिरी दिन जिम्बॉब्वे को महज 63 रनों पर ऑल आउट कर 35 रनों से रोमांचक जीत दर्ज की ।