पिछले कुछ दिनों से भारतीय क्रिकेट मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से हारने के बाद कोच कुंबले ने इस्तीफा दे दिया। इससे एक बार फिर उनके और कप्तान कोहली के बीच की कलह उभर कर सामने आ गई। पिछले काफी समय से कोहली और कुंबले के बीच अनबन की खबरें आ रही थीं। इससे पहले भी ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली के बीच का विवाद काफी सुर्खियों में रहा था। कोहली और कुंबले के बीच विवाद ने अब एक बार फिर से इस बहस को जन्म दे दिया है कि कोच और कप्तान के बीच किस तरह बॉंड होना चाहिए। ऐसा नही है कि सिर्फ कोच और कप्तान के बीच विवाद ही होते रहे हैं बल्कि क्रिकेट इतिहास में दोनों के बीच कई अच्छे रिलेशनशिप भी देखने को मिले हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 मशहूर कोच और कप्तान के रिलेशनशिप के बारे में। 5. मिकी ऑर्थर और ग्रीम स्मिथ मिकी ऑर्थर और ग्रीम स्मिथ ने मिलकर साउथ अफ्रीका की क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 2005 में जब वो दक्षिण अफ्रीका के कोच बने तब उनके लिए सफर आसान नहीं रहा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले 2 टेस्ट सीरीज में प्रोटियाज टीम को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। हालांकि वनडे सीरीज में साउथ अफ्रीका ने ऐतिहासिक चेज किया। प्रोटियाज ने कंगारु टीम के 434 रनों के लक्ष्य को हासिल करके इतिहास रच दिया। ग्रीम स्मिथ ने उस मैच में तूफानी पारी खेली। ऑर्थर और स्मिथ की जुगलबंदी में साउथ अफ्रीकन टीम लगातार बेहतर होती गई। टीम ने इस दौरान कुछ ऐतिहासिक मैच जीते। धीरे-धीरे साउथ अफ्रीका वनडे और टेस्ट दोनो में एक मजबूत टीम बन गई। इस समय की साउथ अफ्रीका की टीम सीनियर खिलाड़ियों ने उसी समय अपना डेब्यू किया था। जिनमें एबी डिविलियर्स, जेपी डुमिनी, डेल स्टेन और हाशिम अमला जैसे प्लेयर हैं। इस समय मिकी ऑर्थर पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कोच हैं और उनके अंडर में टीम काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। हाल ही में उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता है। 4. एंडी फ्लावर और एंड्र्यू स्ट्रॉस 2009 में एंड्र्यू स्ट्रॉस और एंडी फ्लावर को नया रोल मिला। एंड्रयू स्ट्रॉस इंग्लैंड के कप्तान बने और एंडी फ्लावर कोच नियुक्त किए गए। दोनों को उस समय टीम की कमान सौंपी गई जब इंग्लिश क्रिकेट पूर्व कप्तान केविन पीटरसन और पीटर मूर्स के बीच विवाद के दौर से गुजर रही थी। इस मुश्किल समय में टीम को बिल्ड अप करना कतई आसान नहीं था। लेकिन स्ट्रॉस और फ्लावर ने विवादों के दौर को पीछे छोड़कर टीम में नई जान फूंकी। दोनों के नेतृत्व में इंग्लैंड ने 2009 की एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को हराया। इसके बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज भी इंग्लैंड ने जीती। 2010 में एंड्र्यू स्ट्रॉस के ना होने के बावजूद एंडी फ्लावर ने इंग्लिश टीम का काफी अच्छे से नेतृत्व किया और टीम को टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब दिलाया। 2011 में फिर से स्ट्रॉस और एंडी फ्लावर की जोड़ी ने एशेज सीरीज में इंग्लैंड को जीत दिलाई। इंग्लिश टीम ने कंगारुओं को 3-1 से मात दी। इसके बाद स्ट्रॉस घर के अंदर और घर के बाहर एशेज सीरीज जीतने वाले पहले पहले इंग्लिश कप्तान बन गए। 2011 के आईसीसी वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी। थोड़े समय के लिए ही दोनों की जोड़ी के अंदर इंग्लैंड ने 2011 में टेस्ट चैंपियनशिप भी जीती।3. जॉन राइट और सौरव गांगुली इस जोड़ी ने भारतीय क्रिकेट की दशा और दिशा ही बदल दी। जॉन राउट और सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के वो दो नाम हैं जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता के दम पर भारतीय क्रिकेट को एक अलग ही ऊंचाई पर ले गए। इन दोनों की जोड़ी ने जब भारतीय क्रिकेट की कमान संभाली तब टीम निराशा के दौर से गुजर रही थी लेकिन दोनों ने टीम में एक नई जान फूंकी। दोनों के नेतृत्व में भारतीय टीम ने मशहूर कोलकाता टेस्ट जीता और ऑस्ट्रेलियाई टीम को 2-1 से सीरीज में मात दी। वो मैच वीवीएस लक्ष्मण और हरभजन सिंह के बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए जाना गया। दोनों ने खासकर युवा क्रिकेटरों पर ज्यादा फोकस किया जिससे भारतीय टीम निडर होकर क्रिकेट खेलने लगी। जिसका एक बेहतर और यादगार उदाहरण लॉर्ड के मैदान में खेले गए नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मैच में देखने को मिला जहां युवराज सिंह और मो.कैफ के शानदार खेल से ट्रॉफी भारत के नाम हुई। हालाकि ये मैच इसलिए भी लोगों के जहन में है क्योंकि इस मैच के बाद गांगुली ने अपनी शर्ट उतार कर जीत का जश्न मनाया। भारतीय टीम की इस बेहतर फॉर्म के बदौलत टीम 2003 के ICC वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंची कप्तान गांगुली और कोच राइट के राज में भारतीय टीम को धोनी, युवराज, हरभजन, जहीर, आशीष नेहरा समेत कई और बेहतरीन क्रिकेटर मिले। 2. जॉन बुकानन और रिकी पोंटिंग 1999 में जॉन बुकानन को उस ऑस्ट्रेलियाई टीम की कोचिंग की जिम्मेदारी मिली जो पहले से ही काफी मजबूत थी। कप्तान रिकी पोटिंग के साथ मिलकर बुकानन ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को और नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। पोटिंग और बुकानन की ट्यूनिंग से ऑस्ट्रेलियाई टीम लगभग अजेय हो गई। दोनों की अगुवाई में ऑस्ट्रेलियाई टीम को कई ऐतिहासिक जीत मिली। इसी दौरान कंगारु टीम ने लगातार 16 टेस्ट मैच जीतने का रिकॉर्ड बनाया और वर्ल्ड कप में 23 जीत का रिकॉर्ड बनाया। 2002 और 2006 की एशेज सीरीज में जीत, 2004 में भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जीत, 2006 में चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब और 2003 और 07 में दो लगातार वर्ल्ड कप दोनों की सफलता की कहानी खुद ब खुद बयां कर रहे हैं। हालांकि सफलता के इस दौर में बुकानन को शेन वॉर्न जैसे ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से आलोचना भी झेलनी पड़ी। हालांकि रिकी पोटिंग ऑस्ट्रेलिया की वर्ल्ड कप में सफलता का श्रेय मुख्य रुप से बुकानन को ही देते हैं। 1.गैरी कर्स्टन और महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट इतिहास की शायद सबसे मशहूर कोच और कप्तान की जोड़ी। गैरी कर्स्टन भी स्वभाव में जॉन राइट की ही तरह थे और धोनी के साथ मिलकर उन्होंने भारतीय क्रिकेट में सफलता की नई इबारत लिखी। इंडियन क्रिकेट टीम की कोचिंग और कप्तानी करना कतई आसान नहीं होता है क्योंकि भारतीय टीम से लोगों की उम्मीदें काफी रहती हैं। शुरुआत में दोनों को ज्यादा सफलता नहीं मिली लेकिन थोड़ा समय बिताने के बाद भारतीय टीम ने इतिहास लिखना शुरु कर दिया। भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और न्यूजीलैंड को लगातार सीरीज में हराया। 2009 में भारतीय टीम टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन बनी और तब भारत ने आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब जीता। टीम इंडिया के बहुत सारे खिलाड़ियों ने गैरी की कोचिंग की तारीफ की। खिलाड़ियों को उनसे काफी कुछ सीखने का मौका मिला। यहां तक कि धोनी ने भी कर्स्टन को भारतीय क्रिकेट के लिए काफी अच्छा माना। 2007 वर्ल्ड कप में पहले ही दौर से बाहर हो जाने के बाद 2011 के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के ऊपर काफी दबाव था। वर्ल्ड कप भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में खेला जा रहा था, ऐसे में भारतीय टीम से उम्मीदें और ज्यादा बढ़ गई थी। टीम के ऊपर काफी दबाव था कि वो वर्ल्ड कप जीते। धोनी और कर्स्टन की अगुवाई में भारतीय टीम ने करोड़ों देशवासियों के 28 साल लंबे इंतजार को खत्म कर दिया। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने वानखेड़े स्टेडियम में छक्का लगाकर भारत की झोली में दूसरा वर्ल्ड कप डाल दिया। लेखक-कोव्वली तेजा अनुवादक- सावन गुप्ता