महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 5 महत्वपूर्ण जीत जिन्हें भूला दिया गया

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महेंद्र सिंह धोनी वह नाम है जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। धोनी आईसीसी की तीनों ट्रॉफी (वर्ल्ड टी20, विश्वकप और चैंपियंस ट्रॉफी) जीतने वाले दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं। इसके अलावा उनकी ही कप्तानी में भारतीय टीम पहली बार आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंची है।

धोनी ने लगभग 10 सालों तक भारतीय टीम को कमान सम्भाली है। इस दौरान टीम ने 331 मैचों खेले जिसमें 178 जीत (27 टेस्ट, 110 एकदिवसीय और 41 टी20) हासिल हुए है। सबसे ज्यादा मैचों में कप्तानी का रिकॉर्ड भी धोनी के पास ही है। धोनी की कप्तानी में भारत को कई यादगार जीत मिली है, जिसमें 3 आईसीसी ख़िताब, 2014 में लॉर्ड्स पर टेस्ट जीत, 2010 एशिया कप और कई अन्य।

धोनी ने अपनी कप्तानी में कई बड़ी जीत हासिल की है लेकिन कई महत्वपूर्ण जीतों को लोग भूल भी गये हैं। आज हम धोनी की कप्तानी में मिली ऐसी ही 5 जीत के बारे में बात करेंगे जिसे लोग भुला चुके हैं

#5 दूसरा टी20 अंतरराष्ट्रीय बनाम श्रीलंका (मोहाली) 2009

दिसम्बर 2009 तक टी20 क्रिकेट जगह में पांव फैला चुका था। टी20 विश्वकप और आईपीएल के 2-2 संस्करण हो चुके थे और कई अन्य लीग भी जन्म ले चुकी थी।

आईपीएल की वजह से टी20 क्रिकेट का केंद्र बन चुका भारत उस समय क्रिकेट के छोटे प्रारूप में कुछ खास नहीं कर पा रहा था। श्रीलंका के खिलाफ मोहली में होने वाले टी20 मैच से पहले भारतीय टीम उस साल खेले 9 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में 6 हार झेल चुकी थी।

सीरीज में 1-0 की बढ़त बना चुकी श्रीलंका की टीम टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए मोहाली की सपाट पिच पर 206 रन बना दिए। सीरीज के पहले भी मैच में श्रीलंका की टीम ने 200 का आंकड़ा पार किया था।

फील्डिंग में भारतीय टीम का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था और टीम ने उस मैच में कुल 6 कैच छोड़े थे। इसके अलावा गेंदबाजों ने 17 वाइड गेंदें भी फेंकी और 7 रन लेग-बाई से मिली जिसकी मदद से अतरिक्त रनों की संख्या 24 हो गयी।

वीरेंदर सहवाग और गौतम गंभीर की सलामी जोड़ी ने टीम को शानदार शुरुआत दी। दोनों ने पॉवरप्ले के 6 ओवरों में 58 रन जुटाए और गम्भीर पॉवरप्ले की अंतिम गेंद पर आउट हो गये। पहला विकेट गिरने के बाद सभी को चौंकते हुए कप्तान धोनी बल्लेबाजी करने आये।

सहवाग ने 36 गेंदों पर 64 रनों की धुआंधार पारी खेली और कप्तान के साथ 50 रनों की साझेदारी निभाकर 11वें ओवर में आउट हो गये।उनके विकेट गिरने पर बल्लेबाजी करने आये बर्थडे बॉय युवराज सिंग ने 25 गेंदों पर 60 रन बनाकर मैच भारत के खाते में डाल दिया। उन्होंने अपनी इस आकर्षक और तेजतर्रार पारी में 3 चौके और 5 छक्के लगाये। भारत ने उस समय के टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों का सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल कर सीरीज 1-1 से बराबर कर लिया।

संक्षिप्त स्कोर: भारत 211/4 (सहवाग 64, युवराज 60 नाबाद, धोनी 46, मलिंगा 1/28) ने हराया श्रीलंका 206/7 (संगकारा 59, जयसिंघे 38, युवराज 3/23)#4 पहला टेस्ट बनाम न्यूज़ीलैंड (हैमिलटन)- 2009

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टी20 सीरीज 0-2 से हारने के बाद भारतीय ने एकदिवसीय मैचों की सीरीज में जीत हासिल कर अपना दबदबा जमाना शुरू कर दिया था। धोनी की में, भारतीय ने पहली बार न्यूज़ीलैंड की सरजमीं पर द्विपक्षीय सीरीज अपने नाम किया था।

जब टेस्ट सीरीज की शुरुआत हुई तो भारतीय टीम का आत्मविश्वास काफी ऊपर था। भारत को कीवी सरजमीं पर टेस्ट मैच जीते 33 साल हो चुके थे और टीम जीत के इरादे से हैमिलटन के मैदान पर उतरी।

हरी पिच पर भारत ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया। पिच और मौसम तेज गेंदबाजों के लिए मददगार थी और भारतीय गेंदबाजों ने इसका काफी फायदा उठाया।ज़हीर खान और इशांत शर्मा ने मेजबानों के बल्लेबाजी को तहस-नहस करते हुए 60 रनों पर ही 6 बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया। हालांकि, उसके बाद जेसी राईडर और डेनियल विटोरी के शतकों की मदद से न्यूज़ीलैंड की टीम 279 तक पहुंच गयी।

जवाब में भारतीय बल्लेबाजों ने न्यूज़ीलैंड के गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया। सचिन तेंदुलकर के 160 (42वां टेस्ट शतक), गंभीर के 72 और द्रविड़ के 66 रनों की बदौलत भारत ने 520 रन बना डाले।

पहली पारी में 241 रनों से पिछड़ने के बाद दूसरी पारी में भी न्यूज़ीलैंड की शुरुआत कुछ खास नहीं रही और पारी की तीसरी ही गेंद पर मैकन्तोश आउट हो गये। पहला विकेट गिरने का बाद मेजबानों की पारी कुछ सम्भली लेकिन जैसे ही मार्टिन गप्टिल आउट हुए उसके बाद विकेटों की झड़ी लग गयी और पूरी कीवी टीम 279 पर पवेलियन लौट गयी। भारत को जीत के लिए 39 रनों का लक्ष्य मिला जिसे टीम ने आसानी से हासिल कर सीरीज में 1-0 से निर्णायक बढ़त बना लिया। भारत ने इस बढत को बरकरार रखा और सीरीज अपने नाम कर लिया।

संक्षिप्त स्कोर: न्यूज़ीलैंड 279 (विटोरी 118, रायडर 102, इशांत 4-73, मुनाफ 3-60) और 279 (मैकुलम 84, फ्लिन 67, हरभजन 6-63) हारा, बनाम भारत 520 (सचिन 160, गंभीर 72, द्रविड़ 66, ज़हीर 51 नाबाद, मार्टिन 3-98) और 39/0 (गंभीर 30 नाबाद)#3 दूसरा टेस्ट बनाम ऑस्ट्रेलिया (बेंगलौर)- 2010

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मोहाली में हुए पहले टेस्ट मैच में मात्र 1 विकेट से रोचक जीत दर्ज करने के बाद भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरा और अंतिम टेस्ट मैच खेलने बैंगलौर पहुंची।

बल्लेबाजी के लिए अनुकूल पिच पर टॉस जीतके पहले बल्लेबाजी करते हुए कंगारू टीम ने पिच का पूरा फायदा उठाया। मार्कस नार्थ के शतक (128), वाटसन (57), पोंटिंग (77) और पैन (59) के अर्धशतकों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 478 रन बनाये।

जवाब में भारतीय टीम की शुरुआत कुछ खास नहीं रही और स्कोर 38/2 हो गया था। पिच पर बल्लेबाजी कर रहे युवा मुरली विजय का साथ देने सचिन तेंदुलकर पहुंचे। इन दोनों ने दवाब से निकलते हुए 308 रनों की साझेदारी निभाई। विजय ने अपने करियर का पहला शतक जमाया वहीं तेंदुलकर ने 214 रनों की यादगार पारी खेली। इन पारियों की बदौलत भारतीय टीम 495 तक पहुँच गयी और उसे 17 रनों की मामूली बढ़त मिली।

भारत की पारी मैच के चौथे दिन दोपहर में खत्म हुए और सभी को लगने लगा कि मैच ड्रा होने वाला है। लेकिन भारत की शानदार गेंदबाजी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी 223 पर सिमट गयी और भारत को जीत के लिए 207 का लक्ष्य मिला।

मैच में 77 ओवर बाकि थे और पिच गेंदबाजों को मदद भी दे रही थी। ऐसे में यह काम मुश्किल था लेकिन अपना पहला टेस्ट खेल रहे पुजारा के 72 और सचिन तेंदुलकर के नाबाद 53 भारत ने लक्ष्य हासिल कर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम कर ली।

संक्षिप्त स्कोर: ऑस्ट्रेलिया 478 ( नार्थ 128, पोंटिंग 77, ओझा 3-120, हरभजन 4-148) और 223 (पोंटिंग 72, ज़हीर 3-41, ओझा 3-57) हारा बनाम भारत 495 (तेंदुलकर 214, विजय 139, जॉनसन 3-105) और 207/3 (पुजारा 72, तेंदुलकर 53 नाबाद)

#2 दूसरा एकदिवसीय बनाम दक्षिण अफ्रीका (जोहान्सबर्ग)- 2011

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टेस्ट सीरीज के 1-1 से बराबरी पर छूटने के बाद भारत ने एक मात्र टी20 मैच के सीरीज को जीत लिए और फिर एकदिवसीय सीरीज के पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका ने आसान जीत दर्ज की।

दूसरे मैच में कोई भी भारतीय बल्लेबाज पिच पर टिक कर नहीं खेल पाया और भारतीय पारी 190 पर सिमट गयी। एक समय भारत काफी अच्छी स्थिति में था और टीम का स्कोर 150/3 ही था लेकिन युवराज सिंह का विकेट गिरने के बाद अचानक विकेट गिरने का सिलसिला शुरू हो गया और 40 रनों के भीतर 7 बल्लेबाज पवेलियन लौट गये। शीर्ष के सभी 5 बल्लेबाजों को अच्छी शुरुआत मिली पर वो लम्बी पारी नहीं खेल पाये।

दक्षिण अफ्रीका की तरह से स्मिथ और मिलर ठीक कर बल्लेबाजी कर रहे थे और टीम आसान जीत दर्ज करने की तरफ बढ़ रही थी। मेजबान टीम का स्कोर 150/4 था और भारत की साडी उम्मीदे लगभग खत्म हो चुकी थी लेकिन क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल ऐसे ही नहीं कहा जाता है।

दक्षिण अफ्रीका के विकेट गिरने लगे और भारतीय टीम को जीत की उम्मीद दिखने लगी। प्रोटियस टीम का स्कोर 177/8 हो गया और धोनी की सेना में जीत की उम्मीद दिखने लगी थी। लेकिन पर्नेल और मोर्ने मोर्केल के एक-एक चौके की मदद से मैच फिर दक्षिण अफ्रीका के पाले में जाता दिखने लगा। तभी पासा फिर पलटा, जब जीत के लिए 3 रनों की जरूरत थी तभी मुनाफ पटेल ने मोर्ने मोर्केल को चलता किया। उसके बाद अंतिम जोड़ी क्रीज पर थी। सोत्सोबे ने 1 रन लेकर स्ट्राइक पार्नेल को सौंप दी। लेकिन पार्नेल ने रन बनाने के चक्कर में गेंद बैकवर्ड पॉइंट पर खड़े युवराज सिंह के हाथों में मार दिया दिया और भारत ने यह रोचक मुकाबला 1 रन से जीत लिया।

संक्षिप्त स्कोर: भारत 190 (युवराज 53, धोनी 38, सोत्सोबे 4-22, मोर्केल 2-32) ने हराया दक्षिण अफ्रीका 189 (स्मिथ 77, मुनाफ 4-29, ज़हीर 2-37)#1 तीसरा एकदिवसीय बनाम पाकिस्तान (दिल्ली)- 2013

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भारत और पाकिस्तान के बीच 5 साल बाद द्विपक्षीय सीरीज हो रही थी और पाकिस्तान की टीम सीमित ओवरों के मैचों की सीरीज खेलने भारत आई थी। 2 टी20 मैचों की सीरीज 1-1 से बराबरी पर छुट गयी वहीं पाकिस्तान ने 3 अमिचों की एकदिवसीय सीरीज के पहले दोनों मैच जीत सीरीज अपने नाम कर लिया था।

भारतीय बल्लेबाज पाकिस्तान की खतरनाक तेज गेंदबाजी का मुकाबला नहीं कर प् रहे थे और कप्तान धोनी के अलावा किसी भी बल्लेबाज ने सीरीज में 50 रनों का आंकड़ा भी पार नहीं किया था। दिल्ली में हुए तीसरे और अंतिम मैच में भारत की टीम अपनी साख बचाने उतरी।

पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय बल्लेबाज पहले 2 मैचों की तरह ही पाकिस्तान के गेंदबाजों का सामना नहीं कर पाएँ और पूरी टीम 167 रनों पर आउट हो गयी।

167 रनों को बचाने मैदान पर उतरी भारतीय टीम ने तेज गेंदबाजों के मददगार पिच कर अच्छी शुरुआत की। भुवनेश्वर कुमार ने अपने स्विंग का जलवा दिखाया हुए पाकिस्तान का स्कोर 7 ओवरों में 14/2 हो गया लेकिन उसके बाद नासिर जमशेद और मिस्बाह-उल-हक़पिच पर जम गये। भारतीय स्पिन जोड़ी अश्विन और जडेजा ने भी अपने हाथ दिखाए और मिलकर 3 महत्वपूर्ण विकेट हासिल किये।

मेजबान टीम के तेज गेंदबाजों में उनके बाद पाक के बल्लेबाजों को नहीं चलने दकिया और उनका स्कोर 145/9 हो गया लेकिन अभी भी पिच पर मोहम्मद हफीज मौजूद थे। उन्होंने इशांत शर्मा की गेंदों पर चौकें जड़े और भारत पर वापस दबाव डालने की कोशिश की लेकिन इशांत ने ही हफीज का विकेट झटक भारत को जीत दिला दी और टीम घरेलू धरती पर सीरीज में सफाया होने से बच गयी।

संक्षिप्त स्कोर: भारत (धोनी 36, अजमल 5-24, मोहम्मद इरफ़ान 2-28) ने हराया पाकिस्तान 157 (जमशेद 34, मिस्बाह 3, इशांत 3-36, भुवनेश्वर 2-31)