कलाई के जादूगर होने के साथ साथ वीवीएस के पास इनती काबिलियत भी थी जिसने 2001 में भारतीय टीम का भाग्य ही पलट कर रख दिया और लक्ष्मण ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए ईडन गार्डन्स पर 281 रन बनाए। लक्ष्मण का उतार चढ़ाव से बरा करियर वहां से एक नई दिशा में बढ़ा और वो संन्यास के वक्त तक टीम के पर्मानेंट मेंमबर थे जिसने भारतीय टीम का भाग्य बेहद कलात्मक और पेशेवर रूप से बदला। लेकिन लक्ष्मण अपने जमाने के टॉप बल्लेबाज़ों में नहीं गिने जाते , एक्सपर्ट्स कहते हैं क्योंकि वो अर्धशतकीय पारियों को बड़े शतकों में तबदील नहीं करते थे। लेकिन असलीयत ये भी है कि लक्ष्मण से पहले सहवाग, गंभीर , द्रविड़ और तेंदुलकर जैसे बल्लेबाज़ आते थे, जिससे वीवीएस के पास ज्यादा देर तक खेलने और रन बनाने का मौका भी नहीं होता था। लक्ष्मण ने अपने करियर में 46 की औसत से रन बनाए , जो कि नंबर 5 और 6 पर बल्लेबाज़ी करने वाले बल्लेबाज़ के लिए बेहद सम्माननीय है । वीवीएस ने अपने करियर की बेस्ट औसत 47.79 अपने 116 टेस्ट में हासिल की । हालांकि इतनी ऊंचाई छूने के बाद भी वीवीएस महान बल्लेबाज़ों की लिस्ट में शुमार नहीं हो सके।