इस दशक में हार की कगार से वापसी करते हुए टीम इंडिया की 5 यादगार जीत

टेस्ट क्रिकेट में वापसी करते हुए जीत दर्ज करना हमेशा विशेष माना जाता रहा है। बतौर क्रिकेट लेखक आप खेल में चाहकर कुछ भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन जब टीम पूरी तरह से मुकाबले में बैकफुट पर हो और जीत जाए तो इससे ज्यादा रोमांटिक कुछ और हो ही नहीं सकता है। भारत ने बीते 5 साल में ऐसे कई मुकाबले जीते हैं, जब ऐसा लग रहा था कि टीम अब हार जाएगी। ज्यादातर ये मुकाबले घरेलू मैदान पर ही रहे हैं, साथ ही एक मैच एडिलेड ओवल में भी टीम ने जीता था। चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे और विराट कोहली ने बल्लेबाज़ी में तो गेंदबाज़ी में आर आश्विन और जडेजा ने टीम को ऐसे मौकों पर जीत दिलाने में अहम योगदान दिया है। 90 के दशक में टीम यही खासियत नहीं थी। यहां हम ऐसे 5 मुकाबलों के बारे में बता रहे हैं, जब टीम इंडिया ने हार के कगार से वापसी करते हुए मैच में जीत हासिल की। हमने इसमें 2010 के बाद के मुकाबलों को शामिल किया है:


बैंगलोर, 2017 बनाम ऑस्ट्रेलिया

हाल ही मिली ये जीत भारत की सबसे यादगार जीत में से एक है। जहां टीम पुणे में हुए टेस्ट मैच में हार गयी थी। तो वहीं इस मैच में भी पहली पार में 200 रन नहीं छु पायी थी। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए टीम इंडिया 189 रन पर ढेर हो गयी। ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नाथन लियोन ने 50 रन देकर 8 विकेट लिए थे। जवाब ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली पारी में 276 रन बनाये और 87 रन की अहम लीड हासिल कर ली। एक समय ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 269/6 था लेकिन गेंदबाजों ने बढ़िया खेल दिखाया। जडेजा ने 63 रन देकर 6 विकेट लिए। भारत ने अपनी दूसरी पारी में रहाणे और पुजारा के शतकीय साझेदारी के दम पर मैच में वापसी की। टीम का स्कोर एक समय 238 पर 4 विकेट था। लेकिन उसके बाद टीम ढह गयी और 274 रन पर ऑलआउट हो गयी। इस तरह ऑस्ट्रेलिया के सामने 188 रन का लक्ष्य भारत रख पाया। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 112 रन बनाकर ऑलआउट हो गयी। आश्विन ने 41 रन देकर 6 विकेट लिए। केएल राहुल ने दोनों पारियों में अर्धशतक बनाया जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ़ द मैच चुना गया। बैंगलोर, 2012 बनाम न्यूज़ीलैंड पहली पारी कोई टीम जब ज्यादा रन बनाती है, तो उसके खिलाफ वापसी करना सहज नहीं होता है। लेकिन टीम इंडिया ने साल 2012 में ये करके दिखाया है। न्यूज़ीलैंड ने 90.1 ओवर में रॉस टेलर के 113 रन की शतकीय पारी की मदद से 365 रन बनाये थे। जवाब में भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही थी। पहले 27 रन पर 2 उसके बाद 80 रन पर 4 विकेट गिर गये। लेकिन कोहली ने शतकीय पारी खेलते हुए पहले रैना के साथ 99 रन की और उसके बाद धोनी के साथ 122 रन की साझेदारी निभाई। 353 रन पर भारतीय टीम ऑलआउट हो गयी। इस तरह कीवी टीम को 12 रन की बढ़त मिली थी। दूसरी पारी में न्यूज़ीलैंड ने 248 रन बनाये इस तरह भारत के सामने 261 रन का लक्ष्य था। जिसे भारतीय टीम ने 5 विकेट खोकर हासिल कर लिया। कोहली इस पारी में भी अर्द्धशतक बनाया। लॉर्ड्स, 2014 बनाम इंग्लैंड भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में पटौदी ट्राफी का दूसरा टेस्ट मैच खेला गया था। भारतीय टीम ने पहली पारी में 295 रन बनाये। इस पारी में भारत की शुरुआत अच्छी नहीं थी। लेकिन रहाणे के शतक से भारतीय टीम 145/7 से 295 रन तक पहुँचने में कामयाब रही। इंग्लैंड ने जवाब में 319 रन बनाये और 24 रन की बढ़त हासिल की। गैरी बैलेंस ने शतकीय पारी खेली थी। भारत ने दूसरी पारी में बेहतरीन बल्लेबाज़ी की, टीम ने 342 रन बनाये। भारत का स्कोर एक समय 237 पर 7 था। लेकिन उसके बाद 334 रन पर 8 हो गया था। जडेजा और भुवनेश्वर कुमार ने 99 रन की साझेदारी की थी। इंग्लैंड की टीम को 319 रन का लक्ष्य मिला लेकिन वह 223 रन ऑलआउट हो गयी। इशांत शर्मा ने 74 रन देकर 7 विकेट लिए थे। मोहाली, 2010 बनाम ऑस्ट्रेलिया बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी में पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने शेन वाटसन के शतक की बदौलत पहली पारी में 428 रन बनाये। जवाब में भारतीय टीम ने सचिन के 98 और रैना के 86 रन की बदौलत 405 रन बनाये। मैच का पासा पलटा और ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में मात्र 192 रन पर ऑलआउट हो गया। हालाँकि उनके सलामी बल्लेबाजों ने 87 रन की साझेदारी की थी। इस तरह भारत को जीत के लिए 217 रन का लक्ष्य मिला। लेकिन भारतीय टीम की हालत तब नाजुक हो गयी, जब टीम 76 पर अपने 5 खिलाड़ियों को खो दिया। उसके बाद स्कोर 124 पर 8 हो गया। लक्ष्मण और इशांत शर्मा ने नौवें विकेट के लिए 81 रन की साझेदारी की। शर्मा 92 गेंदों में 32 रन बनाकर आउट हो गये। लेकिन भारत ये मैच एक विकेट से जीतने में कामयाब रहा। दिल्ली, 2011 बनाम वेस्टइंडीज दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में विंडीज ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय किया। शिवनारायण चंद्रपाल के 118 रन की शतकीय पारी के बदौलत विंडीज ने पहली पारी में 304 रन बनाये। भारतीय टीम ने पहली पारी में 89 रन तक एक विकेट भी नहीं खोया लेकिन उसके बाद टीम 209 रन पर ऑलआउट हो गयी। भारतीय टीम का और बुरा हाल होता अगर द्रविड़ और इशांत 49 रन और न जोड़ देते। क्योंकि 154 रन तक 7 खिलाड़ी आउट हो चुके थे। भारतीय टीम इस तरह वेस्टइंडीज से 96 रन पीछे रह गयी। लेकिन दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया। अश्विन ने तो 47 रन देकर 6 विकेट लिए। विंडीज की पूरी टीम 180 रन पर ऑलआउट हो गयी थी। जिसमें डैरेन सैमी ने नौंवे नम्बर पर 37 गेंदों में 42 रन बनाये थे। 276 रन का लक्ष्य भारत ने सहवाग, सचिन और लक्ष्मण के अर्धशतकों की बदौलत आराम से हासिल कर लिया।

Edited by Staff Editor
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