5 महान क्रिकेटर जिन्हें कभी कप्तान नहीं बनाया जाना चाहिए था

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क्रिकेट के मैदान पर 11 खिलाड़ियों का नेतृत्व करना कोई छोटी बात नही है। इस भूमिका में विभिन्न तरह की परिस्थितियों में अलग-अलग प्रकार के नेतृत्व कौशल और अत्यधिक मानसिक स्थिरता की आवश्यकता है। हालांकि कुछ क्रिकेटर इसमें काफी सफल हुए है, पर कई खिलाड़ी इस भूमिका में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं, जिससे उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन में कमी आई। ये खिलाड़ी न केवल लंबे समय तक खुद को बतौर कप्तान स्थापित करने में विफल रहे, बल्कि अपनी टीमों के पतन का कारण भी बने। हम यहाँ ऐसे पांच ऐसे क्रिकेटरों पर नजर डालते हैं जो निश्चित रूप से अपने देश के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक हैं, लेकिन कप्तान के रूप में सफलता नहीं हासिल कर सके।


# 5 हाशिम अमला

हाशिम अमला आसानी से आधुनिक युग के महान बल्लेबाजों में से एक है। दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी लाइनअप के प्रमुख बल्लेबाज़ को 2014 में ग्रीम स्मिथ के बाद टेस्ट टीम की कप्तानी सौंपी गई थी। जैसा कि उम्मीद थी ग्रीम स्मिथ कि रिप्लेस करना आसान नहीं था। स्मिथ ने 109 मैचों में टीम की कप्तानी की थी। अमला ने हालांकि एक सफल शुरुआत का आनंद लिया, जिससे श्रीलंका, ज़िम्बाब्वे और वेस्टइंडीज को दक्षिण अफ्रीका ने हराया। लेकिन उसके बाद उनकी कप्तानी का सबसे कठिन दौर उनके सामने आया जिसमें कई हार का सामना करना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका के भारत दौरे पर, उनकी टीम को मेजबान टीम के हाथों 3-0 से हार मिली, जिसके बाद वे इंग्लैंड से भी हार गए। यही वह दौर था जब अपने ऊपर और कप्तानी को लेकर सवालो की झड़ी लगने के बाद अमला ने कप्तानी छोड़ दी। उन्होंने 14 मैचों में टीम का नेतृत्व किया, जिसमें से टीम ने 4 में जीत दर्ज की और 4 में हार गए, साथ ही जीत का प्रतिशत 28.6% रहा। अमला ने अपने 14 मैचों में एक कप्तान के रूप में 894 रन बनाए। ये रन 49.66 के एक बेहतरीन औसत से बनाये थे, जिसमें 3 शतक भी शामिल रहे है। जैसा कि उम्मीद थी कप्तानी छोड़ने के बाद अमला एक बार बल्लेबाजी में चमके। अपने कैरियर के शेष 95 मैचों में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लिये 7684 रन बनाये हैं, जो करीब 50 के औसत से आये है। # 4 एंड्रयू फ्लिंटॉफ bcf3e-1507958638-800 एंड्रयू फ्लिंटॉफ को क्रिकेट के बेहतरीन उभरते हुए ऑलराउंडर के तौर पर एक बार देखा गया था। हालांकि, लगातार चोट लगने के कारण, फ्लिंटॉफ से जो उम्मीद की गयी थी, वह पूरा करने में वो सक्षम नही रहे। समय की एक छोटी सी अवधि में, इस ऑलराउंडर ने कई चीजों को देखा। इंग्लैंड के सबसे ज्यादा चर्चित खिलाड़ी के रूप में उभरने से लेकर मीडिया के पसंदीदा खिलाड़ी के रूप में उभरने तक सब कुछ फ़्लिंटॉफ़ ने देखा। 2006 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान टीम के कप्तान के रूप में उनकी पहली नियुक्ति थी। फ्लिंटॉफ ने एक ओर सभी को प्रभावित किया जब उन्होंने इंग्लैंड को श्रृंखला के तीसरे टेस्ट मैच में एक शानदार जीत दिला दी, जो कि मुंबई में खेली गई थी। हालांकि, उनके प्रशंसकों को निराशा तब हुई जब, एकदिवसीय श्रृंखला में इंग्लैंड के हार जाने से सभी की उम्मीदों को झटका लगा। पूर्व कप्तान को 2006 एशेज में ऑस्ट्रेलिया द्वारा मिली हार से भारी अपमान का सामना करना पड़ा था। फ्लिंटॉफ ने 11 मैचों में इंग्लैंड का नेतृत्व किया, जिसमें से टीम केवल दो मैचों में जीत पाई और सात मैचों में हार गई। कप्तानी के दौरान, फ्लिंटॉफ ने 29.78 के औसत से 566 रन बनाये। जबकि कप्तानी छोड़ने के बाद उन्होंने 29 .54 के औसत से 3279 रन बनाए। # 3 क्रिस गेल f9bcf-1507915821-800 क्रिस गेल का नाम लंबे-लंबे छक्कों और बड़े-बड़े शॉट्स खेलने के लिए लिया जाता है। अगर दिन उनका है तो वह किसी भी,गेंदबाजी आक्रमण को तहस नहस कर सकते हैं। ब्रायन लारा के संन्यास लेने के बाद क्रिस गेल को वेस्टइंडीज की कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। यह उम्मीद थी कि गेल अपनी टीम को एक आक्रमक और अधिक सफलता दर वाली टीम में बदल देंगे, मगर परिणाम उसके विपरीत रहे और वेस्टइंडीज की टीम को बड़ी-बड़ी हार का सामना करना पड़ा। टीम की अगुवाई करने के दबाव के कारण गेल की खुद की बल्लेबाजी उतनी अच्छी नहीं रह गई। उन्हें अपने निराशाजनक प्रदर्शन के लिए अलग-अलग जगहों से भारी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिससे वह इस दौरान टीम को भी प्रेरित करने में सक्षम नही रहे। क्रिस गेल ने कुल 53 मैचों में वेस्टइंडीज का नेतृत्व किया, जिसमें से टीम केवल 17 ही जीती। यह तथ्य कि उनके कार्यकाल में उनकी टीम ने 30 मैचों में हार का सामना किया, उनकी कप्तानी पर सवाल खड़े करता है। कप्तानी से हटने के बाद से बतौर खिलाड़ी, गेल एक बार फिर अपने शानदार प्रदर्शन में वापस आ गये। और यहाँ तक की आईसीसी विश्व कप 2015 के दौरान एकदिवसीय मैच में एक दोहरा शतक भी बनाया। # 2 ब्रायन लारा fd7ad-1507959413-800

ब्रायन लारा क्रिकेट के खेल को खेलने वाले सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से रहे हैं। उन्होंने विंडीज़ का 1997 से 2006 तक 9 वर्षों तक नेतृत्व किया। एकदिवसीय क्रिकेट में लारा का अच्छा रिकॉर्ड था, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में लारा वह सफलता नही हासिल कर सके जिसकी उनकी टीम को जरुरत थी। कई लोगों ने इस आकर्षक खिलाड़ी को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जो कि अपनी ओर से रिकार्डों की तो बरसात करता रहा मगर अपनी टीम को बतौर कप्तान प्रभावित नहीं कर सके। लारा विंडीज को एक प्रभावशाली दल नही बना सके और अंततः अपने इस टीम की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने में विफल रहे। उनकी कप्तानी में वेस्टइंडीज की टीम ने कुल 47 टेस्ट मैच में केवल 10 मैच जीते। हालांकि लारा उन चुनिन्दा खिलाड़ियों में से एक थे, जिन्होंने कप्तानी की वजह से अपने निजी प्रदर्शन को प्रभावित नहीं होने दिया। वास्तव में उन्होंने कप्तान के रूप में 5 शतक बनाए। यहां तक कि इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 400 रनों की उनकी ऐतिहासिक पारी भी इसी दौरान आयी थी।
# 1 सचिन तेंदुलकर f28ae-1507960243-800

वास्तव में सचिन तेंदुलकर इतिहास के सबसे बड़े बल्लेबाज है। बल्लेबाजी के दौरान उनके नाम पर कई रिकॉर्ड हैं, जिसमें वनडे और टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा रनों का रिकॉर्ड भी शामिल है। हालांकि लगभग 24 साल के उनके करियर में सिर्फ एक चीज उनके लिए जो नकारात्मक थी वो थी उनकी कप्तानी के तहत भारतीय टीम का प्रदर्शन। सचिन तेंदुलकर दो बार टीम के कप्तान । उनका पहला कार्यकाल 1996 में था, तब टीम को सफलता नहीं मिली और उन पर काफी सवाल खड़े किए गए। इसके बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ दी। इसके बाद जब मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कप्तानी छोड़ी तब फिर उन्हे कप्तान बनाया गया लेकिन इस बार भी वो सफल नहीं हो पाए और सचिन को कप्तानी छोड़नी पड़ी। हालांकि उनकी बल्लेबाजी में कोई कमी नहीं थी, लेकिन मास्टर ब्लास्टर अपनी टीम को जीत के लिए प्रेरित करने के लिए काफी कुछ नहीं कर सके। जब 2007 में राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम की कप्तानी छोड़ी तब भी सचिन को कप्तान बनने का ऑफर दिया गया लेकिन उन्होंने इसे विनम्रता से खारिज कर दिया। ,इसके बदले, उन्होंने एमएस धोनी का नाम आगे किया। सचिन ने 25 टेस्ट में भारत का नेतृत्व किया, जिसमें से टीम केवल 4 मैचों में जीती। टेस्ट में, टीम का नेतृत्व करते हुए, मास्टर-ब्लास्टर ने 2054 रन बनाए जिसमें 7 शतक शामिल थे। ये रन 51.35 के एक प्रभावशाली औसत से बनाए गए थे। उनके शेष 13,867 रन तब बने, जब वह टीम के कप्तान नहीं थे।