क्रिकेट के खेल में तेजी और रोमांच को बढ़ाने के लिए 2005 में टी-20 के प्रारूप को शामिल किया गया। इसके बाद विशेषज्ञों के बीच बहस शुरू हुई कि इस प्रारूप ने क्रिकेट के अनुशासन और तकनीक में किस तरह के बदलाव किए? क्या खिलाड़ी इस प्रारूप के लिए तैयार हैं? क्या इसके बाद टेस्ट क्रिकेट खत्म हो जाएगा? इन सभी सवालों के साथ टी-20 ने अपना सफर शुरू किया। खैर वक्त के साथ-साथ खिलाड़ियों और फैन्स, दोनों के ही बीच इस प्रारूप की लोकप्रियता बढ़ती गई। लेकिन इन सब बदलावों के बीच, टेस्ट और वनडे क्रिकेट के कुछ दिग्गज बल्लेबाज ऐसे थे, जो इस प्रारूप के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए। उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। आइए जानते हैं ऐसे 5 दिग्गज खिलाड़ियों के बारे में, जिन्हें इस प्रारूप में हाथ नहीं आजमाने चाहिए थेः
#5 शिवनारायण चंद्रपॉल
वेस्टइंडीज़ के दिग्गज बल्लेबाज़ शिवनारायण चंद्रपॉल ने अपने दो दशकों के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में बेहद लोकप्रियता हासिल की। टेस्ट और वनडे करियर मिलाकर उनके नाम पर 20,000 से ज्यादा रन दर्ज हैं। टेस्ट में उनका औसत 51.37 का है और उनके नाम पर 30 शतक दर्ज हैं। अब बात करते हैं टी-20 के आंकड़ों के बारे में। उन्होंने वेस्टइंडीज की ओर से कुल 22 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच खेले और उनका औसत (20.17) बेहद खराब रहा। टी-20 में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर सिर्फ 41 रनों का है। 2010 में उन्होंने अपना आखिरी टी-20 मैच खेला था। वर्ल्ड टी-20 से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने घरेलू स्तर पर भी टी-20 मैच खेले, लेकिन उनमें भी उनका औसत सिर्फ 23 का रहा।
#4 सौरव गांगुली
सौरव गांगुली का नाम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बाएं हाथ के बल्लेबाजों में शुमार होता है। उनकी आक्रामकता, कप्तानी और कवर पर उनके शॉट्स की मिसालें दी जाती हैं। स्पिनर्स को खेलने में माहिर गांगुली का करियर भी काफी लंबा रहा। टेस्ट में उनका औसत 42.17 का और वनडे में 41.02 का रहा। क्रिकेट के इस तेजतर्रार प्रारूप (टी-20) का आगमन तब हुआ, जब गांगुली का करियर अपने आखिरी दौर में था। इस प्रारूप में उम्र खासतौर पर मायने रखती है, क्योंकि यह बहुत तेज रफ्तार का खेल है। यही वजह थी कि गांगुली इस प्रारूप में अपना जादू नहीं दिखा सके। आईपीएल में उन्होंने केकेआर और पुणे वॉरियर्स की ओर से मैच खेले। टी-20 के हिसाब से उनका स्ट्राइक रेट (107) औसत से भी कम रहा।
#3 वीवीएस लक्ष्मण
क्रिकेट फैन्स जब भी विश्वविजेता ऑस्ट्रेलिया का जिक्र करते हैं, तब वीवीएस लक्ष्मण का नाम उनके जहन में आता है। क्रिकेट जगत में जब भी यादगार मैच जिताने वाली पारियों की बात होती है, तब लक्ष्मण का जिक्र आता है या यूं कहें कि 'वेरी-वेरी स्पेशल लक्ष्मण'। वनडे क्रिकेट में भी लक्ष्मण ने अच्छा नाम कमाया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी विश्वसनीयता असाधारण है। टेस्ट में उनका औसत 46 का है। एक असाधारण कलात्मक बल्लेबाज होने के बावजूद लक्ष्मण टी-20 क्रिकेट में बेअसर रहे। उन्होंने हैदराबाद और केरल की टीमों से आईपीएल सीजन खेले, लेकिन उनका औसत (22.31) और स्ट्राइक रेट (114.71) कुछ असरदार नहीं रहे।
#2 रिकी पॉन्टिंग
ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट इतिहास में अगर कोई खिलाड़ी सर डॉन ब्रैडमैन जैसा दर्जा हासिल कर सका तो वह हैं रिको पॉन्टिंग। एक खिलाड़ी, जिसके नाम पर तीन विश्वकप और 71 अंतरराष्ट्रीय शतक दर्ज हों, उसे दिग्गज कहना लाज़िमी है। पॉन्टिंग ने टेस्ट करियर में 51.85 के औसत के साथ 13,378 रन बनाए। वनडे में भी उनका औसत (42.03) लाजवाब है। वनडे करियर में उनके नाम पर 30 शतक दर्ज हैं। बेहतरीन प्रतिभा के बावजूद यह खिलाड़ी टी-20 के प्रारूप में अपने बनाए मानकों पर ही खरा नहीं उतर सका। टी-20 में उनका औसत लगभग 25 का है और स्ट्राइक रेट महज 121 का। अंतरराष्ट्रीय टी-20 करियर में पोंटिंग सिर्फ 2 अर्धशतक ही बना सके और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 98 का है।
#1 जेम्स ऐंडरसन
इंग्लैंड के इस प्रतिभाशाली तेज गेंदबाज ने आखिरी अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच 2009 में खेला था। टेस्ट क्रिकेट में जेम्स ऐंडरसन का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। वनडे और टेस्ट दोनों ही में ऐंडरसन, इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। वनडे में उनके नाम पर 269 विकेट दर्ज हैं। उनका इकॉनमी रेट (4.92) भी शानदार है। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 56.5 के स्ट्राइक रेट के साथ 523 झटके हैं। हालांकि, टी-20 में ऐंडरसन की यह धार देखने को नहीं मिली। टी-20 में ऐंडरसन विकेटों के लिए जूझते दिखाई दिए। उनका इकॉनमी रेट (8.16) और औसत (31.40) भी खराब ही रहा। लेखकः तेजस अनुवादकः देवान्श अवस्थी