इसी श्रृंखला में भारत ने एक और सफलतम रन चेज़ किया था। इस मैच का सबसे बड़ा हाई-लाइट वो था जब धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ क्लिंट मैके के खिलाफ आखिरी ओवर में 112 मीटर लंबा गगनचुंबी छक्का लगाया था। 270 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम आखिरी ओवरों में अच्छी स्थिति में थी। क्रीज़ पर रैना और धोनी की जोड़ी मौजूद थी और भारत को जीत के लिए 4 ओवरों में 31 रनों की दरकार थी जिसका मतलब था भारत को अंतिम चार ओवरों में 7.75 की दर से रन बनाने थे। रैना और धोनी के बीच साझेदारी ने भारत को जीत के कगार पर ला खड़ा कर दिया था। लेकिन उसके बाद रैना और फिर जडेजा के जल्दी आउट हो जाने की वजह से सारा दारोमदार कप्तान धोनी पर आ गया। भारत को अंतिम ओवर में जीत के लिए 13 रनों की दरकार थी। मैके द्वारा किये गए अंतिम ओवर की तीसरी गेंद पर धोनी ने छक्का लगाकर और अगली दोनों गेंदों पर 2 और तीन रन लेकर भारत को यह मैच जीता दिया था।