सौरव गांगुली ने टीम इंडिया के लिए क्या योगदान दिया है ये कहने की ज़रूरत नहीं है। वो भारतीय क्रिकेट टीम के महानतम खिलाड़ियों और कप्तानों में से एक रहे हैं। राहुल द्रविड़ ने एक बार गांगुली के बारे में कहा था कि “ऑफ़ साइड में पहले भगवान हैं और उनके बाद सौरव गांगुली”। वो एक ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने 20 साल बाद टीम इंडिया को वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में पहुंचा दिया था। हाल ही में दादा ने अपना 46वां जन्मदिन मनाया है। इस मौके पर हम उनके वनडे करियर की 5 बेहतरीन पारियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं। 98 बनाम वेस्टइंडीज़, नागपुर, 2007 इस लिस्ट में यही एक ऐसी पारी है जो 2 अंकों की है, लेकिन इसकी अहमियत किसी शतक से कम नहीं है। ग्रैग चैपल से हुए विवाद की वजह से गांगुली को कप्तानी से हाथ धोना पड़ा था और फिर वो टीम इंडिया से भी बाहर हो गए थे। उसके बाद उन्होंने घरेलू सर्क्रिट में शानदार प्रदर्शन किया था जिसकी वजह से उनकी टीम इंडिया में वापसी हुई थी। । 16 महीने बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था और दादा ने ये साबित कर दिया था कि उन्हें यूं ही चैंपियन नहीं कहा जाता। उन्होंने ऐसी बल्लेबाज़ी की थी जैसे वो कभी टीम से बाहर हुए ही नहीं थे। वो जिस किसी चीज को छू देते थे वो सोना बन जाता था। इस मैच में वो शतक बनाने से 2 रन से चूक गए थे। 98 रन के निजी स्कोर पर वो डाइरेक्ट हिट के ज़रिए रन आउट हो गए थे।127 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, जोहांसबर्ग, 2001 ये सौरव गांगुली का पहला दक्षिण अफ़्रीकी दौरा था, जहां टीम इंडिया हमेशा से जद्दोजहद करती हुई आई है। कप्तान गांगुली ने टॉस हारा और उन्हें पहले बल्लेबाज़ी का मौका मिला। प्रोटियाज टीम की तरफ से पोलक, नेल, एंटिनी, कैलिस, क्लूज़नर जैसे पेस अटैक सामने थे। हांलाकि ये सभी मिलकर भी गांगुली के सामने मुश्किल पैदा नहीं कर सके। दादा वक़्त वक़्त पर गैप में रन निकालते रहे। उन्होंने चौके छक्के की बारिश कर दी और अपने सामने किसी भी गेंदबाज़ को टिकने नहीं दिया। इस तरह उन्होंने 127 रन की शानदार पारी खेली।141 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, नैरौबी, 2000 जब टीम इंडिया आईसीसी नॉक आउट ट्रॉफ़ी में खेलने के लिए आई थी तो उनसे किसी को कुछ ख़ास उम्मीदें नहीं थीं। हांलाकि कीनिया जैसी कमज़ोर टीम को भारत ने पहले ही मैच में हरा था। लेकिन क्वॉर्टरफ़ाइनल में उसका सामना ऑस्ट्रलिया जैसी मज़बूत टीम से था। सभी भारतीय फ़ैंस ने सोचा की भारत का दौरा नहीं ख़त्म हो जाएगा लेकिन टीम इंडिया ने यादगार जीत हासिल की थी। युवराज सिंह ने इस मैच में शानदार डेब्यू पारी खेली थी और विश्व क्रिकेट में अपनी दस्तक दे दी थी। इसके बाद टीम इंडिया को सेमीफ़ाइनल में दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ खेलना था। गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया। गांगुली ने सचिन के साथ मिलकर भारत को एक मज़बूत शुरुआत दी थी। वो लगातार रन बनाते रहे और प्रोटियाज खिलाड़ियों के नाक में दम कर दिया। 30वें ओवर में वो 141 रन बनाकर आउट हो गए। उनकी इस पारी की बदौलत टीम इंडिया ने दक्षिण अफ़्रीका को बड़े अंतर से मात दी थी।183 बनाम श्रीलंका, टाउंटन, 1999 1999 के वर्ल्ड कप में गांगुली ने अपनी इस पारी से तहलका मचा दिया था। भारत के लिए उस वर्ल्ड कप की शुरुआत बेहद बुरी रही थी। टीम इंडिया को पहले 2 मैच में क्रमश: दक्षिण अफ़्रीका और ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ हार का सामना करना पड़ा था। श्रीलंका के ख़िलाफ़ भारत को ये मैच जीतना बेहद ज़रूरी थी। तब के चैंपियन के हाथों से जीत छीनना आसान नहीं था लेकिन गांगुली ने कुछ और ही सोच रखा था। पहले ही ओवर में गांगुली के ओपनिंग साझेदार सदगोपन रमेश आउट हो गए थे। ऐसा लग रहा था कि श्रीलंका ने अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए हैं लेकिन रमेश के बाद गांगुली का साथ देने राहुल द्रविड़ मैदान पर आए। पहले विकेट लेने के बाद श्रींलंकाई गेंदबाज़ जैसे एक विकेट के लिए तरस गए। इस मैच को उस वक़्त 8 साल के जोस बटलर भी देख रहे थे। इस मैच में गांगुली और द्रविड़ ने मिलकर 300 से ज़्यादा रन की साझेदारी की थी। रन बनते जा रहे थे और रिकॉर्ड टूटते जा रहे थे। स्टेडियम में मौजूद सारे दर्शक रोमांच से भर गए थे, इतने बेहतरीन मैच की उम्मीद वहां मौजूद भारतीय दर्शक को कतई नहीं थी। आख़िरकार राहुल द्रविड़ 145 रन के निजी स्कोर पर पवेलियन वापस लौट गए लेकिन गांगुली अभी भी चौके-छक्के ला रहे थे। श्रीलंका के चामिंडा वास ने 84 रन, उपासनथा ने 80 रन लुटाए थे। मुथैया मुरलीधरन भी इस मैच में कमाल दिखाने में नाकाम रहे। आख़िरी 6 ओवर में 84 रन बने थे। ये बात याद रखने वाली है कि साल 1999 का दौर था, उस वक़्त इतने ज़्यादा रन बनने की उम्मीद नहीं रहती थी। जब गांगुली आउट हुए तब वो 183 रन बना चुके थे। ये वर्ल्ड कप में किसी भी भारतीय द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा निजी स्कोर है।141 बनाम पाकिस्तान, एडिलेड, 2000 पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बनाया गया कोई भी शतक भारतीय क्रिकेट फैन्स के ज़ेहन में हमेशा ताज़ा रहता है। भारत-पाक के बीच जब भी कोई मैच होता है तो तनाव और रोमांच की कोई सीमा नहीं रहती। 1999 के करगिल युद्ध के बाद टीम इंडिया पहली बार पाकिस्तान के ख़िलाफ़ त्रिकोणीय सीरीज़ खेल रही थी। गांगुली को भी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारतीय फैन्स की मानसिकता का ज्ञान था। हांलाकि ये सीरीज़ भारत के लिए बेहद निराशजनक रही थी लेकिन गांगुली ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी ताक़त दिखाई थी। पाकिस्तान की तरफ़ से वसीम अकरम, शोएब अख़्तर और अब्दुर्र रज़्ज़ाक गेंदबाज़ी कर रहे थे। गांगुली ने इन सब गेंदबाज़ों से लड़ने का पूरा मन बना लिया था। एडिलेड में भारत को पहले बल्लेबाज़ी करने का मौका मिला। सक़लैन मुश्ताक भारत के ख़िलाफ़ ख़तरनाक स्पिन गेंद फेंक रहे थे। वसीम अकरम भी घातक गेंद फेंकने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। 2 हफ़्ते पहले ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में वनडे शतक लगाया था, इस मैच में गांगुली को उसी कामयाबी को दोहराने का मौका मिला और उन्होंने टीम इंडिया को जीत दिला दी थी। लेखक- अनिकेत दास अनुवादक- शारिक़ुल होदा