1999 के वर्ल्ड कप में गांगुली ने अपनी इस पारी से तहलका मचा दिया था। भारत के लिए उस वर्ल्ड कप की शुरुआत बेहद बुरी रही थी। टीम इंडिया को पहले 2 मैच में क्रमश: दक्षिण अफ़्रीका और ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ हार का सामना करना पड़ा था। श्रीलंका के ख़िलाफ़ भारत को ये मैच जीतना बेहद ज़रूरी थी। तब के चैंपियन के हाथों से जीत छीनना आसान नहीं था लेकिन गांगुली ने कुछ और ही सोच रखा था। पहले ही ओवर में गांगुली के ओपनिंग साझेदार सदगोपन रमेश आउट हो गए थे। ऐसा लग रहा था कि श्रीलंका ने अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए हैं लेकिन रमेश के बाद गांगुली का साथ देने राहुल द्रविड़ मैदान पर आए। पहले विकेट लेने के बाद श्रींलंकाई गेंदबाज़ जैसे एक विकेट के लिए तरस गए। इस मैच को उस वक़्त 8 साल के जोस बटलर भी देख रहे थे। इस मैच में गांगुली और द्रविड़ ने मिलकर 300 से ज़्यादा रन की साझेदारी की थी। रन बनते जा रहे थे और रिकॉर्ड टूटते जा रहे थे। स्टेडियम में मौजूद सारे दर्शक रोमांच से भर गए थे, इतने बेहतरीन मैच की उम्मीद वहां मौजूद भारतीय दर्शक को कतई नहीं थी। आख़िरकार राहुल द्रविड़ 145 रन के निजी स्कोर पर पवेलियन वापस लौट गए लेकिन गांगुली अभी भी चौके-छक्के ला रहे थे। श्रीलंका के चामिंडा वास ने 84 रन, उपासनथा ने 80 रन लुटाए थे। मुथैया मुरलीधरन भी इस मैच में कमाल दिखाने में नाकाम रहे। आख़िरी 6 ओवर में 84 रन बने थे। ये बात याद रखने वाली है कि साल 1999 का दौर था, उस वक़्त इतने ज़्यादा रन बनने की उम्मीद नहीं रहती थी। जब गांगुली आउट हुए तब वो 183 रन बना चुके थे। ये वर्ल्ड कप में किसी भी भारतीय द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा निजी स्कोर है।