#5. विश्व कप 2011 के फाइनल में धोनी का ऐतिहासिक छक्का
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भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजित किया गया 2011 का विश्वकप करोड़ों भारतवासियों के लिए सबसे यादगार बन कर रह गया। पूरे टूर्नामेंट के हीरो रहे युवराज सिंह जानलेवा बीमारी से गुजर रहे थे, इसके बावजूद उनके प्रदर्शन में कोई भी कमी देखने को नहीं मिली। क्वार्टर फाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर पाकिस्तान के विरुद्ध मोहाली में खेला गया सेमीफाइनल मुकाबला भी जीत लिया था।
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत और श्रीलंका के बीच विश्व कप 2011 का फाइनल मुकाबला खेला गया। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए महेला जयवर्धने की शतकीय पारी के चलते 274 रनों का सम्मानजनक स्कोर बनाया। भारत की ओर से लक्ष्य का पीछा करते हुए वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंदुलकर की सलामी जोड़ी सस्ते में पवेलियन लौट गई। विराट कोहली और गौतम गंभीर के बीच एक अच्छी साझेदारी पनप रही थी इसी बीच तिलकरत्ने दिलशान ने कोहली का विकेट ले लिया।
मुथैया मुरलीधरन की स्पिन गेंदबाजी का सामना करने के लिए धोनी ने बल्लेबाजी क्रम में बदलाव करते हुए खुद ही युवराज से पहले बल्लेबाजी करने के लिए उतरने का फैसला लिया। गंभीर केवल तीन रन से अपना शतक चूक गए मगर धोनी और युवराज की जोड़ी ने कमाल कर दिखाया। भारत को जीत के लिए केवल चार रनों की जरूरत थी तब धोनी ने गगनचुंबी छक्का जड़कर 28 साल बाद टीम इंडिया के दूसरी बार विश्व कप जीतने का सपना पूरा किया।