एमएस धोनी की कप्तानी में बीता एक दशक भारतीय क्रिकेट के लिए शानदार रहा है। साल 2007 में जब धोनी को टी-20 वर्ल्डकप के लिए टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था। तब टीम बुरे दौर से गुजर रही थी। उस वक्त किसी ने सोचा नहीं था कि रांची का लड़का जो क्रिकेट के बैकग्राउंड से होने के बावजूद भारत की सफलता का सूत्रधार बनेगा। धोनी ने हमेशा आगे बढ़कर टीम का नेतृत्व किया। उनकी स्मार्ट सोच ने हमेशा विरोधी टीम को पस्त किया। उनके निर्णय साहसिक ही नहीं होते थे, बल्कि अपने करिश्माई नेतृत्व से वह ऑनफील्ड और ऑफ़फील्ड दोनों जगह टीम को सकारात्मक बनाये रहते थे। वह बड़े ही निस्वार्थी थे। इस लेख में हम आपको धोनी के 5 ऐसे आकंडे के बारे में बता रहे हैं, जो रिकॉर्ड को और दिलचस्प बनाते हैं: भारत के सबसे सफल कप्तान और दुनिया में 6ठे स्थान पर यद्यपि धोनी सीमित ओवरों के सबसे सफल कप्तान हैं, लेकिन टेस्ट में उनके योगदान को इग्नोर नहीं किया जा सकता है। धोनी ने टेस्ट में टीम की रणनीति बदली और मैदान में अपनी उपस्थिति से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया। इसके अलावा साल 2009 में टीम को नम्बर एक बनाया। विस्फोटक विकेटकीपर बल्लेबाज़ अभी तक भारत का टेस्ट में सबसे सफल कप्तान है। 60 मैचों में धोनी को 27 में जीत मिली है। जो गांगुली की कप्तानी में मिली 21 जीत से ज्यादा है। झारखण्ड में पैदा हुए धोनी दुनिया में 6ठे सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में से एक हैं। उनका विनिंग परसेंटेज 45 है। एकमात्र कप्तान जिसने 6 बार आईसीसी टी-20 वर्ल्डकप टीम का नेतृत्व किया है एमएस धोनी के साथ ऐसा बहुत कम ही हुआ है कि उन्हें चोट की वजह से मैच या सीरिज से बाहर बैठना पड़ा हो। इससे उनकी कप्तानी में और आत्मविश्वास जगता है। खासकर टी-20 फॉर्मेट में उनके आक्रामक बल्लेबाज़ी से टीम को काफी फायदा होता है। धोनी ने भारत की तरफ से अबतक आईसीसी टी-20 वर्ल्डकप के सभी संस्करण में कप्तानी की है। साल 2007 में टी-20 वर्ल्डकप में धोनी कप्तान थे। जहां टीम ने फाइनल जीतकर नये युग में प्रवेश किया था। हालांकि अंतिम वर्ल्डकप में उनकी टीम वेस्टइंडीज से सेमीफाइनल में हार गयी थी। साल 2014 में टीम श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में पहुंची थी। लेकिन हार गयी थी। एकमात्र कप्तान जिसने सभी आईसीसी ट्राफी अपने नाम की भारत में क्रिकेट को लोग धर्म की तरह मानते हैं। ऐसे में जब बड़े टूर्नामेंट होते हैं, तो टीम पर काफी प्रेशर होता है। खासकर क्प्तान्प्र ये दबाव सबसे ज्यादा होता है। धोनी ने कप्तानी करते हुए ऐसे मौकों पर शानदार फैसले लेते रहे। मैच में हमेशा कूल बने रहे। साल 2007 में वह जब कप्तानी में अनुभवहीन थे, तब भी टी-20 वर्ल्डकप में टीम को जीत दिलाई। साथ ही साल 2011 में उन्होंने शानदार कप्तानी की और भारत में हो रहे 50 ओवर के वर्ल्डकप में 28 साल बाद उन्होंने फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 91 रन की पारी खेलकर जीत दिलाई। उसके बाद साल 2013 में उन्ही की कप्तानी में टीम इंडिया ने आईसीसी की चैंपियंस ट्राफी पर भी कब्जा जमाया। इस तरह वह सभी ख़िताब जीतने वाले अकेले कप्तान बने। एकमात्र कप्तान जिन्होंने सभी फॉर्मेट में 50 से ज्यादा मैचों में कप्तानी की धोनी मानसिक तौर काफी मजबूत कप्तान थे। जो क्रिकेट के मैदान पर भी दिखता है। वह एक मात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने सभी फॉर्मेट में 50 से अधिक मैचों में टीम की कप्तानी की है। धोनी ने कभी भी बल्लेबाज़ी से समझौता नहीं किया और उन्होंने भारतीय टीम की जीत में बल्ले से कमाल का प्रदर्शन किया। उन्हें खेल की बड़ी अच्छी समझ थी। इसलिए वह तीनों फॉर्मेट में काफी सफल कप्तान साबित हुए। 35 साल के धोनी ने अपनी स्मार्ट थिंकिग से सभी फॉर्मेट में शानदार खेल दिखाया। हालांकि तीनों फॉर्मेट में इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाना आसान काम नहीं है। सबसे ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच में कप्तानी की कप्तान धोनी के नाम सबसे ज्यादा मैचों में कप्तानी करने का भी रिकॉर्ड है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा मैचों में कप्तानी की है। जिसमें वनडे में 199, टेस्ट में 60 और टी-20 में 72 मैच हैं। 9 साल तक भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले धोनी ने रिक्की पोंटिंग के 324 मैचों के रिकॉर्ड को तोड़ चुके हैं। धोनी सभी फॉर्मेट में सफल कप्तान रहे। धोनी ने बतौर कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज़ भारतीय क्रिकेट की महान सेवा की।