भारतीय टीम बार बार अपने प्रशंसको को झुमने का मौका देती आई है। टीम की हर जीत में कोई न कोई खिलाड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिस वजह से भारतीय टीम आज विश्व की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक है। हालांकि कई बार हम उन खिलाड़ियों की महत्वपूर्ण पारी भूल जाते हहैं जो जीत तक तो नहीं ले जाते पर उसकी नींव रख जाते हैं। आज हम आपको इसी तरह की 5 पारियों के बारे में बताने जा रहे हैं: गौतम गंभीर, 2007 टी-20 विश्व कप फाइनल भारतीय टीम ने सभी को चौंकाते हुए पहला ही टी20 विश्व कप अपने नाम कर लिया था। सभी उस विश्वकप को धोनी की कप्तानी और युवराज के ओवर में 6 छक्कों के लिए याद करते हैं लेकिन गंभीर द्वारा उस विश्वकप में दिए योगदान को लोगों ने भुला दिया है। लोगों को तो यह भी याद नहीं है कि वर्ल्ड टी20 2007 में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन गंभीर ने ही बनाये थे। सभी मैचों को मिला कर गंभीर ने 37.87 की औसत और 129 के स्ट्राइक रेट से 227 बनाये थे, जिसमें फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 54 गेंदों में खेली गयी 75 रनों की पारी भी शामिल है। यह पारी तब आई थी जब टीम कठिन परिस्थिति में थी और रनों के लिए जूझ रही थी। गौतम गंभीर, 2011 विश्वकप फाइनल टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने जयवर्धने के 103* की पारी की मदद से 6 विकेट 274 बनाये। भारत की शुरुआत काफी खराब रही और दोनों सलामी बल्लेबाज सचिन और सहवाग जल्द ही पवेलियन लौट गये। इसके बाद गंभीर में 122 गेंदों में 97 रनों की जबरदस्त पारी खेली लेकिन जीत तक पहुंचने से थोड़े पहले ही आउट हो गये। उसके बाद धोनी ने 91* रनों की पारी खेल टीम को 28 साल बाद विश्व विजेता बनाया। आज किसी को गंभीर की वो पारी याद नहीं है बल्कि सभी धोनी की पारी और अंत में लगाया उनका छक्का याद करते हैं। गौतम गंभीर, सीबी सीरीज 2008 सभी सीबी सीरीज को सचिन और धोनी की वजह से याद करते हैं, जहाँ सचिन ने दोनों फाइनल में 117* और 91 की पारी खेल कर टीम को जीत दिलाई थी, वहीं धोनी के लिए कप्तानी में यह पहली विदेशी सीरीज भी थी और इसमें टीम जीत भी गयी। हालांकि फिर से लोग गंभीर का योगदान भूल जाते हैं जहाँ उन्होंने 55 की शानदार औसत से सीरीज में 440 रन बनाये, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 113 और श्रीलंका के खिलाफ 102 और 63 की पारी शामिल थी। गंभीर के इन योगदानों की बदौलत भी भारत पहली बार ऑस्ट्रलियाई सरजमीं पर सीरीज जीतने में कामयाब हो पाया था। सुरेश रैना, 2011 विश्वकप क्वार्टर फाइनल 1999, 2003 और 2007 विश्वकप जीत कर 2011 विश्वकप में पहुंची ऑस्ट्रेलिया की टीम फिर से कारनामा दोहराने की राह पर थी लेकिन उसका रथ अहमदाबाद में हुए क्वार्टर फाइनल में रुक गया। भारत के हाथों हार कर ऑस्ट्रेलिया विश्वकप से बाहर हो गयी। 187 पर 5 विकेट गिरने के बाद युवराज और रैना की 74 रनों की अटूट भागीदारी की मदद से भारत ने कुछ ओवर पहले ही लक्ष्य हासिल कर लिया। युवराज को उनकी 57* रनों की पारी के लिए 'मैन ऑफ़ द मैच' चुना गया। वहीं रैना की 28 गेंदों में 34 रनों की पारी भूला दी गयी, जिस पारी की वजह से ही युवराज खुल कर खेल पाए और टीम को जीत तक पहुँचाया। अगर रैना की यह पारी न होती तो टीम हार भी सकती थी। नवजोत सिंह सिद्धू, 1996 विश्वकप क्वार्टर फाइनल विल्स विश्वकप के दूसरे क्वार्टर फाइनल में भारत के सामने थी पाकिस्तान की टीम और पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने सिद्धू की पारी की मदद से 287 रन बनाये। सचिन और सिद्धू ने टीम को अच्छी शुरुआत दी थी और सचिन के आउट होने के बाद भी सिद्धू टिके रहे। शुरुआत में सिद्धू के बल्ले पर गेंद नहीं आ रही थी पर धीरे धीरे पिच पर समय बीताने के बाद आउट होने से पहले सिद्धू ने 93 रनों की जबरदस्त पारी खेली और 'मैन ऑफ़ द मैच' भी बने। ईडन गार्डन में हुए सेमीफाइनल में श्रीलंका के खिलाफ भारत की हार और भीड़ के उपद्रव की वजह से लोग सिद्धू की पारी को याद नहीं रख पाए।