युवराज सिंह और एमएस धोनी की जोड़ी भारतीय टीम में जय-वीरू की जोड़ी से कम नहीं है। कटक वन-डे में इन दोनों ने 25 रन पर 3 विकेट गिरने के बाद मोर्चा संभाला और अपने दम पर स्कोर को 256 रन तक ले गए। युवराज सिंह ने 150 रन बना अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया। अब हम आपको उन भारतीय जोड़ियों के बारे में बताते हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा शतकीय साझेदारियां की है। महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह (10) युवराज और धोनी ने कटक वन-डे में शानदार साझेदारी कर भारतीय टीम को जीत दिलाई, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इन दोनों ने भारतीय टीम को जीत दिलाई हो। इन दोनों ने मिलकर पहली बार 2005 में हरारे में जिम्बाव्वे के खिलाफ शतकीय साझेदारी की।थी उस मैच में धोनी ने 56 और युवराज ने 53 रन बनाए। अगले पांच मैचों में इन दोनों ने 4 मैचों में 100 से ज्यादा रन की साझेदारी की। पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर और कराची में तो इन दोनों ने लगातार मैचों में शतकीय साझेदारियां निभाई। पाकिस्तान के खिलाफ इन दोनों का बल्ला खूब चलता है। 2007 में इन दोनों ने 2 बार फिर लगातार शतकीय साझेदारियां की। कटक वनडे से पहले धोनी और युवी ने साल 2011 के वर्ल्डकप फाइनल में 50 से ज्यादा रन की साझेदारी की थी। उस मैच में धोनी ने नाबाद 91 रन बनाकर भारत को एक यादगार जीत दिलाई थी। सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़(11) इन दोनों का बल्लेबाजी करने का अपना ही स्टाइल था। भारतीय टीम के दो महत्वपूर्ण स्तंम्भ राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर भारतीय टीम की सबसे भरोसेमंद जोड़ियो में से एक थी। इन दोनों ने कई रिकॉर्ड्स अपने नाम किए. दोनों बल्लेबाजों ने वनडे क्रिकेट में कई बड़ी साझेदारियां की हैं। हैदराबाद भी न्यूजीलैंड के खिलाफ 331 रन की साझेदारी कौन भूल सकता है। यह साझेदारी लंबे समय तक इंटरनेशनल क्रिकेट की सबसे बड़ी साझेदारी रही। इस साझेदारी के अलावा साल 1999 में इन दोनों ने कीनिया के खिलाफ नाबाद 237 रन की साझेदारी की। इसके साथ ही साल 2007 में इन दोनों ने दिग्गजों ने 3 बार शतकीय साझेदारी की। श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में इनके बीच आखिरी बार 95 रन की साझेदारी हुई थी। सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ (11) सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने अपने टेस्ट करियर की शुरूआत एक साथ की। गांगुली और द्रविड़ दोनों का ही करियर शानदार रहा है। गांगुली ने साल 2008 में संन्यास ले लिया। इन दोनों ही बल्लेबाजों ने वनडे मैचों में कई यादगार साझेदारियां की है। 2007 फरवरी में साउथ अफ्रीका के खिलाफ इन दोनों ने कठिन परिस्थिति में 117 रन की साझेदारी की। इसके साथ ही साल 2000 में जिम्बाव्वे के खिलाफ 175 रन की साझेदारी ही 1999 में श्रीलंका के खिलाफ 318 रन की साझेदारी को कौन भूल सकता है। इस मैच में गांगुली ने 183 और द्रविड़ ने 145 रन की पारी खेली थी। इन दोनों के बीच आखिरी शतकीय साझेदारी साल 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ हुई थी। एक जोड़ीदार के तौर पर इन दोनों ने 50 की करीब की औसत से 4000 से ज्यादा रन बना हैं। सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग (13) मास्टर और उनका शिष्य टॉप आर्डर में काफी खतरनाक थे। एक जहां गेंदबाजों को नजाकत से मारता, तो दूसरा गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाता था। सचिन ने अपने करियर के दूसरे पड़ाव पर सहवाग के साथ कई तूफानी साझेदारियां की। इन दोनों बल्लेबाजों ने 114 पारियां साथ खेली हैं। इन 114 पारी में इन दोनों ने 13 शतक और 18 अर्धशतक की मदद से 4387 रन बनाए हैं। 2003 के वर्ल्डकप में पाकिस्तान के खिलाफ इन दोनों की साझेदारी कौन भूल सकता है। उसी वर्ल्डकप में इन दोनों ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले विकेट के लिए 182 रन की साझेदारी की थी। इन दोनों के बीच आखिरी शतकीय साझेदारी साल 2011 के वर्ल्डकप में साउथ अफ्रीका के खिलाफ हुई थी। सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर (26) बिना किसी संदेह के यह वन-डे की सर्वश्रेष्ठ जोड़ी है। सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर ने 90 और 2000 के दशक में भारतीय फैंस को कई यादगार पल दिए हैं। इन दोनों के बीच 26 बार 100 से ज्यादा रन की साझेदारी हुई है। यह किसी भी जोड़ी का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड है। इन दोनों के बीच पहली बार शतकीय साझेदारी साल 1996 में हुई। इन दोनों ने पहले विकेट के लिए साउथ अफ्रीका के खिलाफ 126 रन की साझेदारी की। 1990 के दशक में इन दोनों के बीच कई बड़ी साझेदारियां हुई, जिनमें पाकिस्तान के खिलाफ 159 रन, न्यूजीलैंड के खिलाफ 169 रन, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन, श्रीलंका के खिलाफ 252 रन और जिम्बाव्वे के खिलाफ 197 रन साझेदारियों ने भारतीय फैंस को यादगार लम्हे प्रदान किये। 2000 के दशक में भी इन दोनों के बीच कई बड़ी साझेदारियां देखने को मिली। नामीबिया के खिलाफ 244 रन की साझेदारी इनके बीच सबसे बड़ी साझेदारी रही। इन दोनों के बीच आखिरी शतकीय साझेदारी साल 2007 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रही। इस मैच में इन दोनों बल्लेबाजों ने मिलकर 140 रन जोड़े थे।