प्रथम श्रेणी मैचों में पारी के सभी 10 विकेट लेने वाले 5 भारतीय

Subhash Gupte

किसी भी गेंदबाज के लिए पारी के सभी 10 विकेट लेना एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। किसी भी तरह के क्रिकेट में विरोधी टीम के सभी खिलाड़ियों को आउट करना कतई आसान नहीं होता। इसलिए हाल ही में जब राजस्थान के 15 वर्षीय आकाश चौधरी ने एक स्थानीय मैच में पारी के सभी 10 विकेट लिए, तो उनके इस प्रदर्शन को खूब सराहा गया। वह अचानक से सभी अखबारों और न्यूज पोर्टल्स की सुर्खियों में छा गए। इस दौरान लगभग सभी लेखों में जिम लेकर और अनिल कुंबले का भी जिक्र किया गया, जिनके नाम टेस्ट क्रिकेट में पारी के सभी 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में यह जादुई कारनामा कुल 80 बार हो चुका है। केंट के गेंदबाज एडमंड हिंकली ऐसा करने वाले पहले गेंदबाज थे। उन्होंने क्रिकेट के मक्का यानी लॉर्ड्स के मैदान पर 1848 में इंग्लैंड एकादश के खिलाफ यह कारनामा किया था। केंट के ही एक अन्य गेंदबाज अल्फ्रेड पर्सी फ्रीमैन ने रिकॉर्ड 3 बार ऐसा किया हैं, वहीं जॉन विस्डन और जिम लेकर सहित 5 गेंदबाज 2 बार ऐसा कर चुके हैं। भारत के भी 5 गेंदबाजों ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में यह कारनामा किया है। वास्तव में अनिल कुंबले प्रथम श्रेणी में एक पारी में 10 विकेट लेने वाले चौथे भारतीय थे। कुंबले से पहले लीजेंड्री स्पिनर सुभाष गुप्ते सहित 3 गेंदबाजों ने ऐसा किया था, जबकि ओडिशा के तेज गेंदबाज देबाशीष मोहंती ऐसा करने वाले अंतिम भारतीय थे। तो आज चर्चा इन्हीं 5 भारतीय गेंदबाजों की, जिन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक पारी में सभी 10 विकेट लिए- सुभाष गुप्ते दुनिया के बेहतरीन ऑल राउंडरों में से एक गैरी सोबर्स ने अपनी आत्मकथा में सुभाष गुप्ते को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लेग स्पिनर बताया था। गुप्ते ऐसे गेंदबाज थे जो अतिरिक्त फ्लाइट और स्पिन से बल्लेबाजों को परेशान करते थे। 10 साल और 36 टेस्ट मैचों के अंतरराष्ट्रीय करियर में गुप्ते ने लगभग 29 के औसत से कुल 149 विकेट लिए थे। हालांकि उन्होंने अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि 1954 में हासिल की जब उन्होंने राष्ट्रपति एकादश के लिए खेलते हुए पाकिस्तान सर्विसेज और बहावलपुर के संयुक्त एकादश के खिलाफ पारी के सभी 10 विकेट लिए। इस पारी में उन्होंने 10/78 के आंकड़े पेश किए थे। गुप्ते ने 1958-59 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में इस कारनामे को लगभग फिर से दोहरा लिया था। कानपुर में वेस्टइडीज के खिलाफ खेले गए दूसरे मैच में उन्होंने 9 विकेट लिए। वह 10वां विकेट भी लेने के करीब थे, लेकिन गुप्ते के गेंद पर वेस्टइंडियन लांस गिब्स का कैच भारतीय विकेटकीपर नरेन तम्हाने ने टपका दिया। यदि तम्हाने ने यह कैच नहीं टपकाया होता तो वे प्रथम श्रेणी के बाद टेस्ट क्रिकेट में भी पारी के सभी 10 विकेट लेने वाले पहले भारतीय होते। प्रथम श्रेणी में पारी में 10 विकेट लेने वाले पहले भारतीय और वेस्टइंडीज के खिलाफ बेहतरीन रिकॉर्ड के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। प्रेमांग्सु मोहन चटर्जी PM Chatterjee ऐसा कम ही होता है कि एक गेंदबाज के नाम प्रथम श्रेणी मैच में पारी के सभी 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज हो और उसे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका ना मिले। बंगाल के बाएं हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज प्रेमांग्सु मोहन चटर्जी ऐसे ही दुर्भाग्यशाली क्रिकेटर थे। चटर्जी ने 1956-57 के रणजी सीजन में असम के खिलाफ सभी 10 विकेट लिए थे। जनवरी,1957 में जोरहट में खेले गए इस मैच की पहली पारी में चटर्जी ने 19-11-20-10 के आंकड़े दर्ज किए थे, जो इंग्लैंड के बाहर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी का रिकॉर्ड है। हालांकि इसकी झलक उन्होंने 1955-56 सीजन में ही दिखा दी थी, जब उन्होंने मध्य प्रदेश के खिलाफ रणजी सेमीफाइनल मैच में 15 विकेट और बॉम्बे के खिलाफ फाइनल मैच में पहली पारी में 7 विकेट लिए थे। चटर्जी गजब के स्विंग गेंदबाज थे और गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की क्षमता रखते थे। बंगाल के उनके साथी क्रिकेटर और क्रिकेट लेखक सुमित मुखर्जी लिखते हैं कि वह ऐसे गेंदबाज थे जो कोलकाता के किसी भी मैदान पर पूरे दिन लगातार स्विंग गेंदबाजी कर सकते थे। बेहतरीन स्विंग गेंदबाजी और प्रथम श्रेणी में पारी की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी रिकॉर्ड के बावजूद वह ऐसे बदनसीब क्रिकेटरों में से एक थे, जिन्हें भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। बंगाल के तत्कालीन खिलाड़ी और पूर्व कप्तान चूनी गोस्वामी कहते हैं कि वर्तमान समय में टीम इंडिया को चटर्जी जैसे स्विंग गेंदबाजों की ही जरूरत है। वह अगर आज के समय के क्रिकेटर होते तो निश्चित रूप से भारत के प्रमुख गेंदबाज की भूमिका के रूप में खेलते। बंगाल क्रिकेट संघ से पर्याप्त सहयोग और समर्थन ना मिलने के कारण यह क्रिकेटर भारत की तरफ से कभी नहीं खेल सका। चटर्जी ने बंगाल की तरफ से 32 मैच खेलते हुए 18 के बेहद कम और प्रभावशाली औसत से 134 विकेट लिए, जिसमें 11 बार पारी में 5 या 5 से अधिक विकेट है। प्रदीप सुंदरम Sunderam जहां प्रेमांग्सु चटर्जी ने पारी में 10 विकेट लेने के सुभाष गुप्ते का रिकॉर्ड तोड़ने में तीन साल से भी कम का समय लिया, वहीं इसके बाद भारतीय क्रिकेट में यह रिकॉर्ड बनने में 30 से अधिक वर्ष लग गए। इस बार राजस्थान के तेज गेंदबाज प्रदीप सुंदरम ने विदर्भ के खिलाफ जोधपुर में खेले गए मैच में वही आकड़े दर्ज किए जो सुभाष गुप्ते ने पाकिस्तानी एकादश के खिलाफ दर्ज किए थे। लेकिन सुंदरम, प्रेमांग्सु की तरह ही दुर्भाग्यशाली थे और उन्हें कभी भी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। दाएं हाथ के तेज गेंदबाज सुंदरम ने नवंबर, 1985 में विदर्भ के विरूद्ध खेले गए रणजी मैच की पहली पारी में सभी 10 विकेट लिए थे। इसके बाद दूसरी पारी में भी उन्होंने 6 विकेट लिए। इस तरह मैच में उनके आकड़े 16/154 थे, जो उस समय का रणजी मैच में गेंदबाजी का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड था। प्रदीप के पिता गुंडीबली राम सुंदरम भी एक क्रिकेटर थे और उन्होंने भारत के लिए 2 टेस्ट मैच खेला था। लेकिन अपने पिता की तरह वह खुशनसीब नहीं थे और उन्हें भारत के लिए कभी भी खेलने का मौका नहीं मिला। लगभग 10 वर्षों के अपने प्रथम श्रेणी करियर में सुंदरम ने 40 मैचों में 145 विकेट लिए, जिसमें 11 बार पारी में 5 या 5 से अधिक विकेट था। सन्यास लेने के बाद सुंदरम ने कोचिंग में अपना कैरियर बनाया और 2013-14 में वह राजस्थान रणजी टीम के कोच थे। बाद में वह मुंबई क्रिकेट एशोसिएशन (एमसीए) से जुड़ गए। अनिल कुंबले kumble-mos_020717112832 भारत को स्पिनरों का गढ़ कहा जाता है। सुभाष गुप्ते से लेकर आर.आश्विन तक सभी ने अपने गेंदबाजी से विश्व स्तर पर छाप छोड़ी है। लेकिन अनिल कुंबले इन सब में सर्वश्रेष्ठ थे और इस पर शायद ही किसी को संदेह हो। टेस्ट से लेकर वनडे तक गेंदबाजी के लगभग सभी भारतीय रिकॉर्ड कुंबले के नाम ही दर्ज है। वह एक मैच जिताऊ स्पिनर थे और उन्होंने अपने दम पर भारत को कई मैच जिताया था। 1999 में दिल्ली के कोटला में पाकिस्तान के खिलाफ मैच भी एक ऐसा ही मैच था, जहां पर कुंबले पारी के सभी 10 टेस्ट विकेट लेकर अंतरराष्ट्रीय और टेस्ट क्रिकेट में ऐसा करने वाले सिर्फ दूसरे खिलाड़ी बने। यह सभी क्रिकेट दर्शकों के लिए एक अविश्वसनीय और सुखद पल था क्योंकि आधुनिक क्रिकेट (टीवी पर मैचों के लाइव प्रसारण के बाद) में ऐसा पहली बार हो रहा था। मैच के चौथे दिन भारतीय टीम इस मैच में पिछड़ रही थी। 420 रन के एक बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तानी टीम ने एक समय बिना विकेट गवाएं 101 रन बना लिए थे। लेकिन इसके बाद धीमी और नीची रह रही पिच पर कुंबले ने अपनी स्पिन का जादू बिखेरना शुरू किया और एक के बाद सभी पाकिस्तानी खिलाड़ियों को चलता कर दिया। इस मैच में वह दो बार हैट्रिक पर भी थे। कुंबले ने पारी में 26.3 ओवर में 10-74 के आंकड़े पेश किए और भारत को 212 रनों से एक बड़ी जीत दिलाई। जीत के बाद कुंबले को साथी खिलाड़ियों ने ठीक उसी तरह कंधे पर उठाकर पवेलियन की तरफ लाया था, जिस तरह सचिन तेंदुलकर को विश्व कप जीत के बाद। देबाशीष मोहंती image_20130808093909 कुंबले के ऐतिहासिक उपलब्धि के दो साल बाद उभरते हुए तेज गेंदबाज देबाशीष मोहंती ने दलीप ट्रॉफी के एक मैच में पारी के सभी 10 विकेट लिए थे। ईस्ट जोन की तरफ से खेलते हुए मोहंती ने साउथ जोन के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की थी। अगरत्तला की बीर बिक्रम कॉलेज स्टेडियम की पिच एक ग्रीन टॉप पिच थी और इस पर तेज गेंदबाजों की मदद के लिए सारी संभावनाएं मौजूद थी। लेकिन साउथ जोन की टीम में राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण चार अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी खेल रहे थे। इसलिए मोहंती और उनके साथी तेज गेंदबाजों के लिए यह मुकाबला कतई आसान नहीं होने जा रहा था। टॉस जीत कर द्रविड़ ने अपने अनुभवी बल्लेबाजी लाइनअप का फायदा उठाने की कोशिश की और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। लेकिन 5वें ओवर से ही नियमित अंतराल पर साउथ जोन के विकेट गिरने लगे। दोनों सलामी बल्लेबाजों को आउट करने के बाद मोहंती ने द्रविड़ को विकेट के पीछे कैच कराया। फिर उन्होंने जल्दी-जल्दी दो और विकेट लिए, जिससे साउथ जोन का स्कोर 37-5 हो गया। इसके बाद मोहंती ने लंबे समय से विकेट पर टिके लक्ष्मण को बोल्ड किया। वह आउट स्विंग होती गेंद को ड्राइव करने के चक्कर में प्लेड ऑन हुए थे। मोहंती कहते हैं कि 'लक्ष्मण का विकेट उनके इस यादगार स्पेल का सबसे यादगार विकेट था। एक तकनीक रूप से सक्षम और मजबूत बल्लेबाज को बोल्ड करना किसी भी गेंदबाज के लिए सबसे खुशनुमा पल होता है। वह काफी वक्त से पिच पर टिके हुए थे और दूसरे छोर पर विकेट गिरते रहने के बावजूद दबाव में नहीं थे।' इसके बाद मोहंती ने पुछल्ले बल्लेबाजों को भी जल्दी-जल्दी चलता किया और 10-46 के आकड़े के साथ इतिहास रच गए। इस तरह वह प्रथम श्रेणी मैचों के एक पारी में 10 विकेट लेने वाले पांचवें भारतीय गेंदबाज बनें। इस मैच के दूसरे पारी में भी मोहंती ने चार विकेट लिया और अपनी टीम को 4 विकेट से जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हांलाकि इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के बावजूद मोहंती को कभी भी टेस्ट टीम में स्थान नहीं मिला और वह पूर्व में खेले गए अपने 2 टेस्ट मैचों की संख्या को आगे नहीं बढ़ा सकें। इस मैच के लगभग 6 महीने बाद मोहंती का वन डे करियर भी खत्म हो गया। आपको एक दिलचस्प बात और बता दें कि टीम में चयन होने के बावजूद फ्लाइट मिस होने की वजह से पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी इस मैच को नहीं खेल पाए थे। इस सीन को धोनी के बायोपिक 'एम एस धोनी : दी अनटोल्ड स्टोरी' में प्रमुखता से दिखाया गया है।

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications