ऐसा कम ही होता है कि एक गेंदबाज के नाम प्रथम श्रेणी मैच में पारी के सभी 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज हो और उसे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका ना मिले। बंगाल के बाएं हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज प्रेमांग्सु मोहन चटर्जी ऐसे ही दुर्भाग्यशाली क्रिकेटर थे। चटर्जी ने 1956-57 के रणजी सीजन में असम के खिलाफ सभी 10 विकेट लिए थे। जनवरी,1957 में जोरहट में खेले गए इस मैच की पहली पारी में चटर्जी ने 19-11-20-10 के आंकड़े दर्ज किए थे, जो इंग्लैंड के बाहर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी का रिकॉर्ड है। हालांकि इसकी झलक उन्होंने 1955-56 सीजन में ही दिखा दी थी, जब उन्होंने मध्य प्रदेश के खिलाफ रणजी सेमीफाइनल मैच में 15 विकेट और बॉम्बे के खिलाफ फाइनल मैच में पहली पारी में 7 विकेट लिए थे। चटर्जी गजब के स्विंग गेंदबाज थे और गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की क्षमता रखते थे। बंगाल के उनके साथी क्रिकेटर और क्रिकेट लेखक सुमित मुखर्जी लिखते हैं कि वह ऐसे गेंदबाज थे जो कोलकाता के किसी भी मैदान पर पूरे दिन लगातार स्विंग गेंदबाजी कर सकते थे। बेहतरीन स्विंग गेंदबाजी और प्रथम श्रेणी में पारी की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी रिकॉर्ड के बावजूद वह ऐसे बदनसीब क्रिकेटरों में से एक थे, जिन्हें भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। बंगाल के तत्कालीन खिलाड़ी और पूर्व कप्तान चूनी गोस्वामी कहते हैं कि वर्तमान समय में टीम इंडिया को चटर्जी जैसे स्विंग गेंदबाजों की ही जरूरत है। वह अगर आज के समय के क्रिकेटर होते तो निश्चित रूप से भारत के प्रमुख गेंदबाज की भूमिका के रूप में खेलते। बंगाल क्रिकेट संघ से पर्याप्त सहयोग और समर्थन ना मिलने के कारण यह क्रिकेटर भारत की तरफ से कभी नहीं खेल सका। चटर्जी ने बंगाल की तरफ से 32 मैच खेलते हुए 18 के बेहद कम और प्रभावशाली औसत से 134 विकेट लिए, जिसमें 11 बार पारी में 5 या 5 से अधिक विकेट है।