जहां प्रेमांग्सु चटर्जी ने पारी में 10 विकेट लेने के सुभाष गुप्ते का रिकॉर्ड तोड़ने में तीन साल से भी कम का समय लिया, वहीं इसके बाद भारतीय क्रिकेट में यह रिकॉर्ड बनने में 30 से अधिक वर्ष लग गए। इस बार राजस्थान के तेज गेंदबाज प्रदीप सुंदरम ने विदर्भ के खिलाफ जोधपुर में खेले गए मैच में वही आकड़े दर्ज किए जो सुभाष गुप्ते ने पाकिस्तानी एकादश के खिलाफ दर्ज किए थे। लेकिन सुंदरम, प्रेमांग्सु की तरह ही दुर्भाग्यशाली थे और उन्हें कभी भी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। दाएं हाथ के तेज गेंदबाज सुंदरम ने नवंबर, 1985 में विदर्भ के विरूद्ध खेले गए रणजी मैच की पहली पारी में सभी 10 विकेट लिए थे। इसके बाद दूसरी पारी में भी उन्होंने 6 विकेट लिए। इस तरह मैच में उनके आकड़े 16/154 थे, जो उस समय का रणजी मैच में गेंदबाजी का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड था। प्रदीप के पिता गुंडीबली राम सुंदरम भी एक क्रिकेटर थे और उन्होंने भारत के लिए 2 टेस्ट मैच खेला था। लेकिन अपने पिता की तरह वह खुशनसीब नहीं थे और उन्हें भारत के लिए कभी भी खेलने का मौका नहीं मिला। लगभग 10 वर्षों के अपने प्रथम श्रेणी करियर में सुंदरम ने 40 मैचों में 145 विकेट लिए, जिसमें 11 बार पारी में 5 या 5 से अधिक विकेट था। सन्यास लेने के बाद सुंदरम ने कोचिंग में अपना कैरियर बनाया और 2013-14 में वह राजस्थान रणजी टीम के कोच थे। बाद में वह मुंबई क्रिकेट एशोसिएशन (एमसीए) से जुड़ गए।