टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन रैंकिंग, विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी और टी-20 विश्व कप, यह सब खिताब निश्चित रूप से एमएस धोनी को भारत का महानतम कप्तान बनाती है, लेकिन इस विकेटकीपर बल्लेबाज को भी एक बारगी सबसे मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा था। एशिया से बाहर धोनी का टेस्ट रिकॉर्ड कभी भी बढि़या नहीं रहा है। विदेश की मुश्किल परिस्थितियों में टेस्ट सफलता के लिए धोनी अपनी टीम को कभी भी प्रेरित नहीं कर सके। एशिया के बाहर धोनी का टेस्ट रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करता है। धोनी एशिया के बाहर 26 टेस्ट मैचों में सिर्फ 4 जीत हासिल कर सकें, जबकि इस दौरान उन्हें 14 बड़ी हार का सामना करना पड़ा। 2011-12 के सीजन के दौरान धोनी का यह रिकॉर्ड और भी खराब रहा जब उनकी टीम को लगातार 7 टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा। भारतीय टीम 2011 में विश्व चैंपियन और नंबर एक टेस्ट टीम के रूप में इंग्लैंड के दौरे पर गई थी, लेकिन अनुभवी भारतीय टीम को इस सीरीज में इंग्लैंड के हाथों 4-0 से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भी भारत का 0-4 से सफाया किया,इसके 3 मैचों में धोनी ही कप्तान थे। (एडिलेड के चौथे और अंतिम टेस्ट मैच में स्लो ओवर रेट के प्रतिबंध के कारण धोनी कप्तानी नहीं कर पाए थे)