ऐसा कहा जाता है कि भारत एक ऐसा देश है जहां आप पहले इंजीनियर बनते हो और फिर तय करते हो कि आपको अपने जीवन में क्या करना है। एक सच्चाई ये भी है कि हमारे देश मे 3000 से भी ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। इंजीनियरिंग की धुन के पीछे कई वजह है और मैं एक दिन के लिए चर्चा छोड़ देता हूं। भारत में एक सफल खिलाड़ी बनने के लिए असाधारण हुनर होना अनिवार्य है। आखिरकार हर किसी को जीवन में सब कुछ हासिल नहीं होता। लेकिन इस संसार में कई ऐसे अपवाद हैं जिन्होंने विकल्प और त्याग के परे बहुत कुछ हासिल किया है। ऐसे कई भारतीय इंजीनियर्स हैं जिन्होंने अपने कौशल से खेल जगत में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। हालांकि ये आश्चर्य की बात है, लेकिन ये बिल्कुल सही और उन खिलाड़ियों के जूनून का परिणाम है जिन्होंने इस असंभव काम को करने का कारनामा किया है। और बात जब खेलों की हो, तो इस देश में क्रिकेट सबसे प्रतिष्ठित खेल माना जाता है। हम 5 ऐसे भारतीय क्रिकेटर्स के बारे में बताएंगे जो क्वालिफाइड इंजीनियर्स भी हैं: # अनिल कुंबले अनिल कुंबले इंजीनियर से क्रिकेटर बनने वाले सबसे प्रतिष्ठित खिलाड़ी हैं। 619 टेस्ट और 337 वनडे विकेट अपने नाम करने के साथ, अनिल कुंबले भारत के लिए इन दोनों फॉर्मेट में सबसे ज्यादा विकेट झटकने वाले खिलाड़ी हैं। अपने करियर में कुंबले भारत के मेन स्ट्राइक गेंदबाज थे और अपनी गेंदबाजी से दुनियाभर के बल्लेबाजों को परेशानी में डाल देते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपनी विशलेषणात्मक कौशल का इस्तेमाल सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को आउट करने में किया? कुम्बले ने बैंगलुरु के राष्ट्रीय विद्यालय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री हासिल की। उन्होंने 1991-92 में इंजीनियरिंग की डिग्री ली और उसी वर्ष वनडे में डेब्यू किया। शिक्षा के महत्व के बारे में बोलते हुए, कुम्बले ने कहा, “ये अच्छे और बुरे में फर्क करना सिखाता है। क्रिकेट में सफलता की गारंटी नहीं मिलती, इसलिए शिक्षा इससे डील करने में मदद करती है।” #जवागल श्रीनाथ भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में एक, जवागल श्रीनाथ ने मैसूर के एस.जे. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इन्स्ट्रमेनटेशन टेक्नोलॉजी में बीई की डिग्री प्राप्त की है। हालांकि, श्रीनाथ एक शानदार क्रिकेटर बने और बाद में मैच रेफरी की भूमिका में नजर आए, लेकिन उनका मानना है कि एक अच्छा स्पोर्ट्स पर्सन बनने में शिक्षा काफी अहम रोल निभाती है। पिछले वर्ष एक कार्यक्रम में युवाओं के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा- आपके लिए क्रिकेट के साथ-साथ पढ़ाई करना कठिन चुनौती हो सकती है। मेरे जैसे क्रिकेटर्स के अनुभव के बारे में कहूं तो, अनिल कुम्बले, के.श्रीकांत, जिन्होंने इंजीनियरिंग की है, उनके लिए पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट खेलना शायद इतना मुश्किल नहीं था। “इसके आगे उन्होंने कहा, काफी खिलाड़ी क्रिकेट में वो मुकाम हासिल नहीं कर पाते। ऐसे हालात में, लोग अपने करियर में दूसरा विकल्प जरुर तलाशते हैं।” #रविचंद्रन अश्विन मौजूदा समय में क्रिकेट के हर फॉर्मेट में ऑफ-स्पिनर अश्विन भारत के सबसे सफल गेंदबाज हैं। जिस तरीके से वो क्रिकेट को अप्रोच करते हैं उसको देखते हुए कोई इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकता कि उनकी परवरिश और बैकग्राउंड कैसा रहा है। अश्विन ने चेन्नई के एसएसएल कॉलेज से इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बी-टेक किया है। असल में, उन्होंने बाकि इंजीनियर्स की तरह ही पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के बाद एक सॉफ्टवेयर कंपनी भी ज्वाइन की थी। लेकिन अश्विन को महसूस हुआ कि उनकी इंजीनियरिंग उनको क्रिकेट में साइंस और एंगल समझने में कोई मदद नहीं कर रही। एक इंटरव्यू के दौरान, अश्विन ने कहा था, “क्रिकेट में अंडर-17 खेलने के बाद, उनके माता-पिता ने उन्हें इंजीनियरिंग करने के लिए कहा था” हालांकि, उन्होंने कहा कि कॉलेज के मुश्किल दौर के दौरान उन्हें क्रिकेट से अपने लगाव का एहसास हुआ था। #कृष्णमाचारी श्रीकांत पिछले दशक के शानदार बल्लेबाज, के. श्रीकांत एक ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। श्रीकांत ने चेन्नई के इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा ली थी। हालांकि, वो अपने इंजीनियरिंग के दिनों में अलग-अलग स्तर से क्रिकेट खेलते थे, लेकिन जब उन्होंने ये सोचा कि वो एक टेस्ट क्रिकेटर बनेंगे उस वक्त वो अपने इंजीनियरिंग के चौथे साल में थे। बल्लेबाजी करते वक्त उनकी सोच एकदम साफ होती थी, और उनमे ये विशेषता शायद उनके इंजीनियरिंग की वजह से है। एक बार उन्होंने कहा था, “उनके जैसे खिलाड़ी रिकॉर्ड्स के लिए नहीं खेलते, और वो ऐसे ही खेलते रहेंगे, सिर्फ बेहतरी के लिए।” #श्रीनिवासाराघवन वेंकटराघवन हालांकि, वेंकटराघवन के आंकड़े 57 मैचों में 156 विकेट ज्यादा प्रभावित नहीं करते, लेकिन वो निसंदेह भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सर्वश्रेष्ठ स्पिनर्स में से एक हैं। ये उनका दुर्भाग्य था वो ऐसे युग में पैदा हुए जब भारत के पास उनके अलावा तीन फ्रंट लाइन स्पिनर्स मौजूद थे। संन्यास के बाद वेंकटराघवन ने अंपायरिंग शुरु की और वो लम्बे समय तक आईसीसी के इलीट अंपायरिंग पैनल के सदस्य रहे। अंपायरिंग के दौरान, सभी खिलाड़ी उनका आदर करते थे और वो एक शांत अंपायर के तौर पर जाने जाते थे। एक समय ऐसा भी था, जब इलीट पैनल में वो इकलौते ऐसे अंपायर थे जो फॉर्स्ट क्लास, वनडे और टेस्ट में खेलते थे। भारतीय क्रिकेट में स्पिनर्स के सुनहरे इतिहास के हिस्सा रह चुके, वेंकटराघवन एक क्वालिफाइड इंजीनियर थे, उन्होंने चेन्नई से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। वो सही मायनों में एक शानदार ऑलराउंडर हैं- एक महान खिलाड़ी, आदरणीय अंपायर और एक क्वालिफाइड इंजीनियर।