हालांकि, वेंकटराघवन के आंकड़े 57 मैचों में 156 विकेट ज्यादा प्रभावित नहीं करते, लेकिन वो निसंदेह भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सर्वश्रेष्ठ स्पिनर्स में से एक हैं। ये उनका दुर्भाग्य था वो ऐसे युग में पैदा हुए जब भारत के पास उनके अलावा तीन फ्रंट लाइन स्पिनर्स मौजूद थे। संन्यास के बाद वेंकटराघवन ने अंपायरिंग शुरु की और वो लम्बे समय तक आईसीसी के इलीट अंपायरिंग पैनल के सदस्य रहे। अंपायरिंग के दौरान, सभी खिलाड़ी उनका आदर करते थे और वो एक शांत अंपायर के तौर पर जाने जाते थे। एक समय ऐसा भी था, जब इलीट पैनल में वो इकलौते ऐसे अंपायर थे जो फॉर्स्ट क्लास, वनडे और टेस्ट में खेलते थे। भारतीय क्रिकेट में स्पिनर्स के सुनहरे इतिहास के हिस्सा रह चुके, वेंकटराघवन एक क्वालिफाइड इंजीनियर थे, उन्होंने चेन्नई से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। वो सही मायनों में एक शानदार ऑलराउंडर हैं- एक महान खिलाड़ी, आदरणीय अंपायर और एक क्वालिफाइड इंजीनियर।