#2 इरफ़ान पठान
बड़ौदा के इस नीले आंख वाले क्रिकेटर को अक्सर 'स्विंग के सुल्तान' नाम से बुलाया जाता था। यह क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक तूफान की तरह आया, लेकिन आंधी की तरह उड़ गया। टेस्ट में बल्ले और गेंद दोनों के साथ 32 की औसत वाला यह क्रिकेटर एक समय भारतीय टीम की रीढ़ माना जाता था। वनडे क्रिकेट में भी उनका औसत बल्ले से 23 और गेंद के साथ 29 था। कई लोग यह भी कहते हैं कि इरफान की प्रतिभा उनके इन नंबर्स से भी उपर थी। इरफान ने अंडर -19 और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपने बाएं हाथ के स्विंग गेंदबाजी के साथ अच्छा प्रदर्शन करते हुए भारतीय क्रिकेट टीम में दस्तक दी। 19 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला मैच खेलने वाले पठान अपने डेब्यू मैच में कोई करिश्मा नहीं दिखा सके और सिर्फ 1 ही विकेट ले पाए। लेकिन इसके बाद तो पठान ने धमाका ही कर दिया और पाकिस्तान के खिलाफ हैट्रिक ली। 2004 का साल पठान के लिए सबसे बड़ा रहा क्योंकि इस साल पठान ने अपनी स्विंग गेंदबाजी में अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को परेशान किया और टेस्ट में 32 व वनडे में 47 विकेट लिए। बांग्लादेश के खिलाफ दो टेस्ट में 18 विकेट लेने वाले इस गेंदबाज को आईसीसी ने इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर का इनाम प्रदान किया। चैपल-द्रविड़ की जोड़ी ने पठान को एक बल्लेबाज के रूप में भी तैयार करने की कोशिश की। इसलिए अक्सर उन्हें बल्लेबाजी क्रम में प्रमोट किया जाता था। 2005-06 की टेस्ट सीरीज में पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में उन्होंने दूसरे टेस्ट में एमएस धोनी के साथ 210 रन की साझेदारी की। इसी सीरीज में पठान ने सलमान बट, यूनिस खान और मोहम्मद यूसुफ को आउट कर हैट्रिक भी लिया था। इससे लोगों ने पठान की तुलना भारतीय लीजेंड कपिल देव से करना शुरू कर दी थी। ऐसा लग रहा था कि कपिल देव के रिटायर होने के बाद से एक बॉलिंग ऑलराउंडर की भारतीय क्रिकेट की तलाश समाप्त हो गई है। लेकिन 2006 के बाद से पठान के फार्म में गिरावट आना शुरू हुआ। इस दौरान उनका आत्मविश्वास भी टूटा। वह बार-बार चोट लगने की वजह से भी परेशान रहें। हालांकि पठान ने एक-दो बार वापसी करने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके। दुनिया उस 'स्विंग के सुल्तान-इरफान पठान को' फिर कभी नहीं देख सका।