सौरव गांगुली भारत के सबसे सफल कप्तान में से एक हैं, इसके अलावा वे एक कमाल के बल्लेबाज़ भी हैं। जब वे कप्तान थे तब उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी सुधारने के लिए काउंटी क्रिकेट का रुख किया। साल 2000 में वे लंकाशायर से जुड़े और 2005 में वे ग्लेमोर्गन से जुड़े। कप्तानी और टीम में अपनी जगह खोने के बाद गांगुली ने वापस इंग्लैंड की ओर रुख किया और इस बार साल 2006 में नॉर्थम्पटनशायर से जुड़े। इसके बाद वापसी करते हुए गांगुली ने टीम में वापस जगह बनाई। अपने करियर के आखरी दो सालों में गांगुली ने अपने आप को सबसे अच्छा खिलाडी साबित किया। साल 2007 में उन्होंने 60 से अधिक की औसत से 1000 रन बनाए। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने आखिरी टेस्ट में 85 रन बनाये।
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