वर्तमान भारतीय टीम लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही। परिस्थितियां कैसी भी हों इस टीम के अंदर हर मुश्किल हालात से निकलने की क्षमता है। ये सब संभव हुआ है कोच अनिल कुंबले के कारण। कुंबले जब से भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बने हैं, तब से उन्होंने भारतीय टीम को बेहतर से बेहतर बनाया है। यही वजह है कि आज भारतीय टीम टेस्ट में अपनी नंबर वन की पोजिशन बनाए हुए है। हालांकि भारतीय टीम के पास इस वक्त अलग से कोई बॉलिंग कोच नहीं है, जिसकी वजह से युवा गेंदबाजों को विदेशी पिचों पर थोड़ी कठिनाई होती है। इसलिए गेंदबाजी कोच भारतीय टीम के लिए जरुरी हो जाता है। लेकिन गेंदबाजी बनाएं किसे, ये सवाल सबसे बड़ा है। तो आइए आपको बताते हैं 5 ऐसे भारतीय क्रिकेटरों के बारे में जिनमे भारतीय टीम का गेंदबाजी कोच बनने की पूरी क्षमता है। 5. आशीष नेहरा दिग्गज तेज गेंदबाज आशीष नेहरा के पास क्रिकेट के सभी प्रारुपों में 17 साल से भी ज्यादा का अनुभव है। नेहरा की गेंदबाजी की सबसे खास बात ये है कि वो बहुत तेजी से गेंद को मूव करा सकते हैं। जिससे अच्छे से अच्छे से बल्लेबाज को भी उन्हें खेलने में दिक्कत आती है। यही वजह रही है कि नेहरा लंबे समय तक भारत के मुख्य तेज गेंदबाज रहे हैं। हालांकि नेहरा का करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा। चोट के कारण वो टीम से अंदर-बाहर होते रहे। नेहरा ने भारत की तरफ से 17 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 42.40 की शानदार औसत से 44 विकेट झटके हैं। लेकिन इससे ज्यादा बेहतरीन रिकॉर्ड उनका वनडे में है। आशीष नेहरा ने वनडे मैचों में 157 विकेट झटके हैं। लेकिन अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो ऐसा लगता है कि टी-20 क्रिकेट उनको ज्यादा सूट करता है। टी-20 मैचों में नेहरा ने 22.4 की औसत से विकेट चटकाए हैं। भले ही नेहरा का करियर चोट के कारण प्रभावित हुआ हो। लेकिन जब लंबे समय बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की तो उन्होंने शानदार गेंदबाजी की। खासकर युवा तेज गेंदबाजों को उनके अनुभव का पूरा फायदा मिला। आईपीएल में भुवनेश्वर कुमार और मुस्तफिजुर रहमान को नेहरा ने काफी टिप्स दिए। 4. पारस म्हाम्ब्रे पारस म्हाम्ब्रे इस समय भारतीय अंडर-19 टीम के गेंदबाजी कोच हैं। वो लंबे समय से अंडर-19 टीम की कोचिंग कर रहे हैं और अपने शानदार काम से उन्होंने अंडर-19 टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ से भी तारीफें बटोरी हैं। अंडर-19 टीम के युवा गेंदबाजों की स्किल को जिस तरह से पारस ने निखारा है, दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ उसकी तारीफ करते नहीं थकते। म्हाम्ब्रे इसके अलावा रणजी ट्राफी में विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के मुख्य कोच भी हैं। मीडियम पेसर पारस गेंदबाजी के अलावा निचले क्रम में उपयोगी बल्लेबाजी भी कर लेते थे। मुंबई के इस खिलाड़ी ने मई 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया था। इसके एक महीने बाद इंग्लैंड के खिलाफ ही उन्होंने अपना वनडे डेब्यू किया था। लेकिन दुर्भाग्यवश उनका करियर महज 1 टेस्ट और 2 वनडे मैच में सिमट कर रह गया। हालांकि घरेलू क्रिकेट में मुंबई के लिए पारस ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। मुंबई की 5 रणजी ट्रॉफी जीत में भी पारस का अहम योगदान रहा है। पारस ने 24.36 की औसत से 284 विकेट चटकाए। 2002-03 में पारस ने संन्यास ले लिया। उन्होंने नेशनल क्रिकेट एकेडमी से 'लेवल 3 कोचिंग' में डिप्लोमा किया। दो सीजन में महाराष्ट्र रणजी टीम की कोचिंग करने के बाद पारस म्हाम्ब्रे ने बंगाल की टीम की कोचिंग कमान संभाली और उस सीजन में बंगाल को रणजी के फाइनल तक पहुंचाया। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि पारस के पास कोचिंग का अपार अनुभव है, इसलिए वो नेशनल क्रिकेट टीम की कोचिंग के लिए बिल्कुल फिट बैठते हैं। 3. अजीत अगरकर अजीत अगरकर उनके शिष्य हैं जिन्होंने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, और विनोद कांबली जैसे दिग्गजों को कोचिंग दी है। जी हां वो रमाकांत आचरेकर के शिष्य हैं। अजीत अगरकर का वनडे डेब्यू उनके लिए ड्रीम डेब्यू रहा। अगरकर ने भारत की तरफ से वनडे मैचों में सबसे तेज 50 विकेट लेने का कारनामा किया। मात्र 23 वनडे मैचों में अगरकर ने 50विकेट लेकर नया कीर्तिमान बनाया। अगरकर ने 200 से ज्यादा मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। उनकी गेंदबाजी की सबसे खास बात ये थी कि नई गेंद से वो बेहतरीन स्विंग कराते थे और गेंद पुरानी होने पर रिवर्स स्विंग भी अच्छी करते थे। इसी वजह से वो भारत के मुख्य तेज गेंदबाजों में से एक थे। उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रहा। उस टेस्ट सीरीज में अगरकर ने कंगारू बल्लेबाजों को खूब परेशान किया और पूरी सीरीज में 16 विकेट चटकाए। टेस्ट मैचों से ज्यादा सफलता अगरकर को वनडे मैचों में मिली। एकदिवसीय मैचों में अगरकर ने अपने करियर में 288 विकेट चटकाए। वनडे मैचों में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों की सूची में वो तीसरे नंबर पर हैं। इसके साथ ही वो भारत के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में भी शामिल हैं, जिन्होंने लार्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर शतक लगाया है। अगरकर के नाम वनडे मैचों में सबसे तेज अर्धशतक लगाने का भी रिकॉर्ड है।इससे पता चलता है कि अगरकर अच्छे तेज गेंदबाज होने के अलावा अच्छे बल्लेबाज भी थे। मुंबई में जन्मे अगरकर ने 20 साल की उम्र में मुंबई के लिए रणजी मैच खेलना शुरु किया। 16 सालों तक वो मुंबई की टीम से रणजी मैच खेलते रहे, 2013 में मुंबई के रणजी ट्राफी जीतने के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। इससे पता चलता है कि अगरकर के पास कितना अनुभव है। अगर उनको युवा भारतीय गेंदबाजों को सिखाने का मौका मिले तो भारतीय क्रिकेट को इससे काफी फायदा होगा। 2. वेंकटेश प्रसाद मशहूर तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद अभी बीसीसीआई की जूनियर सिलेक्शन कमेटी में हैं। प्रसाद के पास गेंदबाजी और कोचिंग दोनों का अनुभव है। इसी वजह से भारतीय गेंदबाजी कोच की रेस में वो सबसे आगे हैं। 2007 से 2009 तक प्रसाद भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच भी रह चुके हैं। 2007 में खेले गए पहले टी-20 वर्ल्ड कप में भारत की जीत में उनका अहम योगदान रहा। अपने जमाने में प्रसाद नई गेंद के साथ काफी अच्छी गेंदबाजी करते थे और उनके अंदर गेंद को दोनों तरफ से घुमाने की क्षमता थी। उनका सबसे बड़ा हथियार था उनका स्लोअर वन। जब वेंकटेश चतुराई से स्लोवर वन करते थे तो अच्छे से अच्छे बल्लेबाज भी उनके आगे घुटने टेक देते थे। बैंगलूरू के इस खिलाड़ी ने 1994 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया, पर उस मैच में उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। लेकिन वेंकटेश प्रसाद का टेस्ट डेब्यू काफी शानदार रहा। इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले टेस्ट मैच में प्रसाद ने 6 विकेट चटकाए। प्रसाद को सबसे ज्यादा 1996 वर्ल्ड कप में पाकिस्तानी बल्लेबाज आमिर सोहेल का स्टंप उखाड़ने के लिए जाना जाता है। जब आमिर सोहेल के स्लेजिंग के जवाब में अगली ही गेंद पर उन्होंने उनका ऑफ स्टंप उखाड़ दिया था। प्रसाद ने टेस्ट मैचों में 96 विकेट और वनडे मैचों में 196 विकेट चटकाए हैं। इसके अलावा कर्नाटक की तरफ से रणजी मैच खेलते हुए उन्होंने 361 विकेट लिए। 2005 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद 2007 में उन्होंने भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच का जिम्मा संभाला। इसके साथ ही आईपीएल में वो चेन्नई सुपर किंग्स के मेंटर भी रहे। चुंकि कुंबले अभी भारतीय टीम के मुख्य कोच हैं और वो भी कर्नाटक से हैं। ऐसे में वेंकटेश के गेंदबाजी कोच बनाने से उनमें आपसी तालमेल काफी अच्छा रहेगा।दोनों मिलकर भारतीय टीम को नई ऊंचाई तक ले जा सकते हैं। 1.जहीर खान जहीर खान भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच के सबसे प्रबल दावेदार हैं। गेंदबाजी की हर तकनीक का बारीकी से ज्ञान और उनका अपार अनुभव उन्हें भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच के लिए सबसे उपयुक्त ठहरातें हैं। करियर के शुरुआती दिनों से ही जहीर खान के अंदर नई गेंद को दोनों तरफ से स्विंग कराने की क्षमता रही है। इसके साथ ही पुरानी गेंद से वो रिवर्स स्विंग भी कमाल की करते थे। अर्जुन अवॉर्डी जहीर खान ऑ स्टंप की लाइन में गेंदबाजी करते थे और वहां से स्विंग कराते थे। इसके साथ ही इनस्विंगिंग यॉर्कर भी उनका सबसे बड़ा हथियार था। 14 साल के अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में जहीर खान ने अपनी विकेटटेकिंग गेंदबाजी से भारतीय टीम को कई मैच जितवाए। हालांकि चोट के कारण जहीर खान का करियर प्रभावित हुआ और घरेलू क्रिकेट में अच्छे युवा तेज गेंदबाजों के आने के वजह से साल 2005 में उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। लेकिन इंग्लिश काउंटी क्लब वूरेस्टरशायर की तरफ से खेलते हुए उन्होंने अपने आपको फिर से साबित किया। काउंटी क्रिकेट में अपने डेब्यू मैच में ही जहीर खान ने समरसेट के खिलाफ 10 विकेट चटकाए। इसके बाद अगले मैच में 9 विकेट लेकर उन्होंने बता दिया कि उनमें कितना दम है। इस शानदार प्रदर्शन की वजह से वो भारतीय टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे और 2006 में उन्होंने टीम में वापसी की। 2006 से दोबारा टीम में वापसी करने के बाद जहीर खान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जहां-जहां भी भारतीय टीम ने मैच खेले जहीर खान ने आगे बढ़कर गेंदबाजी आक्रमण की अगुवाई की और भारतीय टीम को कई मैचों में जीत दिलाई। भारतीय टीम के 2011 का वर्ल्ड कप जीतने में उनका अहम योगदान रहा। मुंबई के इस पेसर ने टूर्नामेंट के 9 मैचों में 21 विकेट झटके। इसके अलावा भारतीय टीम को टेस्ट मैचों में नंबर वन बनाने में भी उनकी गेंदबाजी का काफी अहम रोल रहा। बात अगर प्रथम श्रेणी मैचों की करें तो जहीर खान ने पहले बड़ौदा फिर मुंबई की तरफ से रणजी मैच खेला। लंबे करियर के बाद 15 अक्टूबर 2015 को उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारुपों को अलविदा कह दिया। हालांकि 2016 के आईपीएल में वो दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम की तरफ से खेले। वर्तमान भारतीय कोच अनिल कुंबले जहीर खान के साथ काफी अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं, और उन्हें पता है कि जहीर खान के अंदर काफी प्रतिभा है। इसलिए कुंबले ने गेंदबाजी कोच के लिए खुद जहीर खान की सिफारिश की है। जिसकी वजह से उनके कोच बनने की संभावना सबसे ज्यादा है।