कभी कभी किसी खिलाड़ी को वह तवज्जो नहीं मिल पाता है जिसका वह सही मायनों में हक़दार होता है। उन्हीं में से एक हैं टीम इंडिया के बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ गौतम गंभीर, भारत अगर धोनी की कप्तानी में 2007 टी20 वर्ल्डकप और 2011 वनडे वर्ल्डकप चैंपियन बना तो इन दोनों ही फ़ाइनल में गौतम गंभीर का बल्ला गरजा। 2007 टी20 वर्ल्डकप के फ़ाइनल में उन्होंने कमाल के 75 रन बनाए तो 2011 वर्ल्डकप फ़ाइनल में विपरित परिस्थियों में गंभीर के बल्ले से 97 रन आए। इन सबके अलावा न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ उन्हीं के घर में नेपियर टेस्ट में 16 घंटे तक बल्लेबाज़ी कर टेस्ट मैच ड्रॉ कराने में भी गंभीर का बड़ा योगदान था। इतना ही नहीं वनडे क्रिकेट में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ में कप्तानी करते हुए उन्होंने भारत को 5-0 से जीत भी दिलाई थी, लेकिन इसके बावजूद वह कभी नियमित तौर पर टीम इंडिया के कप्तान नहीं बन पाए। आईपीएल में भी गंभीर ने कोलकाता नाइटराइडर्स को अपनी कप्तानी में दो बार चैंपियन बनाया। धोनी के बाद क्रिकेट पंडित गौतम गंभीर को ही टीम इंडिया का कप्तान मान रहे थे लेकिन ख़राब फ़ॉर्म और ख़राब क़िस्मत की वजह से कप्तानी की रेस के साथ साथ वह टीम से भी बाहर हो गए।