साल 2011 में डेब्यू करने वाले रविचंद्रन अश्विन को खुद को मौजूदा वक्त में विश्व के बेस्ट स्पिनर के तौर पर स्थापित करने में सिर्फ 39 टेस्ट का समय लगा। तमिलनाडु के इस बेहतरीन खिलाड़ी ने अपने अविश्वसनीय प्रदर्शन से क्रिकेट के दिग्गजों की भी बोलती बंद कर दी है। हालांकि, अश्विन को वर्ल्ड क्लास स्पिनर का दर्जा दिलाने का श्रेय पूर्व भारतीय टेस्ट कप्तान धोनी को जाता है जिन्होंने अश्विन की काबिलियत पर भरोसा जताया। लेकिन सच्चाई यही है कि कोहली की कप्तानी में अश्विन पहले से भी बड़े मैच विनर के तौर पर उभरे हैं। 2011 से लेकर 2014 तक इस ऑफ स्पिनर ने धोनी की कप्तानी में 22 टेस्ट खेले और 28.77 की काबिलेतारीफ औसत से 109 विकेट झटके जिसमें 9बार 5 विकेट झटके। लेकिन कोहली की कप्तानी में अश्विन ने अभी तक सिर्फ 16 टेस्ट खेले हैं और 18.31 की लाजवाब औसत से 106 विकेट हासिल कर लिए हैं जिसमें 12 बार एक पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा किया है। इसके अलावा अश्विन अभी तक विराट की कप्तानी में खेली चारों सीरीज़ में मैन ऑफ द सीरीज़ का खिताब हासिल करने वाले खिलाड़ी बने हैं। अगर अश्विन आने वाले वर्षों में भी ऐसे ही गेंदबाज़ी करते रहे तो काफी रिकॉर्ड खतरे में पड़ सकते हैं। अश्विन जिस तरह की शानदार फॉर्म में चल रहे हैं उसे देखते हुए लगता है कि वो आने वाले समय में कई ऐसे रिकॉर्ड्स बना डालेंगे जिन्हें तोड़ना किसी भी गेंदबाज के लिए कड़ी चुनौती साबित होगा।