हर युवा क्रिकेटर का ख़्वाब होता है कि वो अपने देश के लिए खेले। अपनी राष्ट्रीय टीम में शामिल होना किसी भी खिलाड़ी लिए बड़ी उपलब्धि होती है। भारत में हुनरमंद क्रिकेटर की कोई कमी नहीं है। इस देश ने विश्व क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर और राहुल द्रविड़ जैसे महान बल्लेबाज़ दिए हैं। इसके अलावा अनिल कुंबले, ज़हीर ख़ान और हरभजन सिंह जैसे गेंदबाज़ों ने अपनी ख़ास पहचान बनाई है। अफ़सोस की बात ये है कि मौजूदा दौर में ज़्यादातर युवा क्रिकेट पैसे से भरपूर आईपीएल में जगह बनाने को बेताब रहते हैं। सभी का ध्यान टेस्ट क्रिकेट से दूर होता जा रहा है।
किसी टीम के कप्तान और चयनकर्ताओं की ये बड़ी ज़िम्मेदारी है कि वो सही और क़ाबिल खिलाड़ियों का चयन करें। एक कामयाबी रोहित शर्मा को लेकर देखी गई है, वो अपने करियर के शुरुआती दौर में काफ़ी जद्दोजहद कर रहे थे। लेकिन धोनी ने अपनी कप्तानी के दौरान रोहित को टॉप ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करने भेजा। इसके बाद रोहित का करियर पूरी तरह बदल गया। आज वो सीमित ओवर के खेल के बेतरीन बल्लेबाज़ बन चुके हैं। हम यहां 5 ऐसे खिलाड़ियों की चर्चा कर रहे हैं जिन्हें अगर ज़्यादा मौके मिलते तो वो लंबी रेस का घोड़ा बन सकते थे।
#5 अमित मिश्रा
अनिल कुंबले के बाद अगर भारतीय को सबसे बेहतरीन लेग स्पिनर कोई मिला था, वो थे अमित मिश्रा। इनके बारे में कहा जाता है कि वो ग़लत युग में पैदा लिए हैं क्योंकि जब वो घेरेलू सर्किट में शानदार प्रदर्शन कर रहे तो तब टीम इंडिया में आने के लिए कुंबले और भज्जी से प्रतिद्वंदिता करनी पड़ी थी। कुंबले और हरभजन ने करीब एक दशक तक टीम इंडिया के लिए अपना योगदान दिया है, ऐसे में तीसरे स्पिनर की जगह नहीं बन पा रही थी। अमित ने प्रथम श्रेणी में 535 विकेट लिए हैं। उन्होंने 22 टेस्ट मैच में 76 विकेट और 36 वनडे में 64 विकेट हासिल किए हैं।
#4 धवल कुलकर्णी
धवल कुलकर्णी को अगर ज़्यादा मौके मिलते तो आज वो एक बेहतरीन क्रिकेटर बन सकते थे। कुलकर्णी मुंबई के बेहतरीन स्विंग गेंदबाज़ थे। वो ज़्यादातर मौकों पर 130 से अधिक स्पीड से गेंद फेंकते थे। वो उस वक़्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने डेब्यू रणजी ट्रॉफ़ी में सबसे ज़्यादा विकेट लिया था। कुलकर्णी ने टीम इंडिया के लिए 12 वनडे मैच खेले हैं और 19 विकेट अपने नाम किए हैं। इस दौरान उनका इकॉनमी रेट 5 से थोड़ा ज़्यादा था।
#3 मनोज तिवारी
मनोज तिवारी भारत के उन बल्लेबाज़ों में से हैं जिनके हुनर का पूरा सम्मान नहीं किया गया। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका बल्लेबाज़ी औसत 60 से ज़्यादा है। तिवारी ने टीम इंडिया के लिए 12 वनडे मैच खेले हैं जिन में उन्होंने एक शतक और एक अर्धशतक लगाए हैं। वो टीम के लिए एक अच्छे पार्ट टाइम गेंदबाज़ साबित हो सकते थे। तिवारी आईपीएल में कई टीम की तरफ़ से खेल चुके हैं।
#2 सुब्रमण्यम बद्रीनाथ
बद्रीनाथ को ‘रन मशीन’ के नाम से भी जाना जाता था, वो रणजी ट्रॉफ़ी के शानदार बल्लेबाज़ों में से एक थे। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 10,245 रन बनाए हैं, इस दौरान उनका औसत 55 से थोड़ा कम था। वो न सिर्फ़ टेस्ट, बल्कि छोटे फ़ॉर्मेट में भी शानदार प्रदर्शन करते थे। आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ़ से खेलते हुए उन्होंने कई बार दर्शकों का दिल जीता है। उन्हें सिर्फ़ 2 टेस्ट खेलने का मौका मिला, फिर वो टीम इंडिया से बाहर हो गए। हाल में ही उन्होंने क्रिकेट के सभी फ़ॉर्मेट से संन्यास ले लिया।
#1 अमोल मजूमदार
अमोल मजूमदार को भारत का सबसे बदनसीब क्रिकेटर कहा जाता है, क्योंकि प्रथम श्रेणी में ज़बरदस्त प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें एक भी टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला। मजूमदार रणजी ट्रॉफ़ी के इतिहास में दूसरे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले क्रिकेटर हैं। उन्होंने रणजी में 28 शतक लगाए हैं। उनके बारे में कहा जाता था कि वो भारत के दूसरे सचिन बन सकते हैं, लेकिन टीम इंडिया के लिए खेल पाना उनके नसीब में नहीं था।