आरपी सिंह भारत के उन चुनिंदा तेज गेंदबाजों में शामिल हैं, जिनके करियर की शुरूआत बेहतरीन हुई, लेकिन जल्द ही उनकी चमक धुंधली पड़ती गई। अंडर-19 वर्ल्ड कप से लोकप्रिय होने वाले रुद्र प्रदाप सिंह के रूप में भारत को स्विंग गेंदबाजी के लिए एक बेहतरीन विकल्प मिला था। 2007 में इस लेफ्ट आर्म गेंदबाज ने 2 मैचों में लेस्टरशायर का प्रतिनिधित्व किया था। भारत टीम के शेड्यूल ही वजह से वह इस टूर्नामेंट में इतना कम समय दे सके, लेकिन जो समय उन्होंने वहां बिताया, उसने उनके खेल को काफी बेहतर बनाया। इंग्लैंड में हुई टेस्ट सीरीज के 3 मैचों में सिंह ने 12 विकेट लिए और सीरीज जीतने में भारत की ओर से खास योगदान दिया। 2007 टी-20 विश्व कप के दौरान सिंह भारतीय गेंदबाजी के अहम हथियार रहे। साथ ही, 2008 में पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को मिली जीत में भी आरपी सिंह का प्रदर्शन काफी कारगर रहा। दुर्भाग्यवश, सिंह अपना शानदार प्रदर्शन जारी न रख सके और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। उन्होंने 2011 में इंग्लैंड में आखिरी बार टीम इंडिया की ओर से मैच खेला था। हालांकि, घरेलू क्रिकेट में उनकी भागीदारी जारी रही। वह गुजरात की रणजी टीम का हिस्सा बन गए और उनके गेंदबाजी आक्रमण की धुरी। 2016/17 में गुजरात ने रणजी ट्रॉफी अपने नाम की, जिसमें सिंह की अहम भूमिका रही।