विश्व क्रिकेट में बीसीसीआई का अलग ही रुतबा है, ये क्रिकेट बोर्ड भारत ने नए स्टडियम तैयार करने के लिए मश्हूर है। भारत में क्रिकेट को एक धर्म के तौर पर देखा जाता है और मैदान को किसी मंदिर से कम दर्जा नहीं जाता। भारत में पहला अंतरराष्ट्रीय मैच मुंबई के जिमखाना स्टेडियम में खेला गया था। आज देश में करीब 50 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम मौजूद हैं। मुंबई देश का एक ऐसा शहर जहां सबसे ज़्यादा क्रिकेट स्टेडियम मौजूद हैं। लेकिन दुख की बात ये है कि इनमें से कई स्टेडियम ऐसे हैं जिन्हें या तो बीसीसाआई ने नज़रअंदाज़ कर दिया है या तो क्रिकेट फ़ैंस को इन मैदान में कोई दिलचस्पी नहीं रही है। चूंकि कई नए स्टेडियम में बार-बार अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जाते हैं ऐसे में कई पुराने मैदान भुला दिए जाते हैं। कई स्टेडियम तो ऐसे भी हैं जहां पिछले 20 साल से एक भी मैच नहीं खेला गया है। यहां हम 5 ऐसे भारतीय मैदान के बारे में चर्चा कर रहे हैं जहां कम से कम एक दफ़ा अंतरराष्ट्रीय मैच ज़रूर खेला गया है लेकिन आज बीबीसीई ने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया है।
#1 कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम, ग्वालियर
ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम को इसलिए याद किया जाता है क्योंकि सचिन ने इस मैदान में पहला दोहरा शतक लगाया था। टीम इंडिया ने उस मैच को 153 रन के बड़े अंतर से जीता था। उस वक़्त इस बात का अंदाज़ा किसी को नहीं था ये इस स्टेडियम में खेला गया आख़िरी मैच साबित होगा। ग्वालियर के इस स्टेडियम में 22 साल के अंतराल पर 12 दफ़ा वनडे मैच खेला गया है। कोई भी भारतीय क्रिकेट फ़ैंस इस बात को नहीं भूल सकता है कि साल 1998 में कीनिया ने इस मैदान में पहली बार टीम इंडिया को मात दी थी। जैसे-जैसे वक़्त बीतता गया, अंतरराष्ट्रीय मैच बड़े मैदानों में आयोजित किए जाने लगे और इस स्टेडियम को भुला दिया गया। पिछले 8 साल से इस मैदान में एक भी वनडे मैच नहीं खेला गया है
#2 मोईन-उल-हक़ स्टेडियम, पटना
अंदुरुनी राजनीति की वजह से बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के हाथों से रणजी स्टेटस चला गया और पटना के मोईन-उल-हक़ स्टेडियम का भी बुरा हाल हो गया। ये स्टेडियम बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। आज इस स्टेडियम की हालत इतनी बुरी है कि स्थानीय मैच भी इसमें आयोजित नहीं किए जा सकते हैं। इस मैदान पर अब तक दो अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले गए हैं, पहली बार इस मैजान को 1994 में हीरो कप की मेज़बानी करने का मौक़ा मिला था। जब श्रीलंका और ज़िम्बाब्वे के बीच मुक़ाबला हुआ था, इसके बाद 1996 विश्वकप में भी पटना ने ज़िम्बाब्वे और केन्या के बीच हुए मैच की मेज़बानी की है। ज़िम्बाब्वे के लेग स्पिनर पॉल स्ट्रैंग ने इसी मैदान पर पांच विकेट भी झटके थे जो उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ वनडे प्रदर्शन भी था। इस स्टेडियम को तैयार करने में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। इसमें स्विमिंग पूल और टर्फ़ पिच मौजूद है, लेकिन रख-रखाव की कमी की वजह से इस स्टेडियम का हाल बुरा है। बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद इस मैदान पर एक भी रणजी मैच नहीं खेला गया है। खिलाड़ियों को अब इस स्टेडियम में उचित सुविधाएं नहीं मिल पाती, जिस वजह से कई खिलाड़ियों को क्रिकेट खेलने का सपना छोड़ना पड़ता है।
#3 कीनन स्टेडियम, जमशेदपुर
कीनन स्टेडियम का नाम टाटा स्टील्स के मैनेजर जॉन लॉरेंस कीनन के नाम पर रखा गया था। ये स्टेडियम झारखंड के जमशेदपुर शहर में है। इस स्टेडियम में क़रीब 19000 लोगों के बैठने की जगह है। स्टेडियम को साल 1939 में तैयार किया गया था। यहां पहला अंतरराष्ट्रीय मैच साल 1983 में भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच खेला गया था। इसके बाद इस मैदान पर 9 और मैच खेले गए थे जिसमें से 8 में टीम इंडिया ने शिरकत की थी। हांलाकि इस मैदान में भारत ने सिर्फ़ एक मैच जीता है। पिछले 12 साल से इस स्टेडियम में एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला गया है। एक बार इस मैदान में दर्शकों ने काफ़ी हुड़दंग मचाया था और कई जगह आग भी लगाई थी। इसके अलावा दूसरी बड़ी वजह ये है कि जमशेदपुर के क़रीबी शहर रांची में जेएससीए स्टेडियम तैयार हो गया है। चूंकि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान का गृह नगर रांची है, ऐसे में बोर्ड की दिलचस्पी रांची के मैदान में मैच आयोजित करने को लेकर है।
#4 नाहर सिंह स्टेडियम, फ़रीदाबाद
नाहर सिंह स्टेडियम जिससे मयूर स्टेडियम भी कहा जाता है, हरियाणा के फ़रीदाबाद शहर में स्थित है। इस स्टेडियम में क़रीब 25 हज़ार लोगों के बैठने की जगह है। इस मैदान में कुल 8 वनडे मैच खेले गए हैं जिसमें 7 बार टीम इंडिया ने शिरकत की है। इस ग्राउंड में पहला मैच साल 1988 में भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच खेला गया था, जिसमें टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था। इस मैदान में आख़िरी वनडे मैच साल 2006 में भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया था। इसके बाद यहां एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला गया है।
#5 नेहरू स्टेडियम, पुणे
पुणे के नेहरू स्टेडियम में 11 वनडे मैच आयोजित किए गए हैं, इसमें क़रीब 25 हज़ार दर्शकों के बैठने की जगह है। ये स्टेडियम साल 1969 में बनकर तैयार हुआ था, और यहां पहला मैच साल 1984 को भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया था। साल 1996 के वर्ल्ड कप में इसी मैदान में कीनिया ने वेस्टइंडीज़ को हराया था। भारत ने यहां 8 वनडे मैच खेले हैं जिसमें 5 में जीत हासिल हुई है। 13 साल पहले यहां भारत और श्रीलंका के बीच वनडे मैच खेला गया था, जो इस मैदान का आख़िरी मैच साबित हुआ। पुणे के पिंपरी छिंछवाड़ स्थित एमसीए स्टेडियम में अब अंतरराष्ट्रीय मैच खेला जाता है जहां बेहतर सुविधाएं हैं। लेखक- ब्रोकन क्रिकेट अनुवादक- शारिक़ुल होदा