भारत के 5 अंतरराष्ट्रीय मैदान जिन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया गया है

#2 मोईन-उल-हक़ स्टेडियम, पटना

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अंदुरुनी राजनीति की वजह से बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के हाथों से रणजी स्टेटस चला गया और पटना के मोईन-उल-हक़ स्टेडियम का भी बुरा हाल हो गया। ये स्टेडियम बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। आज इस स्टेडियम की हालत इतनी बुरी है कि स्थानीय मैच भी इसमें आयोजित नहीं किए जा सकते हैं। इस मैदान पर अब तक दो अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले गए हैं, पहली बार इस मैजान को 1994 में हीरो कप की मेज़बानी करने का मौक़ा मिला था। जब श्रीलंका और ज़िम्बाब्वे के बीच मुक़ाबला हुआ था, इसके बाद 1996 विश्वकप में भी पटना ने ज़िम्बाब्वे और केन्या के बीच हुए मैच की मेज़बानी की है। ज़िम्बाब्वे के लेग स्पिनर पॉल स्ट्रैंग ने इसी मैदान पर पांच विकेट भी झटके थे जो उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ वनडे प्रदर्शन भी था। इस स्टेडियम को तैयार करने में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। इसमें स्विमिंग पूल और टर्फ़ पिच मौजूद है, लेकिन रख-रखाव की कमी की वजह से इस स्टेडियम का हाल बुरा है। बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद इस मैदान पर एक भी रणजी मैच नहीं खेला गया है। खिलाड़ियों को अब इस स्टेडियम में उचित सुविधाएं नहीं मिल पाती, जिस वजह से कई खिलाड़ियों को क्रिकेट खेलने का सपना छोड़ना पड़ता है।

Edited by Staff Editor
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