अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग के कई मामले होते रहे हैं लेकिन कई मामलों में इन्हें पकड़ना मुश्किल रहा है। कुछ बार खिलाड़ी पकड़े भी गए हैं। आईसीसी ने फिक्सिंग के लिए कड़े नियम बनाए हैं लेकिन फिक्सिंग अब भी होती है। पाकिस्तान के ज्यादा खिलाड़ी फिक्सिंग में लिप्त पाए गए हैं। उन्हें बैन तक किया गया है और बाद में टीम में भी वापस खेलते हुए उन्हें देखा गया है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में फिक्सिंग को खराब माना गया है और कड़े प्रतिबन्ध और सजा का प्रावधान भी आईसीसी और सम्बंधित देशों के क्रिकेट बोर्ड ने किये हैं। क्रिकेट को जेंटलमैन गेम कहा गया है और उसमें फिक्सिंग के आने से इसकी साख और प्रतिष्ठा भी गिरती है। पहले फिक्सिंग के कई मामले देखने को मिलते थे लेकिन अब कड़े नियमों और ज्यादा निगरानी के कारण इस तरह के कम मामले सामने आते हैं। भारतीय टीम के उन क्रिकेटरों का जिक्र यहाँ किया गया है जिन्हें फिक्सिंग आरोपों में बैन किया गया था। हालांकि बाद में वे बरी हुए लेकिन टीम में नहीं लौटे।
फिक्सिंग आरोपों में बैन हुए भारतीय खिलाड़ी
एस श्रीसंत
इस भारतीय खिलाड़ी को 2013 आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए फिक्सिंग आरोप में बैन किया गया था और आजीवन प्रतिबन्ध लगाया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने श्रीसंत का आजीवन बैन हटाने का फैसला सुनाया और उन्हें दोषमुक्त मानते हुए बरी किया। हालांकि बाद में वह घरेलू क्रिकेट में आए थे, कुछ समय बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया।
अजय जडेजा
अजय जडेजा का नाम एक आक्रामक खिलाड़ी के रूप में माना जाता था। उनका करियर उस समय खत्म हुआ जब उन पर फिक्सिंग आरोपों में 5 साल का बैन लगाया गया। बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपों को ख़ारिज कर उन्हें खेलने के लिए योग्य माना। हालांकि टीम में उन्हें जगह नहीं मिली। फ़िलहाल वह कमेंट्री की दुनिया में हैं।
मनोज प्रभाकर
इस खिलाड़ी को भी फिक्सिंग आरोपों के कारण बैन किया गया था। तहलका फिक्सिंग कांड खुलासे में उनका नाम आया। उन्होंने खुद फिक्सिंग में शामिल होने की बात स्वीकारी थी। बाद में उन्हें बीसीसीआई ने क्रिकेट खेलने से बैन कर दिया गया था। उसके बाद वह टीम में नहीं लौटे।
नयन मोंगिया
भारत के शानदार विकेटकीपरों का नाम लिया जाता है, तो नयन मोंगिया को जरुर याद किया जाता है। मोंगिया भी उसी समय फिक्सिंग काण्ड में आरोपित हुए जिस समय जडेजा और प्रभाकर का नाम आया था। उन्हें भी बीसीसीआई ने बैन कर दिया था। बाद में वह टीम में कभी वापसी नहीं कर पाए।
मोहम्मद अजहरुद्दीन
भारतीय टीम के कप्तान रहते हुए उनको बैन किया गया था। अजहरुद्दीन पर 2000 में मैच फिक्सिंग स्कैंडल में शामिल होने के आरोप लगे थे। बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंधित कर दिया और उनका करियर वहीँ खत्म हो गया। हालांकि बाद में उन्होंने कोर्ट में अपील की और उन्हें बरी किया गया लेकिन तब तक उनकी उम्र हो चुकी थी और वापसी का कोई मौका नहीं था।