5 भारतीय खिलाड़ी जिन्होंने इस साल अपने प्रदर्शन से सबको निराश किया

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2016 भारतीय टीम के लिए काफी शानदार साल रहा। भारतीय टीम ने इस साल का अंत नंबर वन टेस्ट टीम के साथ किया, वहीं सीमित ओवरों के खेल में भी इंडियन क्रिकेट टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। टी-20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया और इस साल 75 प्रतिशत टी-20 मैच जीते। जहां तक एकदिवसीय श्रृंखला की बात है तो भारतीय टीम ने 3 एकदिवसीय श्रृंखलाओं में से 2 सीरीज भी अपने नाम की। भारत की इस शानदार जीत में कई खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा। विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे जिनसे टीम को उम्मीदें तो काफी थी, लेकिन इस साल वो कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। हालांकि इनमें से कुछ खिलाड़ियों को ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन जिनको मौके मिले वो उस अवसर को भुना नहीं पाए। आइए आपको बताते हैं ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में। ऋषि धवन भारत को हमेशा से ही एक ऐसे अच्छे ऑलराउंडर की जरुरत रही है, जो तेज गेंदबाजी भी अच्छी करता हो। इसी कड़ी में कई अच्छे ऑलराउंडर तेज गेंदबाज भारत को मिले। अजीत अगारकर और इरफान पठान जैसे खिलाड़ी इस बात के सबसे बड़े उदाहरण हैं। पठान और अगारकर बैट और बॉल दोनों ही विभागों में शानदार प्रदर्शन करते थे। जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ युवा ऑलराउंडर ऋषि धवन को चुना गया तो सबको लगा कि वो भी इन्हीं दोनों खिलाड़ियों की गेंद और बल्ले के साथ अपना जौहर दिखाएंगे। धवन मिडिल ऑर्डर के अच्छे बल्लेबाज हैं और अहम मौकों पर विकेट निकालने में भी सक्षम हैं। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जनवरी में वनडे और टी-20 सीरीज के लिए उन्हें टीम में जगह दी गई। लेकिन सीरीज में वो कुछ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। गेंद और बल्ले के साथ उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। 3 वनडे मैचों में धवन मात्र 1 विकेट ही ले चुके और रन भी काफी लुटाए। वहीं उन्होंने मात्र एक टी-20 मैच खेला जिसमें 4 ओवरों में 42 रन खर्च डाले और मात्र 1 विकेट लिया। वहीं हार्दिक पांड्या के टीम में आने से ऋषि धवन को काफी नुकसान हुआ, जबकि पांड्या ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम में भी शामिल नहीं थे। लेकिन इस साल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दापण करने के साथ ही वनडे और टी-20 मैचों में पांड्या ने शानदार खेल दिखाया है। गेंद और बल्ले दोनों के साथ वो काफी प्रभावशाली रहे हैं। मनीष पांडेय manish-p-1482845393-800 साल की शुरुआत में भारतीय टीम का ऑस्ट्रेलिया का दौरा बेहद निराशाजनक रहा। वनडे और टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम को हार मिली, लेकिन भारतीय टीम ने टी-20 सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को व्हाइटवॉश कर कुछ हद तक अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाई। लेकिन इस दौरे पर एक खिलाड़ी ऐसा रहा, जिसने अपनी बल्लेबाजी से सबको प्रभावित किया। ये बल्लेबाज थे मनीष पांडेय, जिन्होंने वनडे सीरीज के आखिरी मैच में भी शानदार शतक लगाकर भारतीय टीम को जीत दिलाई। 331 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम बेहद दबाव में थी लेकिन मनीष ने संयम से बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम को जीत दिला दी। हालांकि जब 3 मैचों की टी-20 सीरीज खेली गई तो वो वनडे सीरीज जैसा कारनामा नहीं कर पाए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5वें वनडे के बाद मनीष पांडेय एक भी वनडे मैच में 30 से ज्यादा रन नहीं बना पाए और साल के अंत तक 11 पारियों में मात्र 190 रन ही बना सके । वहीं टी-20 मैचों में भी उनका बल्ला खामोश रहा। मनीष के लिए सबसे निराशाजनक बात ये रही कि साल के शुरुआत में अच्छी बल्लेबाजी करने के बावजूद वो पूरे साल उस लय को बरकरार नहीं रख सके और रनों के लिए तरसते रहे। न्यूजीलैंड और जिम्बॉब्वे के खिलाफ सीरीज में उनका बल्ला एकदम खामोश रहा। सुरेश रैना suresh-ra-1482845443-800 भारतीय टीम के विस्फोटक बल्लेबाज सुरेश रैना ने मात्र 18 टेस्ट मैच खेले हैं, लेकिन सीमित ओवरों के वो बेहतरीन खिलाड़ी हैं। हालांकि साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज से उन्हें ड्रॉप कर दिया गया, और न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के लिए वो अनफिट थे। हालांकि सुरेश रैना ने इस साल काफी टी-20 मैच खेले। रैना ने जब इस साल की शुरुआत की तो टी-20 मैचों में उनके नाम भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन थे। 2016 में भी भारतीय टीम को उनसे इसी तरह के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। लेकिन रैनी फैंस और टीम की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए। 2016 में रैना ने 16 टी-20 मैच खेले, जिसमें 22 की औसत और 126 की स्ट्राइक रेट के साथ मात्र 220 रन ही बना सके। ये औसत उनके करियर औसत से भी कम है। यहां तक कि वो एक भी अर्धशतक नहीं लगा सके और लंबे-लंबे छक्के लगाने वाले रैना इस साल 16 मैचों में मात्र 5 छक्के ही लगा सके। महेंद्र सिंह धोनी dhoni-veals-1482845496-800 टेस्ट मैचों से संन्यास लेने के बाद पूरे क्रिकेट जगत में ये चर्चा तेज हो गई कि क्या जल्द ही धोनी सीमित ओवरों के खेल को भी अलविदा कह देंगे। यहां तक कि हर सीरीज के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उनसे उनके संन्यास को लेकर सवाल पूछे जाने लगे। लेकिन धोनी ने हर बार अपने संन्यास की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन धोनी का बल्ला इस साल एकदम खामोश रहा। 2016 में 34 वनडे मैचों में धोनी का औसत मात्र 34 रहा। इस दौरान वो मात्र एक ही अर्धशतक लगा सके। धोनी के बल्ले में वो पुरानी रफ्तार नहीं दिखी। धोनी ने इस साल 21 टी-20 मैचों की 16 पारियों में 11 बार नाबाद रहे, वहीं उनका औसत 47.60 रहा। लेकिन धोनी मात्र 2 मैचों में ही 20 से ज्यादा रन बना सके। धोनी इस साल पहले ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने भारतीय टीम की तरफ से सभी 13 वनडे मैचों में हिस्सा लिया और खुद को नंबर 4 पर प्रमोट भी किया। लेकिन इस नंबर पर इस साल उनका औसत महज 27.60 रहा जो कि उनके ओवरॉल करियर औसत 50 से काफी कम है। हालांकि धोनी का स्ट्राइक रेट इस साल अच्छा रहा और उन्होंने 80.1 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए। लेकिन धोनी पिछले 3 साल से एकदिवसीय मैचों में एक भी शतक नहीं लगा पाए हैं, जिससे उन पर काफी सवाल उठने लगे हैं। युवराज सिंह yuv-singh-1482845593-800 युवराज सिंह ने 2016 में भारतीय टीम की वापसी की, लेकिन उनकी वापसी शानदार नहीं रही। हालांकि साल की शुरुआत उन्होंने बेहतरीन ढंग से की और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में अच्छे रन बनाए। वहीं साल के अंत में हेजल कीच के संग सात फेरे लेकर उन्होंने जिंदगी की पिच पर एक नई पारी की शुरुआत की। लेकिन साल के बीच का समय उनके लिए अच्छा नहीं रहा। 15 टी-20 मैचों में 20.75 की मामूली औसत से युवराज इस साल मात्र 166 रन ही बना सके। वहीं अपने लंबे-लंबे छक्कों से बड़े-बड़े गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने वाले युवराज सिंह का स्ट्राइक रेट इस साल महज 104.40 रहा। हालांकि युवराज ने धोनी को एक अतिरिक्त गेंदबाज का विकल्प जरुर दिया और 9 ओवरों में 5 विकेट चटकाए। इस दौरान उनका इकॉनामी रेट 6.64 रहा, पर उनका बल्ला खामोश रहा। हालांकि इस साल अहम मौकों पर युवराज ने कई अच्छी पारियां जरुर खेलीं, लेकिन उन मैचों में लय पाने में उनको काफी दिक्कत हुई। युवराज ने रणजी मैचों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, और टी-20 मैचों में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, ऐसे में भारतीय टेस्ट टीम में उनको जगह मिल सकती है।