शिवलकर की ही तरह राजिंदर गोयल भी एक और महान स्पिनर थे, जिसे भारतीय लाइनअप में सम्मानित चौकड़ी की दमदार उपस्थिति के चलते टेस्ट क्रिकेट से दूर रखा गया था। 1964-65 के सत्र के दौरान श्रीलंका (तब सीलोन) के खिलाफ एक ऑफ अनौपचारिक टेस्ट के अलावा उनको अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर कभी नहीं मिला। घरेलू सर्किट में लंबे समय तक कड़ी मेहनत करने पर इस बाएं हाथ के गेंदबाज़ ने भारतीय क्रिकेट सर्कल के बीच अपनी एक पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की। बिशन सिंह बेदी और सुनील गावस्कर ने भी उनकी काफी तारीफ की थी। गोयल का इतना ज्यादा राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव था कि एक बार कुख्यात डाकू भूरा सिंह यादव ने गोयल को (संन्यास के बाद) एक पत्र भेजा था जिसमें रणजी ट्रॉफी में 600 से ज्यादा विकेट लेने के लिए उन्हें बधाई दी थी। लगभग तीन दशक बाद उन्होंने मजाक में टिप्पणी करते हुए कहा भी था कि एक डकैत उसे अपने समय के भारतीय चयनकर्ताओं से ज्यादा पसंद आया। प्रथम श्रेणी कैरियर (1958/59 - 1984/85) 157 मैचों में 18.58 की औसत से 750 विकेट और 53.0 की स्ट्राइक रेट के साथ 59 पांच विकेट और 18 दस विकेट