शिवलकर और गोयल से भी पहले अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले, वामन विश्वनाथ कुमार 1960 के दशक के दौरान भारत की असंगत चयन नीतियों के एक और शिकार बने थे। तमिलनाडु (मद्रास) के इस दिग्गज का एक शानदार प्रथम श्रेणी कैरियर रहा जिसमें उन्होंने 20 से कम के एक असाधारण औसत से लगभग 600 विकेट लिए हैं। घरेलू स्तर पर अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद इस लेग स्पिनर को अपने देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने के कुछ ही अवसर प्राप्त हुए। 1961 के दौरान वीवी कुमार ने एक अच्छे पाकिस्तानी बल्लेबाजी लाइनअप के खिलाफ अपने पहले मैच में अपनी घूमती गेंदों से सभी को प्रभावित किया था। उसके बाद वो चोट लगने के बावजूद इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट में खेले। इस मैच में उन्हें कोई भी विकेट नही मिला, जिसके चलते वह आने वाले समय में टीम से तो बाहर रहे ही, साथ ही उनका अंतराष्ट्रीय करियर भी खत्म हुआ। एक समय सुभाष गुप्ते के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने वाले, इस अनुभवी स्पिनर के अंतरराष्ट्रीय करियर का अंत चंद्रशेखर के आगमन के बाद समाप्त हुआ। टेस्ट कैरियर (1961) 2 मैचों में 28.85 की औसत से 7 विकेट और 1 पांच विकेट प्रथम श्रेणी के कैरियर (1955/56 - 1 976/77) 129 मैचों में 19.98 के औसत से 599 विकेट और 50.2 की स्ट्राइक रेट, 36 पांच विकेट और 8 दस विकेट