साल 2013-14 से ढाका प्रीमियर लीग को लिस्ट ए का दर्जा प्राप्त हैं और तब से ही काफी विदेशी खिलाड़ी इस 50 ओवर के टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए बांग्लादेश आ रहे हैं। इस टूर्नामेंट के पहले सीज़न में 82 विदेशी खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमे ओइन मॉर्गन, रवि बोपारा, जेैकब ओरम और रेयान टेन डेश्काटे शामिल थे। हाल ही में खत्म हुए डीपीएल के सीजन में काफी विवाद भी देखने को मिले, जैसे एक क्लब के सदस्य खुद ही मैच फिक्सिंग में शामिल पाए गए, खिलाड़ियों को पैसे ही नहीं मिले और यहा तक कि अंपायर्स ने मैच से वॉकआउट कर दिया। इन सब के बावजूद भी डीपीएल में कुछ शानदार क्रिकेट देखने को मिला और खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें बांग्लादेश और कई विदेशी खिलाड़ी शामिल थे। इस साल विदेशी खिलाड़ियों की लिस्ट में थोड़ा बदलाव हुआ। 36 विदेशी खिलाड़ियों में से 22 खिलाड़ी भारत के थे, तो 10 खिलाड़ी श्रीलंका के थे। बीसीसीआई के अपने खिलाड़ियों को बाहर की लीग में खेलने देने से, इंडियंस फैंस को काफी फायदा हुआ। इस लिस्ट में काफी बड़े खिलाड़ी शामिल थे, जिन्होंने अच्छा किया, जैसे, मनोज तिवारी(एक मैच में 40 रन ), युसूफ पठान(दो मैच में 68 रन), रजत भाटिया(दो मैच में 105 रन और दो विकेट), दिनेश कार्तिक(4 मैच में 179 रन), हरयाणा के सचिन राणा(दो मैच में 75 रन और साथ में 4 विकेट) और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के सचिन बेबी जिन्होंने 5 मैच में 127 रन बनाए और एक विकेट हासिल किया। सनराइजर्स हैदरबाद के बिपुल शर्मा जिन्होंने इस साल शतक भी लगाया, उसके अलावा वो ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। इंडिया के गुरकिरत मान वो भी दो मैच में 22 रन ही बना पाए और सिर्फ दो विकेट ही हासिल किए। इनका प्रदर्शन बांग्लादेश में अच्छा नहीं रहा। 1- उदय कौल (अबहानी लिमिटेड)- चार मैच में 169 रन पंजाब के उदय कौल इंडिया के पहले खिलाड़ी थे, जिन्हें डीपीएल में साइन किया गया था। उन्होंने अबहानी के लिए उनका पहला मैच 22 अप्रैल को खेला। उनका प्रदर्शन अच्छा रहा और उसके बाद उनके क्लब ने कम समय में पठान, भाटिया, तिवारी और कार्तिक को भी साइन किया। कौल अबहानी के लिए सॉलिड मिडल ऑर्डर बल्लेबाज़ साबित हुए, जिसके बदौलत वो डीपीएल जीतने में भी कामयाब रहे। उन्होंने पहले तीन मैच में 44*, 63 और 59 रन बनाए। कौल ने 2012 में हुए प्राइम बैंक सीसी में अच्छा करने के बाद डीपीएल में जगह बनाई। उन्होंने तीन पारियों में 221 रन बनाए थे। कौल आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब का भी हिस्सा रहे हैं, लेकिन उनके लिए वो कुछ खास नहीं कर पाए। 28 वर्षीय कौल, जो कि विकेट कीपिंग भी कर लेते हैं, उन्हें अगले साल आईपीएल की नीलामी में कोई न कोई टीम तो जरूर खरीदेगी। 2- पुनीत बिष्ट(गाजी ग्रुप)- एक मैच में 86 रन एक और विकेटकीपर जिसने डीपीएल में अच्छा किया, वो थे दिल्ली के पुनीत बिष्ट। 30 वर्षीय बिष्ट को दिल्ली की फ़र्स्ट इलेवन से पिछले सीजन में ड्रॉप कर दिया गया था, उन्हें डीपीएल में एक ही मैच मिला, लेकिन उन्होंने अपने मौके का फायदा उठाया। जो इकलौता मैच उन्होंने खेला उसमें उनकी टीम को 33 ओवर्स में 220 रन की दरकार थी और उनकी पूरी टीम फेल हो गई। तभी पुनीत ने 79 गेंदो पर 86 रन बनाए, लेकिन आखिर में वो आउट हो गए और उनकी टीम 3 ओवर रहते ही ऑल आउट हो गई। बिष्ट दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ भी कुछ समय के लिए जुड़े रहे, लेकिन विक्टोरिया एससी के खिलाफ वो अकेले ही गाजी ग्रुप की तरफ से लड़ते है। उनके पास अभी काफी टैलेंट मौजूद है। 3- जतिन सक्सेना (कालाबागान सीए)- 7 मुकाबलों में 279 रन और 7 विकेट जितने भी इंडियन प्लेयर्स ने डीपीएल 2016 में हिस्सा लिया, उनमें से सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा जतिन सक्सेना का, जिन्हें डीपीएल में उनकी टीम ने इनके भाई जलज सक्सेना के कहने पर ख़रीदा था। जतिन इस साल छत्तीसगढ़ की तरफ से रणजी ट्रॉफी खेलेंगे। पिछले 8 सालों में वो मध्य प्रदेश के लिए सिर्फ 50 मैच ही खेल पाए। उनके डीपीएल में प्रदर्शन को देखते हुए, तो ऐसा ही लगता हैं कि वो आने वाले डोमेस्टिक सीजन में काफी नाम कमाएंगे। 4- उन्मुक्त चंद (प्राइम बैंक)- 6 मैच में 197 रन और 3 विकेट उन्मुक्त चंद उन खिलाड़ियों में से हैं, जिनसे की अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन वो कभी भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके । डीपीएल में इनके प्रदर्शन को देखते हुए, कुछ ऐसी चीजे भी देखने को मिली, जिसे आज तक नहीं देखा गया था। दिल्ली के इस युवा बल्लेबाज़ ने बल्ले से तो लगातार 30 और 40 रन बनाए ही, लेकिन चैंपियंस अबहानी लिमिटेड के सामने उन्होंने अपनी ऑफ स्पिन से सबको हैरान कर दिया। उन्होंने 9 ओवर में 59 रन देकर 3 विकेट लिए, जो कि उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन भी था। इससे पहले उन्होंने किसी भी फॉर्मेट में एक भी विकेट नहीं लिया था। ऑफ स्पिन गेंदबाजी से उनको नई ताकत मिली है, क्या वो इससे अपने करियर को पटरी पर ले आएंगे? 5- पवन नेगी (रूपगंज)- 5 मैच में 184 रन और 6 विकेट पवन नेगी ने छोटे से समय में सबकुछ देख लिया, उन्हें नाम भी मिला और इसके साथ ही उनको असफलता का भी सामना करना पड़ा। आईपीएल में इतने महेंगे बिकने के बावजूद, वो इस साल कुछ खास नहीं कर पाए और दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए गेंद और बल्ले दोनों से फ्लॉप रहे। हालांकि बांग्लादेश में वो फॉर्म में नज़र आए और उन्होंने खुद के चयन को सही साबित किया। नेगी की शानदार पारी रूपगंज के दूसरे मुक़ाबले में विक्टोरिया एससी के खिलाफ आई, जहां उन्होंने 54 रन देकर दो विकेट हासिल किए और बल्ले से भी उनका प्रदर्शन दमदार रहा। उनकी उस पारो को टूर्नामेंट की सबसे अच्छी पारियों में गिना जाता है। 259 रनों का पीछा करने उतरी उनकी टीम एक समय 83 रन पर 6 विकेट गवांकर संघर्ष कर रही थी। तभी नेगी ने अपनी पहली लिस्ट ए सेंचुरी लगाई और अंत में 89 गेंदों पर 124 रन बनाए। वो टीम को जीत तक ले गए, उन्होंने 49 ओवर की आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई। लेखक- दिपांकर लहीरी, अनुवादक- मयंक महता