इंग्लैंड एक ऐसा देश जहां किसी भी विदेशी क्रिकेटर और टीम के लिए शानदार प्रदर्शन करना मुश्किल होताहै। ख़ासकर अगर टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो इंग्लैंड को उसी के देश में हराना आसान नहीं होता है। हमें टीम इंडिया को 2011 और 2014 का इंग्लैंड दौरा याद है। 2014 में विराट कोहली भी इंग्लैंड में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। इंग्लैंड की पिच पर गेंद अकसर घूमती हुई नज़र आती है और ऐसे में किसी भी बल्लेबाज के लिए इन गेंद पर शॉट लगाना मुश्किल होता है। हांलाकि कुछ सालों में सीमित ओवर के खेल के लिए दुनियाभर की पिच को समतल बनाया गया है। लेकिन चुनौती आज भी बनी हुई है। टेस्ट मैच में जिस तरह से गेंद घूमती है उसकी वजह से न सिर्फ़ बल्लेबाज़ो, बल्कि गेंदबाज़ों को भी उसके हिसाब से ढालना होता है। इंग्लैंड के मैदान में ड्यूक गेंद का इस्तेमाल होता है जिसमें कुकाबुरा गेंद के मुक़ाबले ज़्यादा सीम देखने को मिलती है। इन सभी चुनौतियों के बावजूद टीम इंडिया के कुछ क्रिकेटर हैं जिन्होंने इंग्लैंड में अपने खेल से सभी क्रिकेट फ़ैंस का दिल जीता है। हम यहां उन 5 भारतीय खिलाड़ियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं जिन्होंने इंग्लैंड में धमाल मचाया है।
राहुल द्रविड़
राहुल द्रविड़ 1990 के दशक और 21वीं सदी के पहले दशक में टीम इंडिया के ‘दीवार’ रहे हैं। द्रविड़ के लिए इंग्लैंड सबसे ख़ास विदेशी मैदान रहा है। वो जब भी इंग्लैंड के दौरे पर गए हैं उनका प्रदर्शन क़ाबिल-ए-तारीफ़ रहा है। साल 1996 में लॉर्ड्स के मैदान में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। उन्हें इस मैच में नंबर-7 पर बल्लेबाज़ी करने का मौका मिला था, जहां उन्होंने 95 रन की पारी खेली थी। भले ही वो शतक बनाने से चूक गए थे लेकिन उन्होंने दिखा दिया था कि वो लंबी पारी खेलने की ताक़त रखते हैं। उन्होंने ट्रेंट ब्रिज में हुए अगले टेस्ट मैच में भी शतक लगाने का मौका गंवाया था। इस मैच में उन्होंने 84 रन की पारी खेली थी। इस तरह उन्होंने अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ में ही अपने हुनर का प्रदर्शन किया था। 6 साल बाद द्रविड़ को फ़िर इंग्लैंड दौरे पर जाने का मौका मिला जहां उन्होंने कुल 602 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और एक अर्धशतक शामिल था। इस दौरान उनकी बल्लेबाज़ी का औसत 100.33 था। हांलाकि 2007 का इंग्लैंड दौरा द्रविड़ के लिए अच्छा नहीं रहा, लेकिन साल 2011 में उन्होंने इंग्लैंड के मुश्किल हालात में भी शानदार बल्लेबाज़ी की थी। इस साल टीम इंडिया को टेस्ट सीरीज़ में 0-4 से हार का सामना करना पड़ा था। इस सीरीज़ में राहुल द्रविड़ एकलौते ऐसे बल्लेबाज़ थे जिन्होंने इंग्लैंड के गेंदबाज़ों का मज़बूती से सामना किया था। उन्होंने साल 2011 की टेस्ट सीरीज़ में 76.83 की औसत से 461 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने लॉर्ड्स के मैदान में शतक भी लगाया था। कुल मिलाकर बात करें तो द्रविड़ ने इंग्लैंड के सभी दौरे में टेस्ट क्रिकेट में 68.80 की औसत से 1376 रन बनाए हैं। भारतीय बल्लेबाज़ों की बात करें तो इंग्लैंड में द्रविड़ का औसत सबसे अच्छा है। वनडे क्रिकेट में भी द्रविड़ ने इंग्लैंड में 45 की औसत से 1169 रन बनाए हैं।
सौरव गांगुली
राहुल द्रविड़ की तरह सौरव गांगुली ने भी साल 1996 में लॉर्ड्स के मैदान में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। गांगुली ने उस मैच में शानदार शतक लगाया था। उन्होंने अपने पहले टेस्ट में 131 रन की पारी खेली थी। ट्रेंट ब्रिज में हुए दूसरे टेस्ट मैच में भी गांगुली का जलवा बरकरार रहा और उन्होंने 136 और 48 रन की पारियां खेली। इस टेस्ट सीरीज़ से गांगुली ने विश्व क्रिकेट में अपनी दस्तक दे दी थी। द्रविड़ की तरह गांगुली को भी इंग्लैंड का दौरा काफ़ी पसंद था। साल 2002 में उन्होंने अपनी कप्तानी में इंग्लैंड दौरे पर कुल 351 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने 3 अर्धशतक और एक शतक लगाया था और 4 मैचों की सीरीज़ को ड्रॉ कराया था। साल 2007 के इंग्लैंड दौरे में उन्होंने 3 मैच की टेस्ट सीरीज़ में उन्होंने 249 रन बनाए थे। इस दौरान उनका औसत 50 के क़रीब था। अगर वनडे की बात करें तो गांगुली ने इंग्लैंड में 1000 से ज़्यादा रन बनाए हैं। 2002 की नैटवेस्ट सीरीज़ के फ़ाइनल में गांगुली ने 43 गेंदों में 60 रन बनाए थे और टीम को जीत दिलाने में मदद की थी।
सचिन तेंदुलकर
हर कोई ये बात जानता है कि सचिन तेंदुलकर ने 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ डेब्यू किया था। जब वो पहली बार साल 1990 में इंग्लैंड के दौरे पर गए थे, तब तक टेस्ट में उन्होंने 3 अर्धशतक लगाया था। उस साल सीरीज़ का पहला टेस्ट लॉर्ड्स के मैदान में खेला गया था, इस मैच में तेंदुलकर ने 10 और 27 रन बनाए थे। दूसरा टेस्ट मैच ओल्ड ट्रैफ़र्ड में खेला गया था, जहां सचिन ने अपनी गहरी छाप छोड़ी थी। उन्होंने इस मैच में 119 रन बनाए थे और टीम इंडिया को हारने से बचाया था। उन्होंने इसी टेस्ट मैच की पहली पारी में 68 रन बनाए थे। दूसरी पारी में सचिन ने बेहद दबाव में शतक बनाया था। उस वक़्त सचिन की उम्र महज़ 17 साल थी, उस टेस्ट सीरीज़ में में सचिन ने 61.25 की औसत से 245 रन बनाए थे। वो मुश्किल हालात में रन बनाने में माहिर थे। वनडे में भी सचिन का रिकॉर्ड अच्छा है, इंग्लैंड में खेले गए 26 मैच में उन्होंने 1000 से ज़्यादा रन बनाए हैं।
भुवनेश्वर कुमार
भुवनेश्वर कुमार ने एक अच्छे तेज़ गेंदबाज़ के तौर ख़ुद को टीम इंडिया में स्थापित कर लिया है। वो साल 2014 में पहली बार इंग्लैंड के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने 19 विकेट हासिल किए थे। इसके लिए उन्हें संयुक्त रूप से ‘मैन ऑफ़ द सीरीज़’ अवॉर्ड हासिल किया था। उस टूर की शुरुआत में पहला मैच नॉटिंघम में खेला गया था, जो ड्रॉ रहा। लॉर्ड्स के मैदान में खेला गए दूसरे टेस्ट की पहली पारी में भुवी ने 82 रन देकर 6 विकेट हासिल किए थे। भारत ने 28 साल बाद लॉर्ड्स के मैदान में टेस्ट मैच में जीत हासिल की थी। इस दौरे पर भुवनेश्वर ने अपने बल्ले से भी कमाल दिखाया था और टेस्ट सीरीज़ में 247 रन बनाए थे, जिसमें 3 अर्धशतक शामिल थे। इसके अलावा इंग्लैंड में खेले गए 11 वनडे मैच में भुवी ने 26.50 की औसत से 14 विकेट हासिल किए हैं।
कपिल देव
भारत के महान ऑलराउंडर कपिल देव ने इंग्लैंड में 13 टेस्ट मैच खेले हैं और 35.44 की औसत से 638 रन बनाए हैं। इसके अलावा उन्होंने इन 13 टेस्ट मैच में 43 विकेट हासिल किए हैं। कपिल पहली बार साल 1979 में इंग्लैंड के दौरे पर गए थे और 3 टेस्ट मैच में 16 विकेट हासिल किए थे। इंग्लैंड के दूसरे दौरे पर पर उन्होंने 4 पारियों में 292 रन बनाए और 10 विकेट लिए थे। इंग्लैंड में खेले गए वनडे में उनका रिकॉर्ड काफ़ी अच्छा है 17 वनडे मैच में उन्होंने 47.18 की औसत से 519 रन बनाए और 31.79 की औसत से 19 विकेट हासिल किए। लेखक- साहिल जैन अनुवादक- शारिक़ुल होदा