क्रिकेट इतिहास में 5 ऐसे प्रयोग जिसने इस खेल के प्रति बढ़ाई दीवानगी

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1877 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट खेले जाने के बाद से, क्रिकेट के खेल में काफी क्रांतिकारी बदलाव आये हैं। खेल के नियम भी गवर्निंग बॉडी (आईसीसी)बनाती है और खिलाड़ी मैदान पर उन्हें आजमाते हैं। तकनीक से लेकर खेल के प्रारूप तक में काफी बदलाव हुआ है। क्रिकेट के खेल में हो रहे नवीनीकरण की वजह से अब यह खेल और रोचक होता जा रहा है और इसी वजह से दुनिया भर के खेल प्रशंसक इस खेल को अब और भी पसंद भी कर रहे हैं। आज हम आपको क्रिकेट में आये 5 नए नियमों के बारे में बताएंगे जिसने दर्शकों को इस खेल के साथ बान्धे रखा: #5 डिसिजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) डीआरएस, 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच एक टेस्ट मैच से शुरू हुआ था लेकिन तभी से यह विवादों से घिरा रहा है। इस नियम को लाने का उद्देश्य मैदान पर अंपायरों द्वारा दिए गए गलत फैसले में सुधार करना था। कई खिलाड़ियों ने डीआरएस की आलोचना की थी क्योंकि सभी को लगता था कि यह नियम 100% सटीक नहीं है। कई विशेषज्ञों का यह भी मानना था कि इसकी वजह से मैदान पर मौजूद अंपायरों की शक्तियों में काफी कटौती हुई है। आईसीसी ने समय-समय पर खिलाड़ियों और मैदानी अंपायरों के हितों का ध्यान रखते हुए इस नियम को संशोधित भी किये हैं। वर्तमान में, डीआरएस का सभी तीन प्रारूपों में सकारात्मक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है और इससे सही निर्णय लेने में मदद मिली है। डीआरएस लंबे समय का घोड़ा है और जैसे जैसे तकनीक बेहतर होती जाएगी, इसमें भी सुधार होगा। #4 सुपर सब SUPER SUB सुपर सब का नियम आईसीसी द्वारा 2005 में एकदिवसीय क्रिकेट में लाया गया लेकिन यह 60 मैचों से ज्यादा नहीं टिक पाया, फिर भी यह क्रिकेट के खेल में एक रोचक बदलाव था। दोनों टीमों को अपने सुपर सब के रूप में एक खिलाड़ी का नाम देना होता था जो किसी अन्य खिलाड़ी के स्थान पर मैच के दौरान कभी भी बल्लेबाजी, गेंदबाजी या फील्डिंग कर सकता था। ये नियम बिल्कुल नया था इसी वजह से खेल में काफी रोचकता आ गयी थी। इसके बावजूद यह जल्द समाप्त करना पड़ा क्योंकि सभी को लगता था कि टॉस जीतने वाली टीम के पक्ष में ये ज्यादा है और विपक्षी टीम के सुपर सब को अप्रभावी बना देता है। इस नियम में यह बदलाव किया जा सकता था कि टीम टॉस के बाद सुपर सब के नाम का ऐलान कर सकती थी लेकिन आईसीसी ने इस नियम को लागू होने के एक साल के अंदर ही हटा लिया। #3 रिवर्स स्वीप और स्विच हिट SWITCH HEAT तकनीक और नियमों के साथ-साथ बल्लेबाज़ अपने तरकश में कई तीर जोड़ रहे हैं। स्ट्रेट ड्राइव, कवर ड्राइव और पारंपरिक शॉर्ट देखने में काफी सुखद लगते हैं लेकिन रिवर्स स्वीप और स्विच हिट आज के क्रिकेट की मांग हैं। 90 के दशक और 2000 के दशक के शुरुआती दौर में एंडी फ्लावर रन बनाने के लिए रिवर्स स्वीप का काफी इस्तेमाल करते थे। टी20 क्रिकेट के आगमन के साथ, स्विच हिट ने भी लोकप्रियता हासिल कर ली है। केविन पीटरसन, डेविड वॉर्नर, एबी डीविलियर्स और ग्लेन मैक्सवेल जैसे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मैच में लगातार स्विच हिट का इस्तेमाल करते हैं। #2 टी20 क्रिकेट T20 टी20 क्रिकेट इस सदी में क्रिकेट की सबसे बड़ी क्रांति है। हालांकि टी20 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ 12 साल का है, लेकिन इस अवधि के दौरान इसने तेजी से लोकप्रियता हासिल की है। इसके 6 वर्ल्ड कप में, 5 अलग-अलग टीमों ने ट्रॉफी उठायी है, इससे यह साफ हो जाता है कि यह ऐसा प्रारूप है जिसमें कोई भी टीम लम्बे समय तक दबदबा बनाकर नहीं रख सकती। टी20 का मैच लगभग साढ़े तीन घंटे का होता है और जो टीम इसमें अच्छा खेल दिखाती है, वह विजेता बन जाती है, यह टेस्ट क्रिकेट से बिल्कुल अलग है जहां मैच 5 दिनों का होता है और टीम के पास वापसी करने का भी मौका रहता है। टी20 का प्रारूप इतना लोकप्रिय हो गया है कि लगभग सभी टेस्ट खेलने वाले देशों ने अब अपना टी20 लीग शुरू कर लिया है। टी20 क्रिकेट के बाद से खेल के अन्य प्रारूपों में खिलाड़ियों के दृष्टिकोण में बदलाव आया है जैसे कि टेस्ट और वनडे। वनडे में जहाँ अब व्यक्तिगत स्कोर लगातार 150 के ऊपर जाने लगे हैं जबकि टीमों का पारी में 350 रन बनाना एक सामान्य बात हो गयी है। अब क्रिकेट में कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता और आसानी से हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजों ने इसी तरीके को अपना लिया है, अब बल्लेबाज एक सत्र में शतक बना लेते है। इससे साफ हो जाता है कि टी20 क्रिकेट ने काफी कम समय में अपनी छाप छोड़ दी है। #1 डे-नाइट टेस्ट मैच DAY NIGHT TEST आईसीसी ने वर्ष 2015 में गुलाबी गेंदो से दूधिया रोशनी के नीचे टेस्ट मैच करने का फैसला किया। यह समिति द्वारा उठाया गया सराहनीय कदम था। तब से, 6 डे-नाईट टेस्ट मैच (ऑस्ट्रेलिया में 3, दुबई में 2 और इंग्लैंड में 1) खेले जा चुके हैं और उन सभी के परिणाम आये हैं। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान जैसी टीमों ने टेस्ट सीरीज़ के दौरान कम से कम 1 टेस्ट दूधिया रोशनी में खेलने का फैसला किया है। दक्षिण अफ्रीका को बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ज़िम्बाब्वे से खेलना है और न्यूजीलैंड की टीम अगले साल इंग्लैंड के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट मैच की मेजबानी करेगा। यह देखने वाली बात होगी कि भारतीय टीम अपना पहला डे-नाइट टेस्ट मैच कब खेलती है। हालांकि, भारतीय घरेलू मैचों में गुलाबी गेंद से कई मैच खेले जा चुके हैं। डे-नाइट टेस्ट मैच का मुख्य उद्देश्य स्कूल के बच्चे और अन्य कामकाजी लोगों को टेस्ट मैचों के लिए आकर्षित करना है। यह उद्देश्य काफी हद तक सफल भी हो रहा है। लेखक- मीत सम्पत अनुवादक- ऋषिकेश सिंह

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