भारतीय टीम के लिमिटेड ओवर के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी तनाव को सहने की क़ाबिलियत को एक अलग स्तर पर ले गए हैं। दबाव में धोनी जिस क़दर शांत रहते है इसपर कई आर्टिकल लिखे जा चुके हैं, और यही वजह है कि दुनिया उन्हें कैप्टेन कूल भी कहती है। इसके साथ साथ उन्होंने कई बार ये दिखाया है कि वह एक चतुर कप्तान भी हैं। धोनी सिमित ओवर के खेल में वें गज़ब की रणनीति बनाते हैं। कई बार दांव भी लगाते है और ज़्यादातर समय ये दांव सही साबित होता है मानो जैसे उनके पास अलादीन का चिराग हो। धोनी के प्रेज़ेंस ऑफ़ माइंड का तो जवाब नहीं, केवल बल्ले से ही नहीं, बल्कि वह अपने कप्तानी या कीपिंग से भी मैच फिनिश कर सकते हैं। ICC वर्ल्ड टी-20 में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ जीत भारत के लिए अहम थी, क्योंकि इससे भारतीय टीम के सेमीफ़ाइनल में जाने का रास्ता साफ़ होने वाला था। लेकिन धोनी ने तनाव में चालाकी दिखाते हुए आपने विरोधियों को पछाड़ दिया। बांग्लादेश को जीत के लिए आख़िरी ओवर में 11 रनों की ज़रूरत थी और वह जीत के क़रीब थे। धोनी ने आख़िरी ओवर हार्दिक पंड्या को दिया, जिन्होंने दो गेंद में दो विकेट लिए और अब बांग्लादेश को जीत के लिए एक गेंद में दो रन चाहिए थे। और ये समय था धोनी को अपनी क़ाबिलियत दिखाने का। आख़िरी गेंद फेंके जाने से पहले ही धोनी ने अपने दाएं हाथ का दस्ताना उतार दिया था। उन्हें पता था कि आख़िरी गेंद पर बांग्लादेशी बल्लेबाज़ हर हाल में एक रन के लिए जाएंगे, और हो सकता है विकेट के पीछे से थ्रो करने की नौबत आ पड़े। हुआ भी ठीक वैसा ही, बांग्लादेश के बल्लेबाज़ सगुवागत होम पांड्या की गेंद पर बल्ला लगाने से चूक गए, और बाय लेने के लिए दौड़े। लेकिन स्टंप के पीछे खड़े धोनी ने बॉल पकड़ा और स्टंप की ओर तेज़ धावक की तरह दौड़े और बेल्स उड़ा दिए। मुस्तफ़िज़ुर रहमान क्रीज़ से बहुत दूर थे और इसलिए वह रनआउट हो गए। इससे भारत ने मैच एक रन से जीत लिया। इस जीत का श्रेय धोनी की चालाकी को जाता है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां पर धोनी ने अपनी चालाकी से भारत को विजेता बनाया, आइए उन्हीं में 5 उदाहरण आपको याद दिलाते हैं:
#1 2007 ICC वर्ल्ड टी-20 के फ़ाइनल में जोगिन्दर शर्मा को आख़िरी ओवर देना
ICC वर्ल्ड टी-20 2007 के फ़ाइनल मैच के फ़ाइनल ओवर में पाकिस्तान को जीत क लिए 13 रन चाहिए थे और गेंदबाज़ी में अनुभवी हरभजन सिंह और युवा ऑलराउंडर जोगिन्दर शर्मा के दो-दो ओवर बाक़ी थे। दोनों में से किसी एक को चुनना मुश्किल था। इसके पहले मिस्बाह उल हक़ ने हरभजन सिंह के ओवर में छक्के जड़े थे। इसलिए धोनी ने जोगिन्दर शर्मा को चुना, जिन्हें अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में कोई नहीं जानता था। जोगिन्दर कप्तान की उम्मीदों पर खरे उतरे और श्रीसंथ के हाथों मिस्बाह को आउट करवाया। मिस्बाह ने स्कूप खेलने की कोशिश की जिसकी टाइमिंग ग़लत हो गई और शॉर्ट फ़ाइन लेग पर खड़े श्रीसंथ ने कैच लपक लिया। और भारत बन गया था पहले वर्ल्ड टी-20 का बादशाह। ये एक तरह से एक जुआ ही था लेकिन सोचा समझा हुआ था, क्योंकि जोगिन्दर की रफ़्तार बहुत कम है। धीमी गेंद होने के कारण ही मिस्बाह की टाइमिंग ख़राब हुई। हालांकि ये धोनी के कप्तानी की शुरुआत थी, लेकिन यहीं से उनका हुनर दुनिया के सामने आ चुका था।
#2 ICC चैंपियंस ट्राफी 2013 के फ़ाइनल में स्पिनर्स को आख़िरी ओवर देना
बारिश से प्रभावित ICC चैंपियंस ट्राफी 2013 का फाइनल मैच केवल 20 ओवर का रह गया था। इसमें भारतीय टीम ने 130 रन बनाये थे और जीतने के लिए उन्हें किसी जादू की आवश्यकता थी। गेंदबाज़ों ने अच्छी शुरुआत की, लेकिन स्पिनर्स ने मैच का रुख बदला। पिच सूखी थी और गेंद घूम रही थी। लेकिन फिर इयोन मॉर्गन और रवि बोपारा की साझेदारी से इंग्लैंड ने मैच में वापसी की और उन्हें 16 गेंदों में 20 रन चाहिए थे। यहां एक बार फिर धोनी की चाल काम कर गयी, उन्होंने आख़िरी दो ओवर के लिए रविचंद्रन आश्विन और रविन्द्र जडेजा को बचा कर रखा था। धोनी ने 18 वां ओवर इशांत शर्मा को दिया, जहां पर इशांत ने मॉर्गन और बोपारा की अहम विकेट ली। इंग्लैंड टीम को स्पिनर्स के ख़िलाफ़ खेलने में मुश्किल आ रही थी। धोनी ने 19वां और 20वां ओवर अश्विन और जडेजा को दिया,दोनों कप्तान के भरोसे पर खरा उतरे। और भारतीय टीम ने ICC चैंपियंस ट्रॉफी जीत ली, ये था धोनी का मास्टर स्ट्रोक। धोनी सभी ICC टूर्नामेंट जीतने वाले इकलौते कप्तान हैं, धोनी के नाम ICC वर्ल्ड टी-20, ICC वनडे वर्ल्ड कप और ICC चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत को चैंपियन बनाने का श्रेय जाता है।
#3 IPL में कीरोन पोलार्ड के लिए फील्ड सेटिंग
वेस्टइंडीज़ के ऑलराउंडर कीरोन पोलार्ड की क्षमता के बारे में सब जानते है। वें ऐसे खिलाडी है जो गेंदबाज़ के ऊपर से छक्का मारने में विश्वास रखते हैं। लेकिन एमएस धोनी की चाल के आगे पोलार्ड नहीं चल पाए। IPL 2010 के फ़ाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स और मुम्बई इंडियंस का आमना सामना था। चेन्नई ने 168 रन बनाए थे। मुम्बई की टीम से सचिन अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे और उनके कई हार्ड हिटर्स मौजूद थे। जब पोलार्ड बल्लेबाज़ी करने आएं, तब मुम्बई को आखरी तीन ओवर में 54 रनों की ज़रूरत थी। धोनी को पता था की पोलार्ड स्ट्रेट हिट करेंगे। उन्होंने इस वेस्टइंडीज़ के खिलाडी के लिए अजीब फील्ड रखी जहां और एक स्ट्रेट मिड़ ऑफ और एक स्ट्रेट लॉन्ग ऑफ मौजूद था। पोलार्ड ने अपनी आतिशबाज़ी शुरू कर दी, लेकिन ज्यादा देर तक इसे चालू नहीं रख सकें क्योंकि वह धोनी की सेट की हुई फ़ील्ड यानी स्ट्रेट मिडऑफ पर लपके गए थे। ये एक कमाल की चाल थी और धोनी को इसका फायदा भी हुआ।
#4 मनीष पाण्डेय को क्रॉस करने के लिए कहना
हर बार मैच ख़ुद फ़िनिश नहीं किया जा सकता। मैच फ़िनिशिंग के लिए अलग तरह से भी योगदान दिया जा सकता है। महेंद्र सिंह धोनी एक उच्च श्रेणी के फिनिशर है। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 5 वनडे मैच की सीरीज में हमे धोनी के प्रजेंस ऑफ़ माइंड की झलक मिली। भारतीय टीम पहले चार मैच हार चुकी थी और लगभग पांचवां मैच भी हारने वाली थी। आख़िरी मैच में भारत 331 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था और आखिरी ओवर में 13 रनों की ज़रूरत थी। मनीष पाण्डेय कमाल की पारी खेल रहे थे। धोनी भी क्रीज़ पर मौजूद थे और आख़िरी ओवर की पहली गेंद का सामना धोनी ने ख़ुद किया। पहली गेंद वाइड थी और दूसरी गेंद पर धोनी ने शानदार छक्का मारा। अगली गेंद पर छक्का मारने की कोशिश करते हुए गेंद काफ़ी उंची उठी और कैच होनेवाला था। तभी धोनी ने पाण्डेय को क्रॉस करने के लिए कहा, ताकि स्ट्राइक पर मनीष पाण्डेय रहें। धोनी जानते थे कि पाण्डेय भारत को मैच जितवा सकते हैं। धोनी ने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ। कमेंटेटर डीन जोंस ने धोनी के प्रेज़ेंस ऑफ़ माइंड की भरपूर तारीफ़ की।
#5 धोनी का मलिंगा का ओवर ख़ुद खेलना और आख़िरी ओवर में 15 रन बनाकर जीत दिलाना
महेंद्र सिंह धोनी ने कई मौके पर भारतीय टीम को जीत दिलाई है। 2013 में त्रिकोणीय श्रृंखला के फ़ाइनल में श्रीलंका के ख़िलाफ़ उन्होंने ऐसा ही कर दिखाया। भारतीय टीम 202 के लक्ष्य का पीछा आसानी से कर रही थी। फिर एक झटके में भारतीय टीम के विकेट्स गिरते गए और 157 रनों पर 7 विकेट हो गए। एक छोर पर धोनी आसानी से बल्लेबाज़ी कर रहे थे और टेलेंडर्स को बचाने की भरपूर कोशिश में लगे हुए थे। लेकिन फिर भारत ने दो और विकेट गंवा दिए और आख़िरी बल्लेबाज़ ईशांत शर्मा बल्लेबाज़ी करने आए। धोनी को मालूम था कि अगर मलिंगा के सामने इशांत आये तो मलिंगा से बच नहीं पाएंगे। इसलिए धोनी ने सावधानी से बिना कोई खतरा लिए मलिंगा का ओवर ख़ुद खेला। ईशांत को एंजेलो मैथ्यूज का सामना करना पड़ा जो मलिंगा से कम ख़तरनाक थे। इसके बाद आख़िरी ओवर में भारतीय टीम को जीत के लिए 15 रन की ज़रूरत थी। धोनी ने सही हिसाब लगाया और आखरी ओवर में अनुभवहीन शमिंगा एरंड गेंदबाज़ी करने आएं। इस ओवर में धोनी ने दो छक्के और एक चौक लगा कर मैच जीता। कमेंटेटर इयान बिशप ने कहा,"मैग्नेफ़िशिएंट महेंद्र"। लेखक: पल्लब चैटर्जी, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी