एक दिग्गज ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा है, वह अपने खेल से सबको हैरान करते थे उनका वही अंदाज सन्यास लेने में भी रहा। सहवाग की अगर किसी खासियत की हम बात करें तो वह थी, उनका लोगों को हैरत में डाल देना या फिर विस्मय में डाल देना। कभी-कभी ये दोनों। ग्लेन मैग्रा ने उन्हें बेहद असाधारण क्रिकेटर बताया तो ब्रेट ली उन्हें गेंदबाजों का अहम नष्ट करने वाले बताया। लेकिन नजफ़गढ़ के इस नवाब ने क्रिकेट खेल को इतना कठिन कभी नही लगने दिया जिसके लिए लोगो को ज्यादा सीखने और कठिन मेहनत करने की जरूरत है। शुरुआत से अंत तक इस बल्लेबाज़ ने खुद एक रहस्मयी क्रिकेटर बनाये रखा। दक्षिण अफ्रीका कर खिलाफ अपने पहले ही टेस्ट में सहवाग ने शतक लगाकर दुनिया को अपने अवतरण का आभास करा दिया था। उन्होंने इंग्लैंड जैसे कठिन परिस्थितियों में भारत के लिए ऊपरी क्रम में बल्लेबाज़ी करके भी खुद को साबित किया था। उन्होंने ये जताया नियम, धारणा और शर्तें उनकी बल्लेबाज़ी में नही हैं।
#5 बेअदब दिमाग का एक राज़
[caption id="attachment_13276" align="alignnone" width="594"] वीरेंद्र सहवाग[/caption] उनका रहस्य ही उनकी सफलता का राज था। सहवाग का विश्वास कई बार मुश्किल पिचों पर अच्छा प्रदर्शन करके क्रिकेट पंडितों को भी झूठा साबित कर देता था। उन्होंने बताया कि वह अपने दिमाग में बेअदबी से गाने गाया करते थे। उन गानों में साईं बाबा के भजन, किशोर कुमार के गाने और अमिताभ पर फिल्माए गए गाने होते थे। उनकी ये आदत थी साथ ही उनकी कठिन मेहनत भी थी। वह कभी भी किसी समय में अपनी पारी को पर्याप्त नही मानते थे, उन्हें ये पता थी किन उन्हें क्या चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान में 2006 में दूसरे टेस्ट से पहले कहा था कि वह यहाँ ड्रा खेलने नही बल्कि जीतने आयें। सहवाग ही वह बल्लेबाज़ थे जिन्होंने विश्वकप में पांच मैचों में चौका लगाकर रन पारी की शुरुआत की थी।
#4 अन्धविश्वासी!
[caption id="attachment_13275" align="alignnone" width="456"] वीरेंद्र सहवाग[/caption] सहवाग एक बुद्धिमान क्रिकेटर थे। वह अन्धविश्वासी भी थे। सहवाग का मानना था कि उन्होंने जब भी भारत का सपोर्ट किया है भारत हार गया है। एक वाकये का जिक्र करते हुए उहोने बताया राजकोट में श्रीलंका के साथ हो रहे मुकाबले में उन्होंने लंका का सपोर्ट किया था, इस मैच में श्रीलंका 414 जैसे कठिन लक्ष्य के लगभग करीब पहुँच रहा था। सहवाग होरोस्कोप में काफी भरोसा रखते थे। उनके एक दोस्त ने उन्हें पहले ही बताया था कि ये दिन उनके लिए अच्छा रहेगा और उसी दिन उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तिहरा शतक बनाया था। उसके बाद उन्हें किसी ने बिना नम्बर वाली जर्सी पहनने को कहा था। उन्होंने एक बार बताया था की उन्हें और उनके परिवार को अंकों को लेकर काफी दुविधा थी इसलिए उन्होंने अपनी जर्सी से नम्बर ही हटवा दिया था।
#3 बिना चौके का एक सत्र
[caption id="attachment_13274" align="alignnone" width="594"] वीरेंद्र सहवाग[/caption] सहवाग ऐसे बल्लेबाज़ थे जो मैदान पर खेल रहे खिलाड़ी को देखकर यही सोचते कि वह चौके और छक्के कैसे मिस कर दे रहा है। वह हर गेंद को बाउंड्री के पार भेजने का नुस्खा रखते थे। सहवाग ने हर मिनट पर चौका मारने की सोचते थे। लेकिन समय ऐसा भी था कि सहवाग ने पूरे एक सत्र कोई भी चौका नही लगाया था। सहवाग बहुत ही स्मार्ट क्रिकेटर थे और वह किसी भी वक्त गेंद को सीमा पार करा सकते थे। 2008, एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के साथ चौथे टेस्ट के पांचवे दिन भारत ने अपनी दूसरी पारी की शुरूआत की पहली पारी के आधार पर भारत 36 रन से पिछड़ा हुआ था। लंच से कुछ समय पहले 35वें ओवर में सहवाग ने चौका जड़ा था तब वह 84 रन पर थे। भारत की स्थिति अच्छी नही थी और स्कोर 206 रन पर चार विकेट था। सहवाग का अगला चौका फिर 68वे ओवर में आया जब वह 133 रन बना चुके थे। उन्होंने लंच के बाद एक भी चौका नही लगाया था। जो इन्सान एक दिन में दोहरा शतक बना सकता है और एक सत्र में शतक उसने कैसे खुद पर इतना नियन्त्रण रखा वाकई ये काबिले तारीफ़ है।
#2 एमसीजी पर 195 रन बनाकर आउट होना
[caption id="attachment_13273" align="alignnone" width="594"] वीरेंद्र सहवाग[/caption] सहवाग ने एमसीजी पर 233 गेंदों में 195 रन की पारी खेली थी उन्होंने इस मैदान पर मेहमान खिलाड़ी के तौर पर विवियन रिचर्ड्स के उच्चतम स्कोर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। उनकी इस पारी की बदौलत भारत 300 के पार पहुँच गया था, जिससे कंगारू चकित थे। लेकिन उनकी तरह कोई ऐसे मौके पर आउट नही होना चाहेगा। जब वह 189 रन पर थे तभी पार्टटाइम चाइनामेन गेंदबाज़ साइमन काटिच गेंदबाजी करने आये। भारत का स्कोर 305-3 विकेट था। सहवाग ने काटिच की गेंद पर छक्का जड़ा और वह 195 पर पहुँच गये। लेकिन अगली गेंद जो काटिच की फुलटॉस थी उसे सहवाग स्ट्रैट शॉट खेला और वह आउट हो गये दोहरा शतक से वह मात्र 5 रन दूर रह गये थे। आप सोच रहेंगे होंगे कि उन्होए ऐसी गलती दोबारा नही कि तो गलत है!
#1 छक्का लगाकर पूरा किया तिहरा शतक
[caption id="attachment_13261" align="alignnone" width="594"] वीरेंद्र सहवाग[/caption] सहवाग को छोडकर किसी भी भारतीय ने तिहरा शतक नही बनाया है। सहवाग ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाये गये लक्ष्मण के 281 रन के सर्वोच्च स्कोर को तोड़ दिया था। सहवाग जब 295 रन सचिन के साथ बनाकर खेल रहे थे। तभी गेंदबाज़ी करने सक़लैन मुश्ताक आये। सहवाग ने ये बिलकुल नही सोचा की मुस्ताक कैसी गेंद फेंकेंगे उन्होंने क्रीज़ से निकलकर गेंद को सीधा सीमा पार छक्के के लिए भेज दिया। वह सीधे 295 से 301 पहुँच गये। ये दूसरा सबसे तेज तिहरा शतक था जिसमे वह हेडन से सिर्फ 2 गेंद पिछड़ गये थे। दो साल बाद उन्होंने हेडन से 84 गेंद जल्दी 278 गेंदों में तिहरा शतक दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बनाया। जब सहवाग 291 रन पर थे तब उन्होंने पॉल हैरिस को चुनौती देते हुए कहा था कि अगर वह राउंड द विकेट गेंदबाजी करेंगे तो वह उन्हें छक्का जरुर मारेंगे। जब पॉल ने ऐसा किया तो सहवाग ने उनकी गेंद पर छक्का मारकर अपनी बात को सिद्ध किया। जबकि मिडविकेट और लॉन्गऑन पर मिलाकर सीमा रेखा के पास चार फील्डर थे। सहवाग को इसीलिए महानता श्रेणी में रखा जाता है। सहवाग के नाम 11 में से 5 तेज दोहरा शतक है जिसमे दूसरा और तीसरा उन्ही के नाम है। लेखक- कृष श्रीपदा, अनुवादक-मनोज तिवारी