#3 बिना चौके का एक सत्र
[caption id="attachment_13274" align="alignnone" width="594"] वीरेंद्र सहवाग[/caption] सहवाग ऐसे बल्लेबाज़ थे जो मैदान पर खेल रहे खिलाड़ी को देखकर यही सोचते कि वह चौके और छक्के कैसे मिस कर दे रहा है। वह हर गेंद को बाउंड्री के पार भेजने का नुस्खा रखते थे। सहवाग ने हर मिनट पर चौका मारने की सोचते थे। लेकिन समय ऐसा भी था कि सहवाग ने पूरे एक सत्र कोई भी चौका नही लगाया था। सहवाग बहुत ही स्मार्ट क्रिकेटर थे और वह किसी भी वक्त गेंद को सीमा पार करा सकते थे। 2008, एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के साथ चौथे टेस्ट के पांचवे दिन भारत ने अपनी दूसरी पारी की शुरूआत की पहली पारी के आधार पर भारत 36 रन से पिछड़ा हुआ था। लंच से कुछ समय पहले 35वें ओवर में सहवाग ने चौका जड़ा था तब वह 84 रन पर थे। भारत की स्थिति अच्छी नही थी और स्कोर 206 रन पर चार विकेट था। सहवाग का अगला चौका फिर 68वे ओवर में आया जब वह 133 रन बना चुके थे। उन्होंने लंच के बाद एक भी चौका नही लगाया था। जो इन्सान एक दिन में दोहरा शतक बना सकता है और एक सत्र में शतक उसने कैसे खुद पर इतना नियन्त्रण रखा वाकई ये काबिले तारीफ़ है।