वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में अपने 11वें टेस्ट शतक से सिर्फ एक रन से चूकने वाले मिस्बाह काफी दुखी हुए होंगे। 99 रन पर आउट होने पर एक बल्लेबाज बेहद दुखी होता है, लेकिन उससे भी ज्यादा दुख तब होता है जब आप बिना आउट हुए महज एक रन से अपने शतक पूरा न कर पाए और 99 पर नाबाद रहें, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अब तक ऐसा 6 बार ही हुआ है। मिस्बाह के इस स्कोर के अलावा, एक बार उन बाकि पांच घटनाओं को दोबारा याद करते हैं जब एक खिलाड़ी अपने शतक के करीब पहुंच कर भी बिना अपना विकेट गवाएं शतक बनाने से चूक गया।
जेफ्री बॉयकॉट बनाम ऑस्ट्रेलिया, पर्थ 1979
99 रन पर नाबाद रहने वाली पहली घटना 1979 में इंग्लैंड के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहले टेस्ट में हुई थी। उस टेस्ट की चौथी पारी में इंग्लैंड 354 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा कर रही थी, जिसमें जेफ डॉयमोक ने 6 विकेट लेकर इंग्लैंड की बल्लेबाजी को धवस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। एक छोर पर खड़े जेफ्री बॉयकॉट चट्टान की तरह क्रीज पर डटे रहे और उन्होंने इंग्लैंड के लिए नामुमकिन से दिख रहे उस टेस्ट मैच को ड्रॉ में तबदील कराने के लिए पूरा जोर लगाया था। हालांकि अन्य इंग्लिश बल्लेबाज अपनी भूमिका निभाने में असफल रहे इसलिए इंग्लैंड की हार निश्चित दिख रही थी, हालांकि इंग्लिश फैंस फिर भी जेफ्री से शतक की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन आखिरी तीन विकेट मजह चार रन के अंदर सिमट गए और जेफ्री बॉयकॉट नॉन स्ट्राइकिंग एंड पर 99 रन बनाकर नाबाद ही खड़े रह गए। स्टीव वॉ बनाम इंग्लैंड, पर्थ 1995
ऐसा दूसरा वाक्या ऑस्ट्रेलिया में 1995 में खेली गई एशेज सीरीज के फाइनल टेस्ट मैच में हुआ था, और उस वक्त भी वेन्यू पर्थ ही था। पहली पारी में, माइकल स्लेटर ने 124 रन की शानदार पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया की दबदबे की बल्लेबाजी की आधारशिला रख दी। स्टीव वॉ ने शानदार शुरुआत का फायदा उठाते हुए बेहतरीन पारी खेली और स्कोर को 400 तक पहुंचा दिया। जैसे ही स्टीव वॉ शतक के करीब पहुंचे ग्लेन मैक्ग्रा रन आउट हो गए, और क्रीज पर आए चोटिल क्रेग मैकडर्मोट। मार्क वॉ चोटिल क्रैग के रनर के तौर पर आए। जब स्टीव 99 रन पर थे तब मार्क ने स्टीव को एक असंभव रन चुराने के लिए बुलाया, लेकिन बीच में ही स्टीव ने उन्हें वापस भेज दिया। मार्क बेहद कम अंतर से रन आउट हो गए और स्टीव वॉ ने इस वाक्या का जिक्र अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘डेथ बाय ए सेंटीमिटर’ में भी किया। ऑस्ट्रेलिया ने 329 रन के बड़े अंतर से ये मैच अपने नाम कर लिया, जिसमें तीसरी पारी में ग्रेग ब्लेवेट की 115 रन की पारी और आखिरी दिन मैकडर्मोट के 6 विकेट ने अहम भूमिका निभाई। एलेक्स ट्युडर बनाम न्यूजीलैंड, बर्मिंघम 1999
साल 1999 में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट मुकाबले में एलेक्स ट्युडर तीसरे ऐसे बल्लेबाज बने जो 99 रन पर नाबाद रह गए। 208 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दूसरे दिन के खेल मे 21 विकेट गिरे। नासिर हूसैन ने तेज गेंदबाज ट्युडर को नाइटवॉचमैन के तौर पर भेजा था। लेकिन ट्युडर ने ना सिर्फ दिन का खेल खत्म होने तक विकेट को संभाला बल्कि अगले दिन इंग्लैंड के चेज में भी अपनी भागीदारी दर्ज कराई। तेज खेलते हुए तीसरे दिन ट्युडर ने दूसरे और तीसरे विकेट के लिए शानदार साझेदारियां की और जब लक्ष्य बेहद पास था ग्राहम थार्प ने लगातार तीन चौके लगा दिए जिसकी वजह से ट्युडर अपना शतक पूरा नहीं कर सके। जिस वक्त इंग्लैंड को जीत के लिए महज चार रन की आवश्यकता थी और एलेक्स ट्युडर 95 पर नाबाद थे। उन्होंने जोरदार हिट लगाया इस उम्मीद में कि वो गेंद छक्के के लिए जाएगी, लेकिन गेंद बल्ले का बाहरी किनारा लेकर बाउंड्री के पार हो गई और उन चार रन के साथ ही ट्युडर 99 पर नाबाद रह गए। ट्युडर की बल्लेबाजी करियर की औसत 19.08 है, लेकिन अपने करियर में वो इस जैसी एक ही महत्वपूर्ण पारी खेल सके। शॉन पोलाक बनाम श्रीलंका, सेंचूरियन 2002
2002 में दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के बीच चल रहे दूसरे टेस्ट के दौरान, शॉन पोलाक इस क्लब से जुड़ने वाले चौथे खिलाड़ी बने। श्रीलंका की पहली पारी में बनाए 323 रनों के जवाब में, दक्षिण अफ्रीका 408 पर 9 विकेट गवां चुका था, तब क्रीज पर शॉन पोलाक का साथ देने आए मखाया एंटिनी। उस वक्त पोलॉक 69 पर खेल रहे थे और एंटिनी अपने बल्लेबाजी के लिए मशहूर थे, लेकिन ऐसे बहुत कम लोगों ने उम्मीद की थी कि ये पूर्व खिलाड़ी शतक तक पहुंच सकता है। लेकिन इस पारी में, एंटिनी मजबूती के साथ लंकाई गेंदबाजों का सामना करते रहे और पोलाक तेजी के साथ रन बनाते गए। एंटिनी के आत्मविश्वास के साथ, पोलाक ने चामिंडा वास की पहली गेंद पर तेजी के साथ एक रन लिए और वो 99 पर पहुंच गए। और शेष पांच गेंदों का सामना एंटिनी ने ही किया। इसी के साथ पोलाक 99 पर नाबाद रह गए । दूसरी पारी में भी पोलाक नाबाद रहे और 121 के छोटे लक्ष्य को हासिल करने में पोलाक ने अहम भूमिका निभाई और अपनी टीम को तीन विकेट से जीत दिलाई। एंड्रयू हॉल बनाम इंग्लैंड, हेडिंग्ले 2003
2003 में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले जा रहे चौथे टेस्ट के दौरान, एंड्रयू हॉल एक रन से शतक बनाने से चूक गए थे। मैच की तीसरी पारी में, वो क्रीज पर छठी विकेट गिरने के बाद आए, और उनकी टीम 254 रन की बढ़त बना चुकी थी, लेकिन मुकाबला अभी भी पूरी तरीके से खुला हुआ था। दक्षिण अफ्रीका की पारी को जल्दी आउट करने के इंग्लैंड के मंसूबों पर एंड्रयू हॉल की तुफानी पारी ने पानी फेर दिया। पिछली दोनों पारियों में गोल्डन डक पर आउट होने वाले हॉल ने तेजी से रन बनाने शुरु कर दिए। जब वो 99 पर थे तभी जेम्स कर्टली ने प्रिटोरियस को क्लीन बोल्ड कर दिया। हॉल 87 गेंदों पर 99 रन बनाकर नाबाद रहे और हंसते हुए पवेलियन की ओर लौटे। हालांकि, उन्हें अपना शतक ना बनाने का मलाल था, लेकिन वो जानते थे कि दक्षिण अफ्रीका मैच जीतने के करीब है और उनकी पॉजीशन सेफ है। चौथी पारी में 401 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड की पारी 209 रन पर सिमट गई, जिसमे जैक्स कैलिस ने 6 विकेट हासिल किए।