ऐसा दूसरा वाक्या ऑस्ट्रेलिया में 1995 में खेली गई एशेज सीरीज के फाइनल टेस्ट मैच में हुआ था, और उस वक्त भी वेन्यू पर्थ ही था। पहली पारी में, माइकल स्लेटर ने 124 रन की शानदार पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया की दबदबे की बल्लेबाजी की आधारशिला रख दी। स्टीव वॉ ने शानदार शुरुआत का फायदा उठाते हुए बेहतरीन पारी खेली और स्कोर को 400 तक पहुंचा दिया। जैसे ही स्टीव वॉ शतक के करीब पहुंचे ग्लेन मैक्ग्रा रन आउट हो गए, और क्रीज पर आए चोटिल क्रेग मैकडर्मोट। मार्क वॉ चोटिल क्रैग के रनर के तौर पर आए। जब स्टीव 99 रन पर थे तब मार्क ने स्टीव को एक असंभव रन चुराने के लिए बुलाया, लेकिन बीच में ही स्टीव ने उन्हें वापस भेज दिया। मार्क बेहद कम अंतर से रन आउट हो गए और स्टीव वॉ ने इस वाक्या का जिक्र अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘डेथ बाय ए सेंटीमिटर’ में भी किया। ऑस्ट्रेलिया ने 329 रन के बड़े अंतर से ये मैच अपने नाम कर लिया, जिसमें तीसरी पारी में ग्रेग ब्लेवेट की 115 रन की पारी और आखिरी दिन मैकडर्मोट के 6 विकेट ने अहम भूमिका निभाई।